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पूरा वीडियो : दूसरों से तुलना और हीनभावना || आचार्य प्रशांत (2025)
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00:00मैं पिच्यानवे में आया था, कैंपस में, आइटी में, बड़े-बड़े प्रांथ थे भारत में उस समय, जहां से हमारे हॉस्टल में एक एक दो-दो ऐसे उडिसा से रहा होगा, कोई एक आथ बिहार से भी बहुत जादा लोग नहीं थे, हॉस्टल में जो सबसे बड़ा द
00:30दो जाए जाए उसके पास स्कूल की फीस देने के पैसे नहीं है, वो जाकि कोचिंग की फीस कैसे देगा, कैसे देगा, तो जो पहुँच गया है, उसने क्या उखाड लिया और जो यहां दिल्ली वाला आकर के बैठ गया है, चनड करके कि मैं तो J.E.1 हूं, तो क्यो इतना
01:00हफते में दो घंटे के लिए लाइट आती है, वहां होता तो बात करते, इस बात पर इतना खुश हो रहा है, जहां पर बाप की गाड़ी है, जो तुझे कोचिंग ले जाती है, वहां से तु वापस आता है, शौफर डिवन गाड़ी, और उसके बाद तुझे हर तरीके का म
01:30दूद के साथ, तो यह नहीं जो ही टॉप करेगा, तो कौन करेगा, समझ में आरही है बात, यह कंपेरिजन इन आधारों पर कभी करा ही मत करो, जो कॉंटिफाइबल है, कभी मत किया करो, अगर तुलना करनी भी है न, तो हमेशा खुद से खुद की करो, जिस राह तुम्हे
02:00तुलना करनी चाहिए हमेशा तो सिर्फ खुद से
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