Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है. इस बार यह शुभ तिथि 6 अक्टूबर को है. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाती है लेकिन इस दिन रोटी बनाने की परंपरा नहीं है. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा के दिन रोटी क्यों नहीं बनानी चाहिए...
00:01आश्मिन मास के कृष्ण पक्ष के पुर्णेमा तिती को शरत पुर्णेमा का पर्व मनाया जाता है और इस बार ये शुब तिती 3 अक्टूबर दिन सोंबार को है
00:08साथ ही इस दिन व्रधी योग भी बन रहा है शरत पुर्णेमा की रात को चान अपने पूरे सौंदर्य और उर्जा के साथ आत्मान में चमकता है
00:16कहा जाता है कि ये वो रात होती है जब चंदर मापनी सबसे ठंडी और जीवन दाई किरने धरती पर बढ़साता है
00:22माना जाता है कि इस रातरी माता लक्षमी प्रतिवी पर भ्रमन करती है और जो व्यक्ति उस रात जागरन कर भक्ती करता है उसे धन, वैभव और समर्धी का प्रदान देती है
00:31शरत पुर्णेमा के अलावा इस्तिथी को कोजागरी पुर्णेमा या रास पुर्णेमा के नाम से बिजाना जाता है। इस रात खीर बना कर खोले आस्मान की रीचे रखने की परंपरा तो आपने सुनी ही ओगी। लेकिन क्या आप जानते ही कि इस दिन रोटी नहीं बनाने �
01:01और घर में धन से रिलेटिट कई तरह के परिशानियों का सामना करना पड़ता है।
01:05साथ ही परिवार में किसी का शुराद जब होता है, उस दिन भी चूले पर तवा चड़ाना वर्जित माना गया है।
01:11मानेता है कि शरत पूर्णिमा के दिन रोटी बनाना अशुब होता है क्योंकि रोटी अगनी तत्व से जोड़ी होती है।
01:16जबकि शरत पूर्णिमा का चांद, जल और शीतलता के तत्व का प्रतीक है।
01:21इस दिन आग का प्रियोग करने से मालक्ष्मी का अशिरवात कम हो सकता है, इसलिए कई लोग रोटी की बजाए खीर बनाते हैं, जो चंदर्मा के शीत तत्व का प्रतीक मानी जाती है, साथ ही रोटी या ग्यहूं का संबन्द सूरे से माना गया है, सूरे का सवभाव तप्त �
01:51की हो जाती है, इसमें प्राकर्तिक विटामिन D और कैलसियम की मातरा बढ़ जाती है, जो शरीर के लिए बेहत पायदमन्द है, रोटी जैसी गरम चीजें खाने से शरीर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे ठंडी रातों में सर्दी जुकाम का खतरा बढ़ जाता है, इसलि
Be the first to comment