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  • 3 hours ago
ओड़िशा के नुआपड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को वोटिंग होगी. चुनाव प्रचार के दौरान इलाके में विकास का मुद्दा छाया रहा... लेकिन प्रवासी मजदूरों की समस्या की यहां अक्सर अनदेखी होती रही. करीब 6 लाख की आबादी वाले नुआपड़ा जिले में तीन लाख कामगार हैं. अकेले नुआपड़ा विधानसभा में 35 हजार से ज्यादा कामगार वोटर हैं. तेलकोवेड़ा गांव की उर्मिला देवी मजदूरों की परेशानी बताती हुई कहती हैं कि वो दशहरा में काम पर जाती हैं और करीब आठ महीने बाद आषाढ़ में घर लौटती हैं. बड़ी परेशानी के बाद गुजारा होता है. इलाके की समस्या है कि मनरेगा के तहत भी मजदूरों को काम नहीं मिलता है, इसीलिए यहां के लोग गुजरात, यूपी, असम और ओडिशा के ही गंजम जिले में खेतों या फिर ईंट भट्ठे पर काम करने जाते हैं. आदिवासी बहुल नुआपड़ा जिले के सभी पांच प्रखंडों का यही हाल है.  

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00:00ओडिशा के नुवापाडा विधान सभाव चुनाव के लिए 11 नुवंबर को वोटिंग होगी।
00:09चुनाव परचार के दोरान इलाके में विकास का मुद्दा छाया रहा।
00:13लेकिन प्रावासी मजदूरों की समस्याओं की यहां अक्सर अंदेखी होती रही।
00:18करीब 6 लाक की आबादी वाले नुवापाडा जिले में 3 लाक कामगार हैं।
00:23अकेले नुवापाडा विधान सभावे 35,000 से ज्यादा कामगार वोटर हैं।
00:28तेल कोवेडा गाउं की उर्मेला देवी मजदूरों की परिशानी बताती हुई कहती हैं।
00:34इलाके की समस्या ये है कि मनरेगा के तहत भी मजदूरों को काम नहीं मिलता है।
01:00इसलिए यहां के लोग गुजरात, यूपी, असम और ओडिशा के ही गंजम जिले में खेतों या फिर इट भठे पर काम करने के लिए जाते हैं।
01:11आदिवासी बहुल नुवापाडा जिले के सभी पाँच परखंडों का यही हाल है।
01:29सरकारें आती जाती रहीं लेकिन इलाके की तस्वीर नहीं बदली।
01:33उपचुनाव के लिए प्रचार के दोरान एक बार फिर इलाके के विकास के बड़े बड़े दावे किये गए।
01:40इलाके के विकास से भी बड़ा मुद्दा मजदूरों के पलायन का है।
02:02अगर इन लोगों को यहीं काम मिल जाए तो यहां की आधी समस्या खुद वखुद खत्म हो जाएगी।
02:12ETV भारत के लिए उरिशा के नुवा पाड़ा से जुस्मन राना की रिपोर्ट।
02:18झाल
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