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Transcript
00:00अचारी जी मेरा प्रश्ण ये था कि मैं बार बार आकर एक जगा फस जाती हूँ
00:03कि प्रेम बड़ा है या बोध?
00:06छोड़ी है न क्या
00:07मारो सब मारगों को
00:09ये कुछ बढ़ियां सी चीज रखी हुई है
00:13मैं मस्त पीता हूँ
00:16आपके पास भी कुछ रखा हूँ
00:17आप भी पीएं
00:18मैं इसको मस्त क्यों कह रहा हूँ
00:20क्या रंग है
00:23ये हरा रंग है
00:25ये नीला रंग है
00:26क्या इसकी चिकनी चिकनी
00:28सता है
00:30कुछ होने लग गया
00:39पेट में
00:41थोड़ा मौका दीजेगा
00:43पेट हलका करके आता हूँ फिर जवाब दूँगा
00:45भागियेगा मत
00:46क्या चला गया भी था
00:51आपशों को भी प्यार हो गया था
00:55और अब पता नी मुझे क्या आ रहा है
00:56और और और और
00:58ये कहलाता है
01:00बिना बोध का प्यार
01:02और इसके नतीजे में मिलते हैं
01:05पतले दस्त
01:06जब तुम को जानते ने इसमें क्या है
01:08तो तुमने कहे इसे ग्रहन करा
01:10मुझे बताओ न
01:11तुमने बिना समझे
01:14किसी को दिल दे कैसे दिया
01:16किसी को सुईकार कर कैसे लिया
01:19किसी के सामने जुक कैसे गए
01:20कुछ होटों से छू कैसे लिया
01:24बिना समझे तुमने जीवन जी कैसे लिया
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