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सरकारी फैसलों में उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाके की पारिस्थतिकी और पर्यावरण की चिंता प्राथमिकता में नहीं है। ऐसे में जब आबोहवा तेजी से बदल रही है और मौसम की मार लगातार तेज हो रही है तो लगता है कि सरकारों ने अपने एजेंडे के आगे सदबुद्धि को तिलांजलि दे दी है। पत्रकार उपेंद्र स्वामी की ख़ास रिपोर्ट #news #latestnews #newsanalysis #netalabyepass #chardhamyatra #dharalidisaster #gangotriyatra #uttarkashinews #climatechange #globalwarming #uttarakhandrain #uttarakhandfloods #deforestation

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00:00पैरों पर कुलाडी मारना कोई उत्तराखंड जैसी सरकारों से सीखे
00:07इस साल बारिश के मौसम में धराली, धराली, स्यान चट्टी, रुद्रप्रया, छेनागाड, चमोली, धौली गंगा
00:17इन सब जगों पर एक के बाद एक हुए हाथसों के बाद ये समझा जा सकता था
00:30को नुकसान पहुंचाने वाली परयुजनाओं, चौड़ी सडकों और उनके लिए पेड़ों की कटाई से बाज आएंगी
00:37लेकिन ऐसा कटता ही नहीं है, यह वह किस लालच में और किस मनुदशा में कर रही हैं, यह समझना मुश्किल है
00:45लेकिन यह हकीकत है कि वह सारी चेतावनियों को ताक पर रखकर ऐसे फैसले कर रही है
00:53वह भी उस समय जब हम लगातार देख रहे हैं कि बारिश का चक्र और तेजी में खासा बदलाव नजर आ रहा है
01:01आपदाएं ज़्यादा भीशन होने लगी है और ज़्यादा जगों पर आने लगी है
01:06इस समय भी राजमे तमाम रास्ते बंद है
01:09माली नुकसान का तो फिलाल अंदाजा भी लगाना मुश्किल है
01:13यहां तक कि कितनी इनसानी जाने गई है
01:16इसका भी फिलाल कोई आधिकारिक आकड़ा उपलब्द नहीं है
01:46दोस्तों वेबाग भाषा की इस खास रिपोर्ट में आपका स्वागत है
01:51खबर है कि उत्राकंट सरकार के अधीन काम करने वाले राज्य के वन विभाग ने
01:57उत्तरकाशी जिले में भागी रथी एको सेंसिटिव जोन में नेताला बाइपास को मनजूरी दे दी है
02:04जबकि ना तो स्थानिय लोग, ना स्थानिय प्रसाशन और ना ही स्थानिय जन प्रतिन थी इस बाइपास को बनाने के पक्ष में है
02:13यहां तक कि सुप्रीम कोट द्वारा गठेत एक उच्च इस्तरिय कमिटी साल 2020 में ही इस बाइपास के प्रस्ता को खारीच कर चुकी थी
02:24लेकिन उसके बावजूद यह योजन अर्द नहीं हुई और लगातार फाइलों में चलती रही
02:29और अब इसे मंजूरी दे दी गई है
02:32इसके लिए 17.5 हेक्टेर के वन इलाके को डायवट किया जाएगा
02:37यानि जंगल को सड़क में तब्दिल करने के लिए अब तक अच्छूते रहे
02:42जंगलों में करीब 2750 पेड काटे जाएंगे जिन में ज़्यादातर देवदार के है
02:50बीती 5 अगस्त को गंगोत्री से करीब 20 किलोमेटर पहले धराली में
02:56खीर गार में अचानक आई बाड के बाद भी लोगों के जहन में एक बड़ा सवाल
03:01इस नाजुप पारिस्टी की वाले इलाके में पेड काटे जाने और सडकों के लिए पहार काटे जाने के बारे में था
03:09लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार ने उसी इलाके में सडक बनाने की मनजूरी दे दी
03:14हाला कि ये मंजूरी धराली हाथसे से दो हफ़ते पहले यानि 21 जुलाई को दे दी गई थी
03:20लेकिन इसे सारवजिनिक नहीं किया गया था
03:23अब कुछ अकबारों में इसे मंजूरी को लेकर खबरे प्रकाशित हो चुकी है
03:27सरकार ने धराली और अन्य हाथसों के बाद भी इस बाईपास की मंजूरी पर पुनर्विचार करने की कोई मैशा नहीं दिखाई
03:36जबकि धराली के बाद उत्राखंड के कई भूवेग्यानिक नेताला बाईपास ही नहीं
03:43बलकि समूची चारधाम सडक परियोजना के मौजुदा स्वरूप को टालने के लिए जोरदार आवाज उठा रहे थे
03:52आईए थोड़ा आपको इस इलाके के नक्षे और सडकों की स्थती के बारे में समझाते हैं
