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00:00इसलिए वहाँ पर अंदोलन हो रहा है और सरकारे लगी हुए है कि नई साव अभी तो में और खननों गयारा करने दो
00:05उत्तरप्रदेश बिहार में, रागस्थान में, दिल्ली में, हर्याना में 55-60 डिगरी में जीव लोगे ये बतादो तुमारे एसी काम करने वाले हैं
00:13एक बार को कल्पना ही करके देखो, तुमारे एसी का क्या होगा साथ डिगरी में
00:16एसी ही पिखल गया होगा, वैसे भी घर में नहाने को छोड़ दो, पीने को भी पानी नहीं होगा
00:22नन्ही गौराईया का सोचो उसका क्या होगा
00:24पेड नहीं और तापमान पचपन साथ, उसका क्या होने वाला, एक बार को सोचो, उसका दर्द सोचो
00:28यह में नहीं वा समझ में आरे हो, किसी सरकार में दम नहीं है कि यह बात खुल के बोले
00:31एक भी तुमारी सेलिब्रिटी है जो यह बात कर रही हो, तो तुमने उनको सेलिब्रिटी क्यों बना रखा है
00:36एक भी तुमारा नेता है जो यह बात कर रहा हो, तुमने उनको नेता क्यों बना रखा है
00:39एक भी मीडिया चैनल है जो भी बात कर रहा हो नहीं तो तुम उनको देखते क्यों हो जिस सबसे मुझे अफसोस होता है जिस बात का जो ये कर्टूते कर रहे हैं वो सबसे बाद में मरेंगे
00:48सबसे पहले इंसानों में मरेंगे जो सबसे गरीब है
00:51नमस्ते सर सर मेरा प्रशन लद्दाक से है सुनम वंग्चुक जी क्लाइमेट चीन्ज की ऊपर एक क्लाइमेट फास्ट कर रहे हैं और ये मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है जहांपर वो इस प्रिस्वी के साथ जो भी कुछ हो रहा है उसको लेकर जागरुकतर बढ़ाने क
01:21आम आदमी को पहले पता तो होना चाहिए न कि क्लाइमेट क्राइसिस पूरी है क्या तब समर्थन देगा न वो जो कर रहे हैं सोनम वंग्चुक जी वो तो एक मुद्दे पर कर रहे हैं उस मुद्दे से जब इस देश के आम आदमीं कोई रिष्टा ही नहीं है
01:43तो लोगों की नजर में ये एक छोटी सी बात है ऐसे भी लद्दाख दूर दराज का इलाका है आबादी भी वहाँ बहुत कम है एक छोटे शहर जितनी पूरे लद्दाख के विस्तार की आबादी है
02:03आम आदमी को अगर पता हो कि दुनिया में अगर अभी अभी आट सो करोड लोग हैं और उसमें से तीन सो करोड लोग हैं वर्तमान में ही
02:25जिनको ठीक खाना नहीं मिल पाता है दोसो चालीस करोड लोग ऐसे हैं जिनको खाना मिल भी पाएगा कुछ निश्चित नहीं होता है
02:43मिल गया तो ठीक है नहीं मिला तो नहीं
02:45और लगभग 80-90 करोड़ लोग ऐसे हैं
02:50जो अनिवारे तह भूखे सोते है
02:52ये बात आम आदमी को पता है क्या
02:58इसका क्लाइमेट से क्या रिष्टा भी बताऊंगा
03:00800 करोड़ की दुनिया की आबादी
03:04उसमें से 300 करोड़ लोग ऐसे हैं
03:06जिनको खाना मिल तो रहा है पर वो खाना
03:09पोशन में कमजोर है ठीक ठाक नहीं है
03:13वो खाना खा करके आप एक स्वस्थ जिन्दगी नहीं जी सकते
03:16240 करोड़ लोग ऐसे हैं
03:19जिनका पक्का नहीं होता कि उन्हें खाना मिलेगा भी कि नहीं मिलेगा
03:23और 80-90 करोड ऐसे हैं जिनका पक्का होता है कि इनको खाना नहीं ही मिलना है
03:28और climate change से जो प्रमुख फचले हैं सब की सब
03:37गेहूं, चावल, मक्का, जौार, बाजरा
03:42ये इनकी yield में 15-25 प्रतिशत की कमी आनी है
03:52और ये सारी की सारी कमी जाकर किनके उपर टूटेगी?
03:58उनहीं के उपर जिनकी purchasing power खरीद पाने की ख्षमता सबसे कम है
04:04साधारण, demand और supply का नियम तो जानते हो ना
04:08जब किसी चीज की supply कम होती है, तो उसका price बढ़ जाता है
04:14जब price बढ़ेगा, तो कौन नहीं खरीद पाएगा, अमीर लोग?
