हिंदी फिल्मों का एक चमकता सितारा आज हमेशा के लिए चला गया. हमारे अपने ही-मैन धर्मेंद्र 89 साल की उम्र में मुंबई में उनका निधन हो गया. ये खबर जैसे ही आई, पूरी फिल्म इंडस्ट्री और उनके लाखों चाहने वालों के दिल भर आए. बॉलीवुड के बड़े-बड़े चेहरे उन्हें अलविदा कहने पहुंचे. पत्नी हेमा मालिनी, बेटी ईशा देओल और उनके पुराने साथी अमिताभ बच्चन भी बेटे अभिषेक के साथ अंतिम यात्रा में शामिल हुए. उनका व्यक्तित्व, उनकी मुस्कान, उनका दमदार अंदाज. इन सबने उन्हें लाखों दिलों का हीरो बना दिया. रोमांस हो, कॉमेडी हो, ड्रामा या फिर एक्शन. हर तरह के किरदार में उन्होंने ऐसा रंग भरा कि दर्शक बरसों तक भूल न पाए. करीब साठ साल तक वे भारतीय सिनेमा की धड़कन बने रहे.शोले का वीरू, वो तो आज भी हर किसी की जुबान पर है. टंकी पर चढ़कर किया गया उनका मशहूर सीन हिंदी सिनेमा की यादों में हमेशा जिंदा रहेगा.धर्मेंद्र ने अपने शानदार सफर में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. साल 2012 में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. बढ़ती उम्र के बावजूद उन्होंने कैमरा छोड़ना मंजूर नहीं किया. लेकिन कुछ दिन पहले तबियत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. हालत सुधरी तो घर लौट आए थे. पर सोमवार को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया.धर्मेंद्र ऐसे कलाकार थे जिनकी मौजूदगी सिर्फ पर्दे तक सीमित नहीं थी. वो लोगों की यादों, मुस्कानों और दिलों का हिस्सा थे. आज वे नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज, उनके डायलॉग और उनकी फिल्में हमें हमेशा ये एहसास कराती रहेंगी कि असली हीरो कभी जाते नहीं, बस अपनी कहानियों में अमर हो जाते हैं.
00:27और उनके पुराने साथी अमिताब बच्चन भी बेटे अभिशिक के साथ अंतिम यात्रा में शामिल हुए
00:331935 में पंजाब की मिट्टी मिजन में धर्मेंद्र का असली नाम था धरम सिंग देवल
00:40साल 1960 में फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे से उन्होंने बड़े परदे पर पहला कदम रखा
00:47और इसके बाद तुमानो जैसे इंडस्ट्री को एक ऐसा हीरो मिल गया जिसे लोग देखने को तरस्ते थे
00:53उनका व्यक्तित्व, उनकी मुस्कान, उनका दमदार अंदाज
01:02इन सब ने उन्हें लाखो दिलो का हीरो बना दिया
01:06रोमान्स हो, कॉमेडी हो, ड्रामा हो या फिर एक्षन
01:09हर तरह के किरदार में उन्होंने ऐसा रंग भरा के दर्शक बरसो तक भूल नहीं पाए
01:14करीब साट साल तक वो भारती सिनेमा की धरकन बने रहे
01:18आई मिलन की बेला, आए दिन बहार के, फूल और पत्थर से लेकर शोले, सीता और गीता, चुपके-चुपके, जुगनो, प्रतिग्या, धरमवीर जैसी फिल्मों ने उन्हें एक ऐसा सितारा बना दिया
01:35जो पीडियां बदलने के बाद भी याद रहेगा
01:38और शोले का वीरू, वो तो आज भी हर किसी की जुबान पर है
01:45टंकी पर चड़कर किया गया उनका मशूर सीन, हिंदी सिनेमा की यादों में हमेशा जिन्दा रहेगा
01:55धरमिंद्र ने अपने शांदार सफर में 300 से ज़्यादा फिल्मों में काम किया
01:59साल 2012 में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मे विभुशन से सम्मानित किया गया
02:04बढ़ती उम्र के बावजूद, उन्होंने कैमरा छोड़ना मन्जूर नहीं किया
02:12लेकिन कुजदें पहले तबियत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भरती कराना पड़ा
02:16हालत सुधरी तो घर लोट आये थे, पर सोमवार को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अल्विदा कह दिया
02:26धर्मेंद्र ऐसे कलाकार थे, जिनकी मौजूदगी सिर्फ परदेर तक सीमित नहीं थी
02:31उन लोगों के यादों, मुस्कानों और दिलों का हिस्सा थे
02:35आज वे नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज, उनके डायलोग और उनकी फिल्में
02:41हमें हमेशा ये एसास कराती रहेंगी कि असली हिरो कभी नहीं जाते
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