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ये वीडियो संत संरिता, 11th सितंबर - 2025 (लाइव सत्र) से लिया गया है।
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Transcript
00:00आओ यहाओ, इधर आओ, यह मेरा आनन्द का प्याला ठीक है?
00:10अब यह आए हैं छीनने, यह आए हैं छीनने, यह रहे हैं दो, बोलो दो, नहीं दूंगा, नहीं दूंगा,
00:23नहीं दूँगा
00:26अब यह मेरा हाथ है, इसको मरोडो
00:32अब दो, ऐसे मरोडो, मरोडो, छींचो नहीं है
00:38मरोडो
00:39मरोडो
00:42मैं दे सकता हूँ और मेरे पास बहाना होगा कि मैं मजबूर था
00:47मेरा हाथ मरोडा
00:49तो मुझे मेरा पैला देना आपड़ा
00:51क्योंकि मैं मजबूर था
00:53ठीक से देखके बताओ
00:55में मजबूरी के नाते दे रहा हूँ
00:56या सुख के नाते दे रहा हूँ
00:59अगर मुझे
01:00सच मुच ये चाहिए हो
01:02तो मैं कौँगा मुझे सुख नहीं चाहिए
01:04तू दे ले दुख मुझे
01:07तू दे ले ना दुख मुझे
01:10और मरोड दे ले दुख
01:11दे ना दुख
01:14उस दिन हम ग्रीक फिलोसफर्स पर बात कर रहे थे
01:17अपिटेटर्स के जीवन से आता है
01:18वो लंगडे थे, लंगडे थे
01:20उनको
01:21गुलाम बना कर बेचा गया था
01:24लंगडे कैसे हुए थे
01:27उनका मालिक था, वो किसी दिन उन पर
01:29गुसा गया बहुत
01:30वो लगा उनकी टांग मरोड ने
01:33किसी बात पर
01:35उन्होंने शांती के साथ
01:37बस इतना कहा, अगर एपिटेटर्स की
01:39टांग और मरोडी तो
01:41एपिटेटर्स की टांग तूट जाएगी
01:43पारिक मरोड ने तांग तूट गई
01:45फिर बोलता है एपिटेटर्स की टांग तूट गई
01:47और ऐसी टूटी की जिंदगी बड़ ठीक ने हुई
01:49मजबूरी
01:54तो हमारी
01:57सुख के प्रतिलिपसा का नाम है न
02:00वो मुझे मजबूर करने नहीं आया है
02:03वो मेरा सुख छीनने आया है
02:05मैं कहा रहा हूँ ले जा मेरा सुख
02:07मैं तब भी नहीं छोड़ूँगा
02:09तो कौन मुझे मजबूर कर सकता है
02:12कभी ये मत कहिए कि आप मजबूर थे
02:14किसीधे यह कहिए कि आपको सुख बहुत प्यारा था। भग जाओते हैं।
02:24मैंने नहीं दिया। नहीं दिया ना। नहीं दिया तो नहीं दिया।
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