04:18जो गरीब है, वो यह नहीं खरीद पाएगा
04:20और जो गरीब है, वो वैसा है, जो अभी ही खाने को नहीं पा रहा
04:25और जो दुनिया के 80 करोड लोग है न, जो रोज भूखे सोते हैं
04:31इन में से एक बहुत बड़ा हिस्सा भारत में है
04:34और यहीं लोग, हमारे भारती लोग ही, जो या तो भूखे सो रहे हैं
04:44या जिनको खाने की आपूर्ती की भी कोई गारंटी नहीं है
04:49या जिनको खाना मिलता तो है, पर ऐसा नहीं होता कि उसमें सब पोशक्तत्तों हो
04:53इन्हें ही कोई फर्क नहीं पड़ रहा कि climate के साथ क्या होने जा रहा है
04:56क्याने होगा कोई आमरण अंशन कर रहा होगा हमें क्या लेना देना
05:02तुम्हें ये लेना देना कि तुम भूखे मरने वाले हो climate change से
05:05खेतों में फसलें उगनी बंद होने वाली है
05:08और जिनकी वजह से खेतों में फसलें उगनी बंद होगी
05:16उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा
05:19उनके पास बहुत पैसा है
05:20अपनी आम्दनी का वो खाने पर एक या दो प्रतिषत खर्च करते हैं
05:26बस उनके ऐस इतना पैसा है
05:27वो दो प्रतिशत पहले खाने पे खर्च करते थे अब तीन प्रतिशत खर्च कर लेंगे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा
05:32खाने पर सबसे ज्यादा अपनी आमदनी के अनुपात में वे गरीब आदमी करता है
05:41अमीर आदमी अपनी आमदनी का एक या दो प्रतिशत खाने पर खर्च करेगा और गरीब आदमी अपनी आमदनी का 60-70 प्रतिशत लगाता है खाने पर
05:49जब खाना महंगा हो जाएगा क्योंकि आपूर्ती कम हो जाएगी तो इन गरीबों को क्या होने वाला है
05:55हम तो वैसे भी इस बात पर बड़ा फख्र अन्वह करते हैं न कि भारत में इतने करोड़ों लोगों को मुफ्त खाना दिया जाता है ये वो लोग हैं जिनके पास खाने के पैसे नहीं है
06:09हमारी दो तेहाई आबादी ऐसी है जिसके पास ठीक से खाने के पैसे नहीं है और क्लाइमेट चेंज की गाज सबसे आदा इन पे गिरने वाली है लेकिन उनको जुन जुना थमा दिया गया है तमाम तरह के मनुरंजन दे दिये गए हैं धार्मिक कलावाजियां दे दी गई है
06:39जिनके पास पहले ही पैसा है और जो और पैसे की हवस में लगदाख जैसी जगों का दोहन करना चाहते हैं
06:45जैसे हस्देव का जानते हो ना वहां क्यों काटे जा रहे हैं जंगल इसे थुड़ जंगल काटे जा रहे हैं कि धूप नहीं आती थी थंड भूत लगती थी जंगल काट दो धूप आएगा
06:55वहाँ इसलिए काटा जा रहा है कि नीचे खनिज है
06:58मिनरल से हो निकालना है वैसलिए लब्दाख में भी
07:00कुछ शेत्र है जो मिनरल रिच है
07:02इसलिए लब्दाख को स्वाइतता नहीं दी जा रही है
07:07वो कह रहे हैं कि हमें देखने दो हमारी जगह है
07:10कि हमें इसका क्या करना करें नहीं हम देखेंगे जो दोहन करेंगे वहाँ पर जाकर कि उन
07:15minerals का उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा भूखे नहीं मरने वाले लेकिन जो बेकसूर है गरीब है वो भूखा मरने वाला है
07:23climate change की वजह से ये बात हमें नहीं समझ में आ रही है भाई फसले एक निश्चित तापमान पर होती है और फसले एक निश्चित गर्मी पानी के
07:37pattern में होती है यह नहीं जानते हो क्या खड़ी फसल पर पानी पड़ जाए क्या होता है और जिन दिनों में बीज डलना है और बुआई होनी है उन दिनों में अगर पानी पड़ जा तो क्या होता है और पानी न पड़े तो क्या होता है यह सब नहीं जानते हो क्या वो पूरा
08:07event क्या होता है, दो तरीके का होता है, एक होता है temperature का, एक होता
08:12precipitation का, टेंपरेचर और rainfall, उसमें आप फिर साथ में cyclone और गएर भी
08:17जोड सकते हो, या तो गर्मी बहुत ज्यादा है, कहीं न कहीं, या बारिश बहुत
08:24ज्यादा है बहुत कम हो रही है कहीं न कहीं या फिर कहीं पर जबरदस्त अंधर तूफान चल रहा है इसमें फसले होंगी पर आम आदनी कोई बास समझ में नहीं आ रही है आम आदमी मनुरंजन में व्यस्त है आम आदनी कोई दूसरे मुद्दें करें चुनाव आ रहा है च�
08:54लख रहा हूँ, दुनिया में करीब 50-60 करोड़ बच्चे हैं
09:00जो कुवशे थे हैं, उन 50-60 करोड़ में 10-20 करोड़ ऐसे हैं
09:06या 8-10 करोड़ जिनको वेस्टेड कहते हैं
09:08कुवशे थे, उन्डनी स्टन्टेड वाले बोले देते हैं
09:10और उनसे भी गई घुजरी हाथ में बोलते हैं
09:12वेस्टेड और जितने
09:14वेस्टेड बच्चे हैं दुनिया में लगभग उतने
09:16ही ओबीज और ओवरवेट
09:18बच्चे भी है
09:19माने एक तबका है
09:24जिसके बाद इतना जादा है
09:26कि उसके बच्चों की समस्या यह है
09:28कि ऐसे मोटे मोटे थुल थुल निकल रहे है
09:30और एक बहुत बड़ा तबका है
09:31जिसके बच्चों के बास खाने को नहीं है
09:33उनकी तादाद बढ़ती जाएगी
09:35यह जिन भूखे लोगों की मैंने बात करी न
09:38आपको क्या लगता है
09:40दुनिया ज्यादा प्रोस्परस हो रही है
09:42सम्रुध हो रही है
09:43जिन भूखे लोगों की मैंने बात करी
09:45पिछले पाँच साल में ही इनकी तादाद में
09:4720 करोड की वृद्धी हो गई है
09:48दुनिया में भूखों की संख्या बढ़ती जा रही है
09:51और उसका बहुत बड़ा कारण
09:52क्लाइमेट चेंज है
09:53हम भूखे मर रहे हैं
09:58हमारे भाई बहन भूखे मर रहे हैं
09:59और उसका कारण क्लाइमेट चेंज है
10:01और हम उसकी बात भी नहीं करना चाहते
10:04ये मैंने अभी खाने की चीज़ों की बात करी
