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Muslim Wedding Rules: क्या शादी में हल्दी लगाना इस्लाम में जायज़ है या नहीं?

अक्सर हम देखते हैं कि निकाह से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है,

लोग कहते हैं कि इससे नूर बढ़ता है, बुराईयाँ दूर होती हैं, या ये शादी की खुशियों की शुरुआत होती है।

लेकिन क्या इस रस्म की कोई जगह इस्लाम में है?

आइए जानते हैं कुरआन और हदीस की रोशनी में सच्चाई।


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~PR.115~ED.118~

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Transcript
00:00इस वक्त देजभर में शादियों का मौसम है।
00:03हर धर्म के लोग भारत में इनी ही महीनों में शादी करते हैं।
00:06इस साल कई लाक शादियां होनी हैं।
00:08ऐसे में मुस्लिम शादियों की बात करें तो कई रस्में यहां पर भी निभाए जाती हैं।
00:13हालों कि इसलाम के तालुक से trim शादियों में कुछ पाबंद्या भी है,
00:18ऐसे में ये सवाल उढ़ता है कि islam शादी में हलदी लगाने के इजासत देता है या नहीं?
00:23क्या शादी में हलदी लगाना चाहिज है या ये कोई सुन्न थै या नहीं?
00:27चलिए इस वीडियो में इसका जवाब जानते हैं
00:29अक्सर हम देखते हैं कि निका से पहले दूला और दुलन को हल्दी लगाए जाती है
00:33लोग कहते हैं कि इससे नूर बढ़ता है बुराईयां दूर होती है
00:36या ये शादी की खुशियों की शुरुआत होती है
00:38लेकिन क्या इस रस्म की कोई जगा इसलाम में है
00:41आईए जानते हैं कुरान और हदीस की रौशनी में सच्चा है क्या है
00:45हल्दी लगाने की परंपरा इसलामी नहीं है
00:47बलकि भारतिय संस्कृती की एक रस्म है
00:50ये रस्म हिंदू रीती रिवाजों से आई है
00:52जहां हल्दी को शुब माना जाता है
00:54शादी से पहले दुलह दुलन को हल्दी लगाने का मतलब होता है
00:57बुरी नजर से बचाना और तुचा को साफ करना
01:00लेकिन इसलाम में किसी भी रस्म या रिवाज को अपनाने से पहले
01:03देखना जरूरी है कि क्या ये सुन्नत से थाबित है ये नहीं
01:06कुरान और हदीश में क्या कहा गया है
01:08कुरान में अल्ह ताला फर्माते है
01:10आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारी दीन मुकमल कर दिया
01:13इसका मतलब है कि इसलाम में जो चीज़े बताई गई है
01:15वो हमारे लिए काफी है
01:16कुरान ये हदीश में कहीं भी ये नहीं मिलता कि
01:19निका से पहले हल्दी लगाना कोई अबादत या सुनत का हिस्सा है
01:23रसुल अल्ह ने अपने किसी भी निका या सहाबा के निकाह में
01:26कभी हल्दी लगाने का जिक्र नहीं कि
01:28अगर ये कोई खैर या भलाई की बात होती
01:30तो जरूर नभी सलिल्लाह अलेवसलिम और उनके सहाबा इसे करते
01:34कई इसलामिक स्कॉलर जैसे दारुलूम देवबंद, दारुलूम उत्ता इसलामिया और शेक इबन बाज रहमत अले ने कहा
01:41कि अगर कोई रस्म इसलाम से थाबित नहीं और गयर मुस्लिम रस्मों से ली गई है तो उसे अपनाना मकरू या बिदत है
01:49यानि अगर हल्दी सिर्फ एक कल्चर रस्म के तोर पर की जा रही है जिसमें शिर्क या अन्द विश्वास शामिल नहीं तो उसे पाप नहीं कहा जा सकता
01:57लेकिन अगर या रस्म शादी की बरकत या बुरी नजर से बचने के लिए की जाए तो ये इसलामी नजर ये से घलत और बिदत मानी जाएगी
02:03इसलाम में शादी एक बहुत पाप और साधी अमल है
02:06निका के पहले और बाद में दुआ करना, कुरान की तिलावत करना, साधगी से जश्ण मनाना ये सब चीज़े सुन्नत है
02:12रसुल आलला ने फरमाया निका मेरा सुन्नत तरीका है जो मेरी सुन्नत से दूर हुआ वो मुझ से नहीं
02:17इसलिए शाधी को दिखावे और ना ज़रूरी रस्मों से बचाकर साधगी और बरकत से करना सबसे बहतर है
02:23तो दोस्तों नतीजा साफ है, हल्दी लगाने इसलाम में ना सुन्नत है ना फर्ज और ना कोई रिवाज है
02:28अगर आपको करना ही है तो सिर्फ खुशी के तौर पर ना कि किसी धर्मे की यकिन या बरकत के नाम पर करें
02:33फिलाल इस वीडियो में इतना है अगर आपको ये जान करें पसंद आई हूँ तो इसे लाइक करें, शेयर करें
02:37और चैनल को सब्सक्राइब करना बिल्कुल नहीं है
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