03:58उत्तरकाशी शेहर से हम जैसे ही गंगोत्र के तरह बढ़ते हैं तो थोड़ा ही आगे तेखला नाम की जगय आती है
04:06तेखला से थोड़ा और आगे बढ़े तो भटवारी से पहले हिना नाम की जगय आती है
04:12बाईपास इसी तेखला से हीना के बीच 8.7 किलोमेटर की दूरी के लिए बनना है
04:19उतरकाशी के आगे बढ़ते ही चड़ाई शुरू हो जाती है
04:22यहां के पहाडों की हालत बहुत नाजुक है
04:25जो यहां जमाने से बनीवी सड़क है
04:27उसे भी चौड़ी करने की योजना चारधाम प्रजेट के तहत पहले से चल रही है
04:32इसी में अब यह तेखला हीना बाईपास का नया मसला जुड़ गया
04:37इसी को नेतला बाईपास के नाम से भी जाना जाता है
04:41कहा यह जाता रहा है कि मौजुदा नेशनल हाईवे पर तेखला से हिना के बीच
04:47लैंडसलाइट जोन से बचने के लिए यह बाईपास जरूरी है
04:51चौँकि यह सिमावरती इलाका है
04:54इसलिए यहां राजमार्गों को बननने का काम सिमा सड़क संगठन करता है
04:59इस बाईपास के प्रस्ताव का इतिहास भी काफी हैरान करने वाला है
05:04क्योंकि यह कोई नया प्रस्ताव नहीं
05:07सालों पुराना है और इसका लगातार विरोध होता रहा है
05:11विरोध करने वालों में इस्थानिये लोग और व्यवसाई भी रहे हैं
05:16और वैग्यानिक वा पर्यावरन कारे करता भी
05:182013 में आये केदारनाथ प्रले के बाद से
05:22राज्य में इस तरह के निर्मान पर निग्रानी बड़ी है
05:26केदारनाथ आपडा के बाद
05:28सुप्रीम कोट ने राज्य में अलकनदा
05:31और भागीरती बेसिन में
05:3324 परस्ताविद बिजवी परियोजनाओं पर रुख लगा दी थी
05:36और केंद्र सरकार से एक विसेशग्य समित्री बनाने को कहा था
05:40जाने माने पर्यावरन विद रवी चोपडा इसके प्रभुप बनाए गए
05:45बापे 2019 में सुप्रीम कोट की निग्रानी में
05:50एक और हाई पावर कमिटी रवी चोपडा की ही अध्यक्षता में
05:54चार धाम सडक परियोजनागी समिक्षा के लिए बनाए गई
05:57और उसे राज्य की तमाम सडकों पर निगहा डालने को भी कहा गया
06:01केदारनाथ आपडा से एक साल पहले 2012 में
06:06राज्य सरकार ने उत्तरकाशी से गंगोत्री के बीच 4157 वर किलोमेटर इलाके में
06:14भागी रती एको सेंसिटिव जोन नोटिफाई किया था
06:17ताकि गंगा नदी के उद्गम के आगे उसकी पारस्तिती को बचाया जा सके
06:23निताला बाईपास इसी जोन में आता है
06:25रवी चोपडा कमिटे ने साल 2020 में ही अपने रिपोर्ट में इस बाईपास के प्रस्ताव को खारिच करके
06:32मौजुदा राश्ट्री राजमार को ही बहतर बनाने का सुझाब विया था
06:37कमिटे का मानना था कि तेखला के आगे जो लैंड्सलाइट प्रभावी दलदली जमीन है उसे ठीक किया जा सकता है
06:46लेकिन उत्राकंट सरकार ने वन संदक्षनव संवर्धनम देनियम 1980 में मौजूद छूट के प्रावधान का इस्तमाल निताला बाईपास को मंजूरी देने के लिए किया
06:59जिसमें कहा गया है कि राश्ट्रीय महत्वकी सामरीक परियोजनाओं को केंद्र की समिक्षा के बिना ही राज्य सरकार अपने इस्तर पर मंजूरी दे सकती है
07:09लिया जा इस बाईपास को मंजूरी देने के लिए दूसरा रास्ता बनाया गया
07:15अंग्रेजी अकबार इंडियन एक्सप्रेस ने 29 जुलाई 2024 को यह खबर दी थी
07:22कि सीमा सडक संगठन ने इस बाईपास के लिए वन मंजूरी केंद्रीय वन वपरियावरण मंत्राले से मांगी है
07:30उसके बाद सितंबर में रक्षा मंत्राले ने इस हिस्से को सामरिक वर राष्ट्री सुरक्षा के लियास से बैत्वपण गोशित कर दिया
07:38फिर नवंबर में केंद्रीय वन वपरियावरण मंत्राले ने राज्य सरकार के वन विभा को कह दिया
07:45कि वह से अपने वन अधिनियम में जो छूट का प्रावदान है उसके तहत मंजूरी दे दे
07:50इस तरह उत्तरकाशी के वनाधिकारी और राज्य की नोडल एजेंसी से होते हुए
07:57आखिरकार इस बाइपास को मंजूरी मिल गई
08:00और उच्चाधिकार समीति के सिफारेशों की कोई एहमियत नहीं रही