10:08अब पीने की चीज़ पर आ जाओ पानी
10:10दुनिया के सौ शहर है
10:14जिन में एक्स्ट्रीम वाटर स्केर सिटी होने वाली हो
10:19जो बैंगलोर में भी देख रहे हो ना
10:20हाँ वो चीज
10:21और उन में से 30 शहर भारत में है
10:24और भारत के 30 शहरों में बैंगलोर का नंबर तो
10:27टॉप 10 में आता भी नहीं है
10:29यह शाय दसवे नंबर पर होगा देख के बुलना
10:34और हमें होश नहीं है
10:38हम सिर्फ भूखे ही नहीं प्यासे मरने वाले है
10:43और अगर इस बात के लिए कहीं कोई आंदोलन हो रहा है
10:48तो हमारे कान पर जू नहीं रहेंग रही है
10:50ठीक बोल रहा हूँ
10:55इस लिस्ट में दसवे नंबर पर है पर इसके लावा भारत के 30 शहर हैं
11:01मैं उनके नाम लूँ है अभी यहां पर
11:03कम से कम जो पहले 5 हैं उनके तो लो
11:05जी जैपुर, इंदोर, ठाने, वडोदरा, श्री नगर
11:09और इसके लावा फिर बाके अनने राज़े से भी अलगलग शहर है
11:12हम भूखे और प्यासे दोनों मरने वाले हैं
11:17बस यह एक जिनके वाज पैसा है वो कहेंगे चलो पानी की बोतल
11:201000 रुपे की भी आ रही तो ले लेते हैं गरीब क्या करेगा
11:23और भारत देश तो अभी भी गरीब हो काई है
11:25फिर याद करिये कि 80 करोड लूगों को मुद्खाना दिया जा रहा है
11:28माने जब गरीब है
11:29इनका होने क्या वाला है
11:30हमें कुछ नहीं संजब्रा रहा हमारा क्या होने वाला है
11:33हमें तरह तरह के नशे दे दिए गए हैं
11:37और उनमें धुत तैम
11:38क्लाइमेट चेंज के इतने तरह के उपद्रव है
11:45ऐसे ऐसे परड़ाम है
11:46मुझे समझ भी नहीं आता
11:47मैं कौन सा छोर पकड़ू
11:48कहां से बात शुरू करूं
11:51किधर को ले जाऊ
11:52सुखने से पहले
12:00बाढ़ आएगी
12:02क्योंकि जब ग्लेशियर पिगलेगा
12:03तो पहले पहल क्या आती है
12:05तो पहले तो बाढ़ आएगी
12:07पहले बाढ़ आएगी फिर एकदम
12:10पूरा सूखा पड़ जाना है
12:14जिस लदाक की वहाँ बरबात हो रही है
12:18भाई वो हिमालय का हिस्सा है
12:20जब ग्लेशियर पिगलेगा
12:24तो पहले पहल क्या होगा
12:26भारत
12:27की 150 करोड की
12:31आबादी में से
12:33आधी से ज्यादा
12:34जो हिमालेयन रिवर से उन पर आशरित है
12:37पूरा उत्तर भारत
12:39और ज्यादा तर उत्तर भारत की नदियां हिमाले से ही
12:43अपना
12:44पानी पाती है
12:45जब इतनी तेजी से ग्लेशियर पिखलेगा तो बाढ़ आएगी और उसके बाद कुछ नहीं
12:52अपनी नदियां देखने को तरस जाओगे नदियां नहीं है
12:55और यह बहुत आगे कि हम बात नहीं कर रहे है
12:56यह बात हम अभी की कर रहे है
12:59यह सब कुछ अगले कुछ सालों में कुछ दशकों में होने जा रहा है
13:01लदाख में ग्लेशियर के पिखलने के कारण
13:07जो वहां के जीले हैं और तालाब हैं
13:12वो खतरनाक स्तर तक भर गए है
13:14जब उतना भर जाते हैं तो फटते हैं
13:16और जब फटते हैं तो निचले इलाकों में बाढ़ आती है
13:18वैसे ही कुछ हुआ था
13:24कुछ साल पहले, कितने साल पहले
13:26आप देख लीजेगा
13:27कि वहाँ पर एक भारी
13:30जील भर गई थी
13:32तो इन्हों नहीं सोनम वांग्चुक ने
13:36कि एक दूसरे तरीके से इसमें साइफनिंग
13:38कर देते हैं पानी की, सरकार
13:40मानी नहीं, सरकार ने उसमें
13:42ब्लास्ट कर दिया, ब्लास्ट कर दिया, नीचे
13:44खूब तबाही आई
13:46फसलें उड़ गई, पुल उड़ गए
13:49जानमाल हर तरह की
13:50तबाही हुई
13:51फिर बात में सिक्किम में
13:55वैसे इस्थित्याई तो इनको बुलाए गया
13:56उनको कहा गया कि आप जिस साइफनिंग की बात कर रहे हो
13:58कर दीजे ताकि जलस्तर थोड़ा कम हो जाए
14:00तो बच जाएं
14:01बात समझो, आप नहीं समझ सकते
14:04कि कि कितनी बर्फ
14:05जमा है ये हिम नदों में
14:09इन्हें हिम नद बोलते है
14:10कि एक नदी में कुल जितना पानी हो सकता है
14:15उतना पानी ये ग्लेशियर में है
14:16हिम नद
14:19और वो पानी जब पिघलेगा
14:22तो क्या होगा, कैसी तबाही आएगी
14:24और वो पिघल रहा है
14:25और उसके पिघलने से मैं आपसे पहले भी बता चुका हूँ
14:33कि एक बहुत गंदा feedback cycle शुरू होता है
14:35बर्फ का रंग सफेद होता है
14:37बर्फ पर जब धूप पड़ती है तो बर्फ उसको वापस reflect कर देती है
14:41लेकिन जैसे ऐसे बर्फ पिघलती जाती है
14:44और बहुत तेदी से पिघल चुकी है
14:47पिघल रही नहीं है पिघल चुकी है
14:48वैसे वैसे बर्फ के नीचे की जो मिट्टी और चटाने हैं
14:53वो expose होते जाते हैं
14:54और वो सूरज की रोशनी को सोखते हैं
14:57बर्फ नहीं सोखती वो सोखते हैं
14:59जब वो सोखते हैं, तो गरम होते हैं, वो लूप बरको पहलती हैं, जब बरको पहलती हैं
15:04ये एक इसे निगेटिव feedback's cycle चलता जाता है
15:19और वही जो पानी है जो पिखल रहा है जब उस पर धूप पढ़ती जाती है और तापमान बढ़ता जाता है
15:25तो पानी क्या बन जाता है
15:26भाप, Water Vapor, H2O
15:28और H2O अपने आप में ग्रीन हाउस गैस होती है
15:31ग्रीन हाउस गैस कोई सिर्फ कार्बन
15:33डाय ओकसाइड थोड़े ही होती है
15:34कार्बन डाय ओकसाइड से कहीं जादा बड़ी ग्रीन हाउस गैस मिथेन है
15:37N2O, H2O
15:39यह सब greenhouse gases है
15:41oceans हमारे
15:47carbon sinks हुआ करते थे
15:50वो अब carbon sinks की जगह
15:52carbon emitters बन गए है
15:53क्योंकि
15:56पानी carbon dioxide को
15:59सोखता है
