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  • 1 week ago
एकतरफा प्रेम जीवन की सबसे गहरी पीड़ाओं में से एक है। लेकिन इसे साधना में बदला जा सकता है। इस वीडियो में जानिए कि कैसे मन को समाधान मिले, प्रेम को भक्ति में रूपांतरित किया जाए और भीतर की मुक्ति पाई जाए। 🌸 चैनल का नाम – Swami Chaitanya Dhyan Sadhna 👉 ध्यान, साधना और जीवन के गहरे रहस्यों पर आधारित वीडियो
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Transcript
00:00आपने कभी किसी से इतना प्रेम किया कि आपके पूरी दुनिया उसी के इर्दिगिर्द गुमने लगी लेकिन बदले में आपको वहीं प्रेम ना मिला
00:17क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपकी दिल से किसी को चाहे
00:22लेकिन सामने वाले ने आपकी भावनाव को स्युकार ही नहीं किया
00:27यही है एक तरफ अप्रेम
00:29जो बार से बले ही मिठा लगता है लेकिन वीतर ही वीतर आत्मा को जलता रहता है
00:37आज मैं आपको बताऊंगा कि एक तरफा प्रेम की आग से मुक्ति कैसे पाई जाए
00:43मन को सांती कैसे मिले और आत्मा को पुरंता का नुबव कैसे हो
00:49एक तरफा प्रेम सबसे बड़ा बरम है
00:54मन किसी एक व्यक्ति प्रटिक जाता है और सोचता है वहीं मेरे सुख का सरोत है
01:01वहीं मेरे जिवन की पूर्ती है लेकिन वस्तिविक्ता यह है कि प्रेम का सरोत बाहर नहीं
01:09प्रेम का सरोत आपके अपनी बित्तर है
01:11जब आप किसी से प्रेम करते हैं और सामने से वैसा प्रेम नहीं मिलता तो पीड़ा इसलिए होती है
01:20क्योंकि हम प्रेम को पाने का साधन बार खोज रहे होते हैं
01:24असल में प्रेम तो आपकी अपनी आतमा के सक्ती है
01:29जिस पल आप यह समझ जाते हैं कि प्रेम किसी और की किरपा से नहीं बलकि आपके हर्द्य की सववाविक गंगा से बैता है
01:39उसी पल मुक्ति का दोवार खुल जाता है
01:42एक तरफ़ प्रेम से पीडित व्यक्ति बार बार सोचता है
01:47कास वो मुझे चाह लेता
01:50कास वो मुझे सिवकार कर लेता
01:53लेकिन यह सोची सबसे बड़ा बंदन है
01:56यहां वो नाम का व्यक्ति आपके जिवन का मालिक बन जाता है
02:00आप अपनी भावनाव की चाबी उसके हाथ में पगड़ा देती है
02:05यह गुलामी है
02:06प्रेम गुलामी नहीं प्रेम तो मुक्ति है
02:10प्रेम किसी को पाना नहीं प्रेम किसी को खोना भी नहीं है
02:16प्रेम तो बस बहना है
02:18जैसे नदी बिना पुछे बैती है
02:21जैसे सुरज बिना सरच्च मत्ता है
02:24जैसे फूल बिना पेक्षा के मैक्ति है
02:27जब आप किसी से प्रेम करते हैं तो समझे कि आपने अपनी आत्मा की सक्ति को पैचाना है
02:34लेकिन अगर सामने वला उसे सुखार नहीं करता तो इसका मतलब यह नहीं कि आपका प्रेम अदूरा हो गया
02:41प्रेम अदूरा हो ही नहीं सकता क्योंकि प्रेम तो आपके बितर से फूरता है
02:47समस्या है कि हम प्रेम को पाना चाहते हैं पकड़ कर रखना चाहते हैं
02:54और जहां पकड़ने की इच्छा है वहीं दुख है
02:57अगर आपका मन एक तरफा प्रेम के पेड़ा से गुजर रहा है
03:10तो पहला कदम यही है, स्विकार करो
03:13हाँ मैंने प्रेम किया, हाँ सामने वाले ने स्विकार नहीं किया
03:21लेकिन यह प्रेम मेरे हर्द्य का था, मेरे आत्मा की अभी वक्ति थी
03:27अब इसे पकड़ कर रोना नहीं है, इसे एक वक्ति बना देना है
03:31यहीं से दिहान का मारक खुलता है
03:34जैसे कबीर ने कहा प्रेम गली, पति साकरी, तामे दो नहें समाई
03:39प्रेम के गली तनी पतली है, जिसमें दो नहीं समा सकते
03:44वहां केवल एक ही समाता है, या तो हैंकार रहेगा या प्रेम
03:48यदि आप किसी के लिए प्रेम करते हैं, लेकिन वह आपके जिवन में नहीं आता
03:54उस प्रेम को बितर की साधना बना दीजिए
03:57उस प्रेम को अपने इस्वर, अपने धिहान, अपने साधना में रुपांतरित कर दीजिए
04:02जो उर्जा किसी इंसान पर केंदरित थी उसे दिवेता की ओर मोड़ दीजिए
04:07एक तरफा प्रेम से मुक्ति के सबसे गहरा मारग है
04:11प्रेम का वास्ते को देशे किसी को पाना नहीं, बलकि आत्मा का उस्तवार करना है
04:17जिस पल आप वित्तर यह समझ लेते हैं, उसे पल आप तूड़ते नहीं, बलकि खिलने लगते हैं
04:25आपका एक तरफा प्रेम वास्ताव में एक अस्रुवाद है
04:30वो व्यक्ति आपके जियोन में केवल आयनाप बनकर आय था ताकि आप अपने बितर के प्रेव को दिख सके
04:39लेकिन आपकी यात्रा वहां रुकनी नहीं चाहिए
04:43यात्रा को आगे बढ़ाना है बितर की ओर याद रखो
04:47एक इनसान आपकी मंजिल नहीं है आपकी आत्रा की ही आपकी मंजिल है
04:52जो तो आज से सकाइट छोड़ दीजिए क्या उसने मुझे नहीं चाहा या परसन वेर्थ है
04:59असल परसन यह है मैं अपने प्रेम को कैसे जागरित करूँ
05:04उसे कैसे साधना में बदलू उसे कैसे दिव्यता के ओर मुड़ दू
05:10जब यह द्रश्टी बदल जाती है तब एक तरफ़ प्रेम बोज नहीं रहता वर्दान बन जाता है
05:17इस यात्रा को स्वामी चितने ध्यान साधना के माद्यम से साधो यहीं से मुक्ती है यहीं से सांती है यहीं से प्रेम का असली सवरूप परकट होता है
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