Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 2 days ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

💡 अगर आपको यह कहानी पसंद आए, तो वीडियो को लाइक और शेयर करना न भूलें!

📩 हमें फॉलो करें:

अगर स्टोरी पसंद आए, तो Like, Share, और Comment ज़रूर करें और Follow करें।


Don’t forget to Follow

Category

😹
Fun
Transcript
00:00मैंने चारो तरफ फूलों की लड़ियां लगा दी हैं ललिता सुलेखा देखकर बताओ कैसा लग रहा है तब भी होली के पकवान बनाने में जुटी ललिता सुलेखा उस जुगाडू कंटेनर घर को देखती है दोनों की आँखों में खुशी के आँसू बर्थ से जा रहे थ
00:30बना लेती हूँ वैसे जितनी गरीबी भरे दिन हमने देखे हैं ये होली के खुशियो भरे रंग गुलाहल मिठाई पकवान हमें खाने को नसीब होगा आखिरकार कौन सी कश्च दायक परिस्थितियों के चलते इन गरीब बहूं को कंटेनर को अपना ठिकाना बनाना पड�
01:00पत्तों का धेर लग गया है सलाई मार कर जुला देती हूँ तब ही आंगन में चूला लीप रही लडिता को सूखे पत्ते देखकर जुगाड आता है कंचन ये पत्ते कितने करा रहे हैं इसकी आँच धाय धाय जले कि दो चार टाइम के इंधन का जुगाड हो जाएगा ये
01:30कलर और नारंगी रंग से घर की रंगाई पताई करवाएंगे तो खूब रावनक आएगे रंग तो खेल रहा है मगर पका रंग तो है उत्रेगा तो नहीं पहनग जी निश्चिनत रहिए नेरोल एक पेंट है बिलकुल पका रंग है सालो साल जलेगा डन भाईया एक एक द
02:00गरीब बहुओं को ताना मार रही थी
02:02सच में सुरीका जी जी
02:04हमारी मकान की हालत एकदम ठीके और जजजर हो गई है
02:07हमें मकान मालिक को बोल कर पेन करवाना चाहिए
02:09एक दो हफते बाद हो लिए
02:10मा जी आप क्या कहती है
02:12नहीं लालिता बहु रहने दो
02:14जितने का मकान मालिक घर की पुताई नहीं करवाएगा
02:16किराया बढ़ा देगा
02:17मेरे बेटे कितनी कचनाई से कंटेनर में खून बहा कर
02:21सौ से दो सो रुपए कमाते धमाते हैं
02:23उसमें पारेवारे खर्चे पूरे नहीं पढ़ते
02:25पिर तीनों बहु खानी की तयारी में जुट जाती है
02:28भगवान करें हमारे पतियों को बढ़कर पगार मिल जाए
02:33ताकि होली पर बच्चों के लिए थोड़े पुए बुरी पकवान बना पाएंगे
02:36अरे ओ नमक हराम
02:38चल जल्दी जल्दी हाथ चला
02:39और अभी तक तुने ये अनाज के बोरी कंटेनर में नहीं ला दी
02:42बोरे बहुत भारी हैं साहब
02:45कंधा अकड़ गए डोते डोते
02:47ससर तीनों के तीनों भाई एक की धाली के चट्टे बट्टे हो
02:51काम चोरी करवालो पगार पूरी चाहिए
02:54काम आधा करना जबा गया से
02:56तभी प्रकाश इंदर भी मदद करवाते हैं कुछ देर बाद
03:00सेट जी सांज जल गई है
03:03आज की धिहारी हमारी दे दीजिए
03:06सेट जी होली का टाइम है
03:08तो तोड़ा हजार दो हजार रुपया जादा चाहिए था
03:11बीवी बच्चों को कपड़े दिलाने थे
03:14और राशन भरवाना था
03:16बै तुम लोगों को एक भूटी कॉरी नहीं जादा देने वाला
03:19के दिहारी पकड़ो चलते बनो यहां से
03:21तीनों हताश मन से थैली में थोड़ा राशन लिए
03:24घर पहुँच कर देखते हैं कि मकान गिर चुका है और सब लोग बाहर बैठे हैं
03:28तबी दोनों बच्चे कानहा रानी रोते हुए आकर उनसे लिपड़ जाते हैं
03:33पिता जी पिता जी अवारा गार डोट गया अब हमोली किस में मनाएंगे
03:40काना बेटा रो नहीं चुप हो जाओ पिता जी आ गई है ना भगवान भी बड़ा निर्दई है
03:46सारे दुख दर्द खरीबों के भागी में लिख देता है तुम तीनों समान बांद लो
03:51कुछ दीर में गरीब परिवार समान बांद कर कमरी की तलाश में निकल जाते हैं
04:10तुम लोग मा के साथ यहीं रहो हम देखकर आते हैं कोई कमरा सस्ते भाड़े पर मिल जाए तो
04:17जी अच्छा तीनों भाई हर तरफ जाकर पता करते हैं लेकिन इतनी महंगाई में सस्ते में कमरा कहां मिलता
04:23सभताश होके लौट आते हैं सब लोग फुटपात पर खुले आसमान के नीचे बैट कर गुजारते हैं अगले दिन तीनों भाई कंटेनर के कार खाने में जाकर काम करते हैं कि तब ही
04:34तीनों भाईयों ने उस विशाल कंटेनर को देखा और उन्हें पिछले रात की बेबसी का भरा मनजर याद आगया
04:47कैसे सब को फुटपात में सोना पड़ा इस कंटेनर को हम ले चलते हैं भंगार वाला आना कारी करके मुश्किल से 50 रुपई देगा क्या पता हमारी जुगाडू पत्नी इसका इस्तेमाल कर ले
04:58जैसे तीनों कंटेनर को घर लाते हैं तो उनकी जुगाडू पत्नियों को उमीद की किरन मिल जाती है
05:04ये कंटेनर तो एक विशाल घर जितने बड़े आकार का है इसमें हमारा पूरा परिवार आ जाएगा
05:10मैं अगर सुरेखा इस कंटेनर को अच्छे से साफ करना होगा देखो कितना जंग लगा है
05:14हमें इस कंटेनर में दर्वाजे खिड़कियां लगाने के लिए लकड़ियां चाहिए होंगी
05:19आप तीनों भाई लकड़ी ले आइए
05:21तीनों जुगार बहुएं खोले मैदान में कंटेनर को अच्छे से टिकाती हैं
05:24और कड़ी मेहनत जोग कर कंटेनर के जंग को साफ करती है
05:27और फिर लकड़ियां इखटा करके दर्वाजे खिड़की बनाती है
05:30कंटेनर घर देखकर दोनों बच्चे खुश होते हैं
05:51दोनों बच्चों के दिल में होली गत्योहार मनाने का अर्मान लगा देखकर शोभा रो पड़ती है
05:57बेघर हो जाने के चलते सबका मन तूटा हुआ था तभी तीनों जुगार बहुएं साहस जुटा कर कहती हैं
06:04हाँ बच्चों हम लोग इस बार धूम धाम से होली का तियोहार मनाएंगे वो भी अपने नए नए कंटेनर घर में
06:10मैं गर बहुँ तुम लोग बिना पैसों के पकवान रंगो लाल पिछकारी का