16:00देकिन उनका तापमान इतना बढ़ गया है
16:06कि अब वो carbon emitters होते जा रहे है
16:08acidification of oceans
16:13बात कुछ समुझ में आ रही है
16:21पानी का जलस्तर अब यह जो पिखलेगा पानी
16:27जो यह बड़े-बड़े glacier
16:29glacier सिर्फ लदाक में नहीं हम
16:31हम आर्किटिक की अंटार्किटिक की भी तो बात करेंगे
16:33वहाँ से जो पिखलता है पानी
16:34वो जाता है समुझरों में और उसे समुझरों का जलस्तर क्या हो रहा है
16:39बढ़ता जा रहा है बढ़ता जा रहा है आपको क्या लग रहा है
16:42हमारे बंबई जैसे शहर बचने वाले हैं क्या
16:46जितने हमारे तटी ये शहर है चेन्नाई, मुंबई इन सब की जनसंख्याएं बहुत बहुत खतरे में आ चुकी है
16:58और वो खतरा कहीं से टल नहीं रहा है
17:002015 में पेरिस में बड़ा समझोता हुआ था
17:06और 2015 के बाद से ग्रीन हाउस गैसेस का उतसरजन घटने की जगह और बढ़ गया है
17:14हाँ जिस गति से पहले बढ़ रहा था उस गति से नहीं बढ़ रहा है
17:22लेकिन कम नहीं हो रहा और बढ़ रहा है
17:24आप पहले ही एक बहुत खतरनाक हालत में थे
17:27आपकी हालत और खतरनाक हो रही है
17:29और इसको
17:31जो वैज्ञानिक है
17:33climate scientists है
17:35वो कहरें we are accelerating
17:37towards our doom
17:38we are not just moving towards
17:41our destruction, we are accelerating
17:43towards our destruction
17:44जो climate goals
17:49हमने अपने लिए अधारित करें
17:50climate goal यह है कि भाई हमें रोकना आया
17:52डिएर डिगरी पर जो
17:54average rise in temperature है उसको
17:56डिएर डिगरी पर रोकना है
17:58तो आज आप जितना
18:01emission करते हो carbon dioxide का
18:03इससे लगभग
18:0542 प्रतिशत कम
18:07आधा करना पड़ेगा इसको 2030 तक
18:09आपको लग रहा है कोई भी सरकार
18:11दुनिया भर में गंभी रही है करने में
18:13डिएर डिगरी छोड़ दो
18:15अगर दो डिगरी पर भी रोकना है
18:17तो आपको 28 प्रतिशत कम करना पड़ेगा
18:19कम छोड़ दो तो बढ़ रहा है
18:21माइनस में जाने की जाएगा तो और प्लस में जा रहा है
18:23लेकिन आम आदमी को इससे फरक नहीं पड़ता
18:27आम आदमी पास जुझने हैं
18:30और उन्हें जाने कहा पर मगन हैं
18:32कौन से उसके पास मुद्दे हैं
18:33देखो न टीवी में सोशल मीडिया में
18:34कौन से मुद्दे चल रहे हैं
18:36उनसे क्लाइमिट चेंज की बात करो
18:39तो कहते हैं होक्स है होक्स
18:40यही होंगे जो मरेंगे सबसे पहले
18:43पिछले
19:0040 सालों में
19:02हम
19:04अपनी आधी से ज्यादा वाइल लाइफ
19:06खत्म कर चुके हैं क्यों
19:08डिफॉरेस्टेशन
19:10जो की
19:12क्लाइमेट चेंज का
19:14एक बहुत बड़ा कारण है
19:15आप ये समझ पा रहे हो
19:18प्रत्थवी पर
19:21जीव जनतूं की जितनी प्रजातियां
19:24आएं उनमें से आधी से ज्यादा हमने सिर्फ
19:26पिछले 40 साल में खत्म कर दी हमेशा के लिए
19:28वो अब कभी लोटके नहीं आएंगे
19:29और
19:33खत्म करने की दर हर साल के साथ बढ़ती जा रही है
19:37क्योंकि हमें अपनी आबादी बढ़ानी है
19:46आम आदमी तो इसमें लगा हुआ है ना
19:48मैं मेरा घोसला
19:49घोसले में मेरी
19:51चिरये और हमारे अंडे
19:53इस पूरी चीज़ का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या
20:04एक मात्र कारण आप कह सकते हो जनसंख्या है
20:07बाकी आप रिसाइक्लिंग और प्लास्टेक और इस तरह के जुनजने बजाते हो उसे कुछ नहीं होगा
20:14मैं आपको वो दिखा चुका हूँ
20:16कि इस तरह के जुनजने जो आप बचाते हो ना और बोलते हो मैं क्लाइमेट चेंज रोकने के लिए सब कर रहा हूँ
20:23क्या कर रहा हूँ
20:24कि मैं एक किलोमीटर गाड़ी कम चलाता हूँ
20:27और मैं घर में इस तरह के बल्ब लगाता हूँ
20:31और मैं प्लास्टिक का कम इस्तिमाल करता हूँ
20:32इन सब कामों को मिला करके भी
20:35पांच प्रतिशवत फर्क नहीं पढ़ना
20:3695 प्रतिशवत फर्क पढ़ना है आबादी से
20:39आबादी नहीं कम होगी तो इस महाविनाश को आप नहीं रोक सकते हो
20:42ये जो पूरा हिमाले का क्षेत्र है
20:54दुनिया भर के व्यग्याने कह रहे हैं ये एक एक इकलोजिकल डिजास्टर बन चुका है
21:00इसलिए वहाँ पर अंदोलन हो रहा है
21:07और सरकारे लगी हुए है कि नहीं साब अभी तो में और खनन हो गयारा करने दो
21:16जब आप खनन करते हो उससे कार्बन निकलेगा न आप कुछ कर रहे हो कोई भी अक्टिविटी कर रहे हो आप
21:27चाहे आप वो टूरिजम एक्टिविटी कर रहे हो, कुछ भी कर रहे हो, तो उससे सूट निकलता है, क्या निकलता है, सूट, वो छोटे-छोटे महीन टुकड़े होते हैं, कार्बन के, जैसे आपके वेहिकल के अग्जॉस्ट से निकलते हैं, वो जब बर्फ पे पड़ेगा
21:57यह हो रहा है लद्दाख में, लद्दाख का बहुत फ्रिजाइल, बहुत कमजोर एक और नाजुक एको सिस्टम है, वो नहीं बर्दाश्ट कर रहा है, यह जो चल रहा है, हम महाविनाश की कगार पर खड़े हुए हैं, लोगों को होश नहीं आ रहा,
22:16लोग किसमे मगन हैं, कि हमें तो जीडिपी चाहिए जीडिपी, क्यों विकास माने जीडिपी होता है, इस साल में ही भारत के जीडिपी को 10 प्रतिशत की चोट पड़ी है मातर क्लाइमेट चेंज के कारण, और आगामी वर्षों और दशकों में यह चोट 30 से 40 प्रतिशत की
22:46इस से जो आपकी विवस्था पे, शरीर पे और सहत पे असर पढ़ना है मैं क्या बता हूं?
