00:00असली फकिरी क्या होती है फकिरी कोई चोला नहीं है कोई वेश बुसा नहीं है कोई दिखावा नहीं है
00:15फकिरी तो वह है बितर की मोन की सिथिती है जानने कोई चाहा है नहीं कोई अपिक्षा हो जानने संसार काकर्सन है नहीं किसी सवरक के चाहत जान बस मोन है बस खुदा की पस्थिती है बस तसलिम है
00:38आज हम आपको उसी मोन फकिरी ध्यान के और ले चलना चाहता हूँ जहां सूफियों ने अपने जीवन को अरपित कर दिया जहां अल्ला का नाम भी मोन बन जाता है जहां सबद भी चुप हो जाते हैं जहां जिकर भी दीरे दीरे बितर की खामोसी में डूब जाता है
01:00शुरुवात में हर सादक को लगता है कि मोन ध्यान का रथ है चुप बैड़ जाना लेकिन फकिरी मोन ध्यान उससे कहीं आगे है
01:14या केवल उठों की चुपी नहीं है या मन की खामोसी है या विचारों की समापती है बलकी विचारों से पार जाना है
01:26यह वह जगह है जहाँ ना मैं बसता है ना मेरा बसता है बस वहीं बसता है जो अनन्त है जो असीम है जो खुदा है
01:37जब सुफी फकीर ध्यान करता है तो वह किसी अलफाज की तलास नहीं करता वह बस बैठ जाता है अपने आम में डूब जाता है कभी आखे खुली होती है कभी बंद लेकिन मन बितर की आवाज सुनने लगता है
02:00बितर की वह आवाज क्या कहती है कुछ भी नहीं बस खामोसी एक गहरी मदूर स्कून बरी खामोसी
02:17आप इस ध्यान को कभी भी कईम भी कर सकती हैं सुबह उठे तो थोड़ी दिर बैठ जाए श्याम को जब ठक जाए थोड़ी दिर आखे बंद कर ले
02:31कोई मंतर नहीं कोई जिकर नहीं बस मोन बस होना द्यान दे सास बितर जा रही है बार आ रही है कोई छिड़कानी नहीं कोई परियास नहीं बस सास को जाते और आते विए देखना है और बितर की खामोसी को सुनना है
02:54दिरे दिरे ये ध्यान गहरा होता जाएगा
02:59सरीर हलका हो जाएगा
03:02मन सांत हो जाएगा
03:04सोचने की जरूत नहीं बचेगी
03:06तब आप देखेंगे कि आपके बितर एक नई दुनिया है
03:11जान सरफ खुदा है और कुछ नहीं
03:14कभी-कभी इनसान इस मोन में अल्ला का नाम भी खुद बजने लगता है
03:22कोई बितर से पुकार उड़ती है
03:26अल्ला अल्ला की लेकिन वे पुकार भी सबद नहीं होती
03:31वे तो उर्जा होती है
03:33एक कमपन एक थरकन जो पूरे सरीर में फैल जाती है
03:37सुफिलो कहते हैं असली फकीर वही है जो मोन को हो जाए
03:46जिसके पास नै कुछ मांगने को बचे
03:50नै कुछ कहने को जिसका बस होना ही इबदत बन जाए
03:55जब आप इस ध्यान में उतरेंगे तो दिरे-दिरे हैंकार टूटने लगेगा
04:01जो मैं बार-बार सामने आता है वह है पिंगलने लगेगा
04:07और फिर बस खामोसी बचेगी एक प्यारी सुगंदित निर्मल खामोसी
04:13यह ध्यान किसी द्रम का बंदा नहीं मांगता
04:16ना मुसलमान ओना जुरूरी है ना हिंदू ना सिक ना इसाई
04:21यह ध्यान तो सरफ इंसान के बितर की यात्रा है
04:25खुदा से मिलने की यात्रा
04:28आईए अभी इसी पल थोड़ी देर इस मोन में उतरे
04:33आखे बंद कर ले सासों पर ध्यान दे और मन के बितर जाकर देखे
04:40कोई विचार उठे तो बस देख ले कोई अवा सुने तो सुले
04:44कोई स्मृति आये तो आने दे लेकिन बितर का मोन ने टूटे
04:49दिरे दिरे बितरे गैराई बन जाएगे
04:53आप आएंगे कि मोन बार लगता था वह बितर भी है
04:58जो सनाटा बार था वह बितर भी है
05:02और वही सनाटा असली फकीरी है
05:05सुफी दरवेसों की मनजारों पर आप जब जाते हैं तो यहीं खामों से मिलती है
05:13कोई चमतकार नहीं, कोई जादू नहीं
05:16बस सच्चा मोन और वहीं मोन अल्ला है
05:20याद रखे, मोन में ही खुदा मिलता है
05:23मोन में ही सत्य परकट होता है
05:25मोन में ही फकीरी का असली रहस है
05:29आप चाहे तो रोज पांच मिंट से सुरुवात करें
05:34दिरे दिरे यह ध्यान आपके बितर उतरने लगेगा
05:38फिर आप देखेंगे आप बदल गए
05:41आपका चेहरा बदल गया
05:43आपके आखों में एक नई चमक है
05:46आपके बोलने का अंदाज बदल गया
05:48क्योंकि अब आपके बितर मोन है
05:51फकीरी, मोन, खुदा का मोन
05:55यही है हसली द्यान, यही है हसली अबादत
05:58यहीं है स्वामी चेतना ध्यान साधना चनल का सच्च संदेश
06:03हम एसी यात्रा पे आपके साथ ही है
06:06फकीरी के इस मार्क पर मौन के इस महासागर में आपका स्वागत है
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