08:05धराली हाथ से के बाद भी उच्चाधिकार समीति के दो पूर्व सदस्यों
08:10बुगर्ब शास्त्री नवीन जोयाल और पर्यावरण विद हेमंद ध्यानी ने
08:14सरकार से अनुरोध किया था कि वह चारधाम प्रोजेक्ट पर पुनर विचार करे
08:19और नेताला बाइपास का इरादा त्याग दे
08:23क्योंकि वह उस जंगल से गुजरता है जो पहले से ही पुराने लैंड्सलाइट डिपोजिट पर खड़ा हुआ है
08:29उसी में से कई जलधाराएं बैती हैं
08:32वहाँ पेडों को काट कर उस अस्थर जमीन पर सड़क बनाई गई तो बहुत तुकसान होगा
08:38इस अगस्त में भी वहाँ प्रस्तावित बाइपास के रास्ते में काफी मलबा नीचिय भागिरती में जागी रा था
08:44इन दोनोंने केंद्री सड़क परिवन्व राजमार्ग मंत्राले को एक विस्तरत नोट भी पिछले ही हफ़ते भेजा था
08:52इस्थानिय स्थर पर लोगों में भी इस बाइपास का विरोध है
08:55बेशक विरोध करने वालों में वे लोग भी हैं जिनकी रोजी रोटी पर असर बाइपास बनने से पड़ेगा
09:02लेकिन धराली हाथ से के बाद लोगों में धहशक है
09:06और वे पेडों की कटाई और सड़कों को चौड़ी करने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं
09:13हाला कि आम लोगों में विरोध तो कई सालों से हो रहा है
09:16मार्च 2023 में भी आल वेदर चारधाम सड़क संकर्ष समीती ने
09:22इस बाइपास को पर्यावरण के लिए खतरनाक बताते हुए इसके खिलाफ एक ग्यापन स्वापा था
09:28उन्होंने यह भी कहा था कि आगे ही मानेरी बांध के टनल भी है जो किसी भी निर्मान से बैठ सकती है
09:35फिर जुलाई 2024 में भी इसी समीती ने हाई पावर कमीटे के मौजुदा द्यक्ष एके सीकरी को बाइपास की विरोध में ग्यापन सौपा था
09:45हिमालेयन नागरिक द्रश्टी मंच नाम के एक संगठन ने भी बाइपास को मंजुरु के खिलाफ पिछले हफ़ते कई लोगों को ग्यापन भीजा है
09:54निताला बाइपास से 70 किलोमेटर आगे ही धराली है
09:58इस गंगोतरी हाईवे पर उत्तरकाशी जिले में चूंगी बड़ेशी से भेरो गाटी तक पांच चरणों में सड़क चौड़ी करने की योजना है
10:06जाला से लेकर हरशिल और धराली होते वे जांगलापुल तक के 10 किलोमेटर के रास्ते में सड़क को चौड़ा करने के लिए देवदार के करीब 6,000 पेड़ों को काटने की निशान देही कर ली गई है
10:20अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो इलाका पहले ही इतनी तबाही देख रहा है उसको और विनाश की तरफ धकेला जा रहा है
10:30वह अभी तब है जब करीब एक महिना होने के बाद भी धराली जाने वाले सड़क अभी तक खुल नहीं पाई है
10:39क्योंकि कई जुकों से सड़क पुरी तरह बह चुकी है
10:42लेकिन केंदरवराजी की सरकारें हमेशा डिनायल मोड में ही रहती है
10:46फरवरी 2021 में जब चमोली जिले में धोली गंगा में बाड से कई लोगों की जाने गई थी
10:53और तपोवन हाईडरो प्रोजेक्ट को नुकसान पहुचा था
10:56उससे में भी हाई पावर कमीटी के चैर्मेन रवी चोपडा ने इस घटना को चारधाम प्रोजेक्ट से चोड़ा था
11:02लेकिन तब राज्य सरकार ने सुप्रीम कोट में कहा था कि ऐसा नहीं है
11:08उदर खुद सुप्रीम कोट ने दिसंबर 2021 में राश्ट्रिय सुरक्षा का हवाला देते वे
11:13चारधाम प्रोजेक्ट पर उठाई गई पर्यावरन संबंधी सारी आपत्यों को खारिच कर दिया था
11:19मज़िदार बात यह है कि सुप्रीम कोट ने तो उस फैसले में
11:24रक्षा मंत्रले द्वारा मांगी गई सडकों के चोड़ाई से भी तीन मिटर बढ़ा कर चोड़ाई तै कर दी थी
11:29जो मांगा नहीं था वो भी दे दिया था
11:32इन हालात में यह साफ दिख रहा है कि सरकारी फैसलों में इस इलाके की पारिस्थितकी और परियावरण के चिंता प्राथ्मिक तामे नहीं है
11:46ऐसे में जब आबो हुआ तेजी से बदल रही है और मौसम की मार लगा पार तेज हो रही है
11:53तो लगता है कि सरकारों ने अपने अजन्डे के आगे सदबुद्धी को तिलांजली दे दी है
12:00शुक्रिया
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