22:54दो डिगरी औसत बढ़ोत्री की बात हो रहे है यह तापमान की, दो डिगरी औसत बढ़ोत्री माने यह नहीं होगा कि दिन में और रात में सब में दो डिगरी बढ़ जाना है, वो जो ज़्यादा तर तापमान बढ़ेगा और दिन में बढ़ेगा, रात में लगभग उतन
23:24बिहार में, राजस्थान में, दिल्ली में, हर्याना में, 55-60 डिगरी में जीव लोगे, ये बतादो, तुमारे AC काम करने वाले हैं, एक बाहर को कल्प नहीं करके देखो, तुमारे AC का क्या होगा, 60 डिगरी में,
23:35AC पिखल गया होगा, ये जो split AC होते हैं, उनकी जो unit उपर रखी होती है, उपर जाके देखोगे, तो उसमें से धुआ निकल रहे होगे, तारवार सब पिखले पड़े होगे, और उपर जा ही नहीं पाओगे, दो पहर में 12 एक बजे, देखने भी नहीं जा पाओगे, उपर की
24:05गाड़ी बाहर खड़ी होगे, जाओगे देखोगे, टायर फट चुके हैं, और पिखल करके चिपक चुके हैं, क्योंकि 2 डिगरी औस दो डिगरी नहीं है, उस 2 डिगरी का मतलब है, हफते में एक दिन 8 डिगरी, और प्रतिजिन 4 डिगरी, क्योंकि equal rise नहीं है, 2 डिगरी �
24:35range of temperature बढ़ेगा, वो सम्हाल कैसे पाओगे, अभी आपके शरीर की विवस्ता एक तरह के तापमान से संतुलन बना चुकी है, वो सब जब बदल जाएगा, तो कैसे जी लोगे, कितनी नई तरीके की बिमारी आएंगी कभी सोचा है,
24:54कोविट जैसी हजारों बीमारियां उशल करके आने वाली हैं, क्योंकि वो सब वाइरस बर्फ के नीचे हजारों लखों करोडों साल से दबे पड़े हैं, डॉर्मेंट हैं, जब वो बर्फ पिगलेगी तो वो सारे वाइरस बाहर आ जाने हैं, वाइरस ऐसी चीज नहीं होत
25:24करोडों सालों तक बर्फ के नीचे पड़ा रह सकता है, और जैसे बर्फ पिगलेगी वो बाहर आ जाएगा, जैसे करोणा वाइरस बाहर आ गया था उन गुफाओं से, उन चमगाज़णों से, एक करोणा वाइरस ने पूरी दुनिया हिला दी, ऐसे लाखों वाइरस हैं, �
25:54वहाँ यूरोप के देशों में कुछ रिफ्यूजी आ गए, बड़ी समस्या हो जाती है, अमेरिका परेशान है कि मेक्सिको और अपने बीच में दीवाल खड़ी करेंगे, ट्रम्प कहा रहा है, नहीं ये, जितने हिस्पैनिक्स होते हैं, बहुत बुरे लोग होते हैं, हमे
26:24होते हैं, उनको आने दो, उनके लिए हमें एक विशेश कानून बनाएंगे, दुनिया के 800 करोड़ों में से, 120 करोड़ों लोग रिफ्यूजी होने वाले हैं, इनको कौन सा देश रख लेगा ये बताओ, इनने क्लाइमेट रिफ्यूजी बोलते हैं, ये नए तरीके के रि�
26:54और ये 120 करोड़ जब बनेंगे शरणार थी, तो पूरी दुनिया की जियो पॉलिटिक्स का क्या होने आला है और इससे कैसे कैसी लडाईयां छिडेंगी ये सोचो, और एक बात और समझना है, जब लडाईयों की बात आ रही है, लडाईयां क्लाइमेट चेंज का अपने आ
27:24कार्बन माने छोटा कार्बन नहीं, पाटिकुलेट मैटर नहीं, जो सूट होता है, जैसा लालटेन जलने पे देखते हैं, लालटेन के शीशे पे जोई कठा हो जाता है, जब बम फटता है, या बम वर्षा के कारण कहीं आग लगती है, तो उस तरह की कालिमा खूब निकल
27:54और क्लाइमेट चेंज के कारण युद्ध और जबरदस तरीके से नच्छने ये हो नहीं सकता, सामरिक विशलिषकों का कहना है, कि बहुत संभव है, कि अगले विश्युध का कारण क्लाइमेट चेंज ही हो और अगला विश्युध बहुत दूर ना हो, बस कुछ सालों या
28:24पहले दोनों विश्युद्ध हुए थे कॉलोनीज के लिए
28:30जमीन चाहिए कॉलोनीज
28:32फिर अभी अतीत की जो बड़ी लड़ाईया है पिछले 50 साल की उजातर हुई हैं
28:39तेल के लिए
28:40आयरे वाली लड़ाई होगी सिर्फ और सिर्फ पानी के लिए
28:45हम प्यासे मरने वाले है
28:47और यह हम तब बात कर रहे हैं जब हम इस प्रथवी की सबसे सबल प्रजाते हैं
28:58ननी गौराईया का सोचो उसका क्या होगा
28:59पेड नहीं और तापमान 55 उसका क्या होने वाला है एक बार को सोचो उसका दर्द सोचो
29:05पक्षियों का दर्द सोचो
29:08पेड सारे काट दिये
29:10और तापमान कर दिया 55
29:12क्या होगा उनका
29:13और जब हम बात कर रहे थे
29:16प्रजातियां विलूप्त हुई है
29:17उन्में सबसे आदा जो प्रजातियां विलूप्त हुई है
29:19वो है जो fresh water ecology की होती है
29:21अपने बच्चों को हम कौन सी दुनिया दे रहे हैं ये
29:30वो हमें कोसेंगे कि हमें क्यों पैदा किया
29:35भुन भुन के मरने के लिए
29:37roasted to death
29:39इसके बहुत और आयाम है
29:45मैं सबके सब तो अभी एकदम स्मृते से आपको बता नहीं सकता हूँ
29:49पर मानव गतिविधी का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है
29:52जो climate change की भयानक चोट न जहिलने वाला हो
29:57आप बताओ ये बिचारे जो दिहाडी मजदूर होते हैं इनका क्या होगा
30:07ये कैसे दिन में काम करेंगे और construction activity तो सब दिन में ही होती है
30:11किस तरह की heat waves चलेंगी
30:19लू कैसी हो जानी है कुछ समझ पा रहे है
30:21और समझिएगा
30:28हमारी ये जो पूरी शारीर के वस्ता होती है न
30:31जैसे आप भारती ये हो
30:33तो हमारे jeans
30:34बने हुए है एक खास तरीक है कि temperature range में रहने के लिए
30:39जो आप उस temperature range में नहीं रहते
30:41तो फिर आपको अथरिक्त
30:43इंतिसाम करने पड़ते हैं आपको इसी चलाना पड़ता है
30:45या आप किसी ठंडे देश चले गए भारती का नेड़ा चला गया
30:47तो वो अपना
30:49ज्यादा
30:50मोटे कपड़े पहने का गर्म
30:54और आप पाते हो कि जब
30:56पश्चमी लोग भारत आते हैं
30:58तो भारत की ठंडी में भी ओटी शिर्ट बें गहुंग रहे होते हैं
31:01क्योंकि उनका शरीर
31:02माइनस दस माइनस बीस के लिए
31:04अभ्यस्त हो गया होता है
31:05भारती ये शरीर बहुत तो उचे तापमानों के लिए
31:09अभ्यस्त नहीं है
31:26हिंसा तमाम तरह के अपराध बहुत बहुत बढ़ जाने है
31:30पूरी प्रत्वी को बुखार आ गया तप रही है
31:35इनसान भी तपेगा और इनसान तपेगा
31:37तो न जाने वो कितने नर्कों की आग पैदा करेगा
31:42उसमें हमारा तुझे होगा सो होगा
31:46प्रत्वी की आधी से ज़्यादा प्रजाति हैं हमने पहले ही मार दी है
31:49बाकी सब को हम मार के जाएंगे
31:52कोई मुद्दा है जो मुझे छूट रहा है प्रमुक
31:58सर की एक रिपोर्ट में पढ़ रहा था
32:02तो उसमें हिमालिया के ऊपर कुछ बात कही थी नहोंने
32:05तो यह सेंटर फॉर साइंस एंवायरमेंट की
32:07स्टेट फ इंडियन एंवायरमेंट रिपोर्ट आई थी दोजाब़ीस की
32:10तो बता रहे थे कि 44 परसेंट जो क्लाइमेट
32:13रिलेटेड इंसिदेंट होते हैं इंडिया में
32:16वो हमालेन रिजन नहीं होते हैं
32:18इसलिए लद्दाक में यह अंदोलन हो रहा है
32:20क्लाइमेट रिलेटेड जो डिजास्टर्स होती हैं
32:26और एक्स्ट्रीम इवेंट्स होते हैं
32:28वो लगबग आधे हमाले के ही क्षेत्रों में होते हैं
32:33और हमाले हमारे लिए बहुत मजबूत
32:36और बड़ी चीज है उसको हम कहते हैं
32:38कि उत्तरी दिशा का हमारा प्रहरी
32:40लेकिन आप अगर जियोलोजिस्ट से पूछेंगे
32:43तो कहेंगे हमाले बहुत कमजोर पहाड़ हैं
32:46उन्हें बोलते हैं यंग फोल्ड माउंटेंस
32:48यंग फोल्ड माउंटेंस
32:50इसलिए आप आते हो कि उन्हें भूस खलन इतना ज्यादा होता है
32:53क्योंकि अभी यो कच्छे पहाड है
32:55हमाले अभी भी
32:57कुछ सेंटिमीटर प्रतिवर्श उठ रहे हैं
33:00अभी यो बन रहे हैं अभी यो बच्चे हैं
33:02यंग हैं यंग फोल्ड माउंटेंस बोलते हैं उनको
33:04उनका निर्मान भी भी हो रहा है
33:06वो बहुत पुराने नहीं है
33:07अरावली के परवत ले लो बहुत पुराने है
33:09उनमें कुछ नहीं धस्ता
33:12या कि आप विंध्या चल चले जाओ भी पुराना
33:14लेकिन हिमालया नया है
33:17हिमालया आप जानते हो न कैसे बनाए
33:19कि एक भूखंड आ करके
33:23जो पुराना एशिया था उससे टकरा रहा है
33:25और जब दो ऐसे टकराते हैं तो बीच में ऐसे हो जाएगा
33:27यह ऐसे था यह आया आया ऐसे
33:29तो यह हिमालया है
33:30यह ऐसे आया बहता बहता बहता बहता बहता इसे टकरा यह हिमालय
33:33हिमालय अभी बहुत कच्चा है
33:35उस हिमालय का क्या होगा
33:38क्लाइमिट चेंज के साथ अब सोच लो
33:40और आप जा करके देखो
33:42तो हिमालय में किस तरीके से
33:44पेड़ काटे गए हैं और वन संपदा
33:46बरबाद करी गई है
33:47और जहां से वहां जो कुछ भी
33:50लूटा जा सकता है लूटा गया है
33:52हम यहां बैठे हुए हैं मैदानों पर हमें
33:56उतना अंतर नहीं पड़ता है पर जो लोग वहां के
33:58वासी हैं वो तो
34:00बिलख रहे हैं ना
34:02जोशी मठयाद है
34:06और कुछ
34:09हमाले क्या होता है
34:30जानते हो ना हमाले वो
34:33वो दिवार है
34:35जिससे टकड़ा करके मौनसूनी
34:37हवाएं बारिश बनती है
34:39इसलिए सबसे आदा बारिश उत्तर भारत में
34:43कहां होती है
34:44परवतों में क्योंकि हमाले ही
34:47वो दिवार है आपकी
34:49बंगाल की तरफ से मौनसून
34:51की हवाएं आती है और वो
34:53हमाले की दिवार से टकराती है
34:55तो बारिश होती है पूरे उत्तर भारत में फिर
34:57उस दिवार पर ही सुखा पढ़ने वाला है
35:00तो बाकी भारत का क्या होगा, सोच उत्तर प्रदेश का क्या होगा
35:03बिहार का क्या होगा, हर्याना का क्या होगा
35:05राजस्थान में वैसे ही नहीं कुछ होता
35:07पंजाब का क्या होगा
35:10सोच लो
35:11हिमाले पर सूखा
35:15अकलपनी ये बात
35:18वो होने जा रहा है
35:21और है कुछ
35:25सर अगर तीन डिगरी तर टेमपरेचर बढ़ेगा
35:28आवरेश तो एक चीज़े जिसके हम बात नहीं करते हैं
35:30पॉलिनेशन
35:31पढ़ा है और बहुत reliable sources से पढ़ा है कि ये तीन डिगरी का भी जो अंदेशह है
35:37ये भी पार होने वाला है
35:40लोग 5 डिगरी तक की बात कर रहे है
35:42मतलब ये भी conservative सेनारियो है
35:46जो extreme सेनारियो से में 5 डिगरी तक जा सकता है
35:49मतलब यहां पर जोननोंने study में बताया है
35:52वो ही है कि यदि 3-4 डिरी तक पहुंचे का टेमरेचर
35:54जो पॉलिनेशन होता है
35:55वो रिड्यूस बाइ हाफ मतला आधा हो जाएगा
35:58ये जो फूलों का
36:00पॉलिनेशन है आप जानते हो
36:02ना ये सब के पास ये सी नहीं होते
36:04पेड़ पॉधों के पास
36:05उनका पॉलिनेशन ही खत्म हो जाना है
36:10बहुत वजहों से
36:14पॉलिन ग्रेंज कम प्रोड्यूस होंगे
36:16और जो एजेंट है पॉलिनेशन का
36:18जब वही नहीं बचेगा तो पॉलिनेशन कहां से होगा
36:21पॉलिनेशन के लिए क्या चाहिए होता है
36:24कोई कीडा कोई भौरा जब वही नहीं बचाये तो पॉलेनेशन कहां से होगा पॉलेनेशन नहीं होगा तो तुरंत प्रजाति समत
36:32वेकिन हम हमारे पास बहुत सारे मनोरंजग जुन जुने हैं हम टीवी में मूँ डाले हुए हैं हम सोशल मीडिया मूँ डाले हुए हैं और जो मुद्दा
36:46ऐसा है कि महा विनाश की इतिहास में कभी ऐसी नहीं चीज हुई उससे हम बेखबार हैं बिलकुल सो रहे हैं
36:56अगर कुछ मुठी भर इंसान बच गए तो वो हमारी पीडी से पूछेंगे कि तुम कितने बेवकूफ लोग थे यार
37:04तुम राजनीती में घुसे हुए थे
37:06तुम तूतू मैमे में घुसे हुए थे
37:09तुम ये समुदाय उस समुदाय में घुसे हुए थे
37:11तुम खेल, कॉमेडी, मनुरंजन इसमें घुसे हुए थे
37:15तुम इसमें घुसे हुए थे कि अभी और किस तरीके से हम
37:19बड़ी बड़ी इमारतें बनाए जब प्रलाय आ रही थी तो ये सब मुर्खताएं कर रहे थे
37:27हमने बहुत सारे आयामों में बात करी कि यहां कितना नुक्सान है
37:33यहां कितना नुक्सान है यहां कितना नुक्सान है यहां कितना नुक्सान है
37:37जो conflict theory होती है
37:41strategy में
37:42वो मालू में क्या बोलती है
37:43वो बोलती है
37:44यह सब आप अलग-अलग देख रहे हो
37:46लेकिन जब यह सब एक साथ होते हैं
37:48तो इंटिप्लाई कर जाते हैं
37:50आपने एक जगह देखा
37:55कि 10% नुकसान है
37:57आपने दूसरी जगह भी देखा
37:5810% नुकसान है
37:59कि सहाब इन दोनों में तो
38:0310% नुकसान है
38:05जो conflict theory होती है
38:07वो बोलती है
38:08यह दोनों जब एक साथ होंगे
38:09तो वो हो जाएगा
38:101.1 raise to the power 2
38:12यानि 1.21 यानि 21% नुकसान हो
38:1410 नहीं हो
38:1521% हो गया तुरंत
38:16और अगर इस तरह है कि
38:172 की जगे 6 हो जाएगा
38:18तो 1.1 raise to the power 6 हो जाएगा
38:20देख लो
38:21हमने कम से कम अभी
38:2210 अलग-अलग IMO की बात करी है
38:24वो 1.1 raise to the power 10 है
38:26वो देख लो कितना होता है
38:45किसी में दम नहीं है
38:47कि खुल के बोल सके
38:48कि इस पूरी चीज का एक कारण है
38:50जनसंख्या
38:51उल्टे लोग अपने अपने जुंडों की
38:55अपने अपने कबीलों की तादाद बढ़ाने में लगे हुए है
38:58भाई मेरे
39:03carbon emission is proportional to consumption
39:08ठीक है
39:09बहुत सीधी सीधी equation है समझ लो
39:11carbon emission is proportional to consumption
39:13more or less
39:14उसमें जो mediator होता है और technology होता है
39:17consumption with a better technology
39:19will lead to lesser emission
39:20लेकिन आप technology कितनी भी बढ़ा लो
39:24मोटे तोर पे ये बात बिल्कुल
39:26valid है कि consumption is proportional to
39:28emission
39:30carbon emission
39:31और consumption equals
39:34population into
39:36per capita consumption
39:37सीधी सी बात है बहुत
39:38per capita consumption
39:42तो बढ़ना ही है
39:43क्योंकि प्रत्वी पर बहुत अभी गरीब लोग है
39:48उनका तो per capita बढ़ना जरूरी है
39:50वो तो बिचारे भूखे मर रहे हैं
39:51उनको और consumption चाहिए
39:53उनको घर चाहिए
39:54homeless लोग हैं सडकों पे सो रहे हैं
39:56तो per capita consumption तो बढ़ेगा है
39:58और अभी total consumption जितना है
40:00उसके लिए कई प्रत्वियां चाहिए
40:02पर capita consumption तो बढ़ेगा
40:04तो total emission का क्या होगा फिर
40:08वो बढ़ेगा ही
40:09उसको फिर रोकने का एकी तरीका है न क्या
40:11population कम करो उसके लावा कोई तरीका नहीं है
40:14यह में नहीं वा समझ में आरे और किसी सरकार में
40:18दम नहीं है कि यह बात खुलके बोले
40:20कि जनसंख्या को रोकने के रावा कोई तरीका नहीं है
40:25महा प्रलाय से बचने का
40:26हम पूरी प्रत्री को खा चुके हैं
40:44और है कुछ
40:45सर आप जो बहु बात कर रहे हैं उससे जुड़ा एक तत्थ है
40:48एक दिन कहलाता है
40:49अर्थ ओवर्शूट डे
40:50कि पूरे साल का एक वो दिन
40:53जब तक आते आते हम प्रत्री की
40:55उस साल की जितनी रिसोर्स थी
40:57वो सब हम खतम कर चुके होते हैं
40:59तो उसमें कहा जाता है कि अभी प्रत्री का जो
41:01कंजम्शन हम इंसानों का
41:02अर्टूबर में आजाता है
41:03जी वो अगस्त में आजाता है
41:05और और और पहले हो
41:07मत्तब समझ रहे हो
41:08साल भर का बजट दे रखा है प्रत्री ने
41:11कि साब इतना दिया
41:12इकटीजसमबर तक खाना
41:17इन्सान उसको अगस्त में खाके खतम कर देता है
41:19तो अगस्त के बात क्या कर रहे हैं जो तुम्हें लेना नहीं चाहिए तुम्हारे जाया hes
41:39है तो कर्ज की तरह चड़ जाता है और कर्जा हर साल कंपाउंडेड इंट्रेस्ट की तरह है चक्रविद्धि प्राज की तरह बढ़ रहा है पर हमें इसमें आधा रूचिय है कि अगली कौन सी मनुरंजक और उत्तेजक मूवी आ रही है और उसमें कौन सी कोमलांगनी ने आ�
42:09फोटो शूट कर रही है हमें इसमें दादा रूचिय है जानने में एक भी तुम्हारी सेलिब्रिटी है जो यह बात कर रही हो तो तुमने उनको सेलिब्रिटी क्यों बना रखा है एक भी तुम्हारा नेता है जो यह बात कर रहा हो तुमने उनको नेता क्यों बना रखा है �
42:39यह सब तो पाइट पाइपर्स हैं पाइट पाइपर फैमिलिन की खानी पता है न वो अपनी बीन बजाते हुए जा रहा है और सारे चुहे उसके पीछे-पीछे उसने सब को जागर के पाड से नीचे कर दिया सम मर गए वैसे यह सब सेलिब्रिटी आगे अपना तुम्हें सम
43:09मुझे अफसोस होता है जिस बात का जो यह करतूते कर रहे हैं वो सबसे बाद में मरेंगे सबसे पहले इंसानों में मरेंगे जो सबसे गरीब हैं
43:28इसमें सबसे पहले और सबसे ज्यादा गरीबों पर कहर तूटेगा और तूट रहा है और इंसानी गरीबों से भी पहले उन पर तूटेगा जो इंसानी गरीबों से भी ज्यादा गरीब हैं पशुपक्छी और पौधे जिन बचारों की कोई खता ही नहीं
43:44मैं फिर पूछ रहा हूं
43:47उस चिडिया ने हमारा क्या भी गाळा है
43:51जो हमारी हरकतों से
43:52कहीं की नहीं रही बर्बाद
43:54पर हमारे पास हमारी कामनाई है
44:04हमारे अर्मान है
44:05जो हमें पूरे करने है
44:10पूरा का पूरा ग्रह
44:12भेट चड़ गया
44:14हमारे अर्मानों की और ये अर्मान ऐसी चीज है न ये सब कुछ खा लें तो भी पूरे
44:18नहीं होते और कुछ बहुत कुछ है भी और खुछ जाईए देखिए पढ़िए
44:30अगर इतिहास लिखने के लिए कोई बचा रहा न तो इतिहास जवाब मांगेगा
44:46क्या जवाब दोगे
44:47आपको नमस्ते आचारी जी को प्रणाम संस्था के सभी सदस्यों का धन्यवाद
45:04सत्र में जुड़े हुए सभी प्रतिभागियों को सुबकामना है
45:07मेरा नाम महेंद्र है मैं लगनव उत्र पुर्देश से हूँ
45:11मैं क्या करता हूँ वे थोड़ा बताना मुश्किल है करीब MBA करने के बाद
45:1718 साल में भारत के जितनी भी बड़ी अग्रडी कारपोडित कंपनिया है
45:22उसमें कारी करने का उसर मिला
45:2310 साल से करीब मैंने अपना बेवसाय किया
45:26और जीवन बहुत सफलता पूर्वक आगे बड़ा संसार की जो भी मुख्य प्राप्तियां होती है कह सकते हैं
45:34किसी भी इवा का एक सपना होता है जिंदगी में
45:36पद, पृतिष्ठा, पैसा, जीवन में सारी आउशक्ता, माउशक्ता, रुपया, पैसा, गाड़ी, घोड़ा, घर, मकान, विदेश, यात्रा
45:44ये सारी पूर्टी करने के बाद एक अंदर से सब कुछ मिलने के बाद भी खालीपन रहता था
45:50तो अभी ये है कि चारो सत्रों से जुड़ा हुआ हूँ और दो साल से करीब जो आचार जी की सिक्षाओं को ले रहा हूँ
45:57उससे जो एक अमूर्चूल परिवर्टन जीवन में हो रहा है जो भारत की स्थिती थी या पूरे संसार की स्थिती है या जो बड़ा चिंता का विशह था समाज का जैसे नैतिक पसंद हो चुका था
46:08बड़ी देख के कुंठा होती थी हम लोग कार्पोरेट में थे तो रियाक के बाद मैं देखता था सारे इवाओं की हालत की शब मांस और मजिरा की तरफ जो है
46:17वो सो मैं से 99% आदमी आफिस ते निकलने बाद मांस और मजिरा की तरफ अकरशित हो रहा है
46:23तो ये समझ नहीं आ रहाता है कि ये कैसे होगा इस दुनिया का क्या हाल होगा परिवर्तन कैसे आएगा कैसे कोन करेगा
46:30लेकिन जब आचार जी के सानिद में आये जब कि सत्य को करीब से देखा और आचार जी का संगर से देखा
46:35तो मुझे लगा एक नई उम्मीद जगी एक नई आसा जगी और ऐसा लगा कि सायद आप कुछ संभव है
46:42तो इसी उम्मीद के साथ हम लोगों का भी प्रयास है कि जो भी सार्थक से सार्थक सहयोग और मदद कर सकें आचार जी को उसको करते हुए जीवन में आगे बढ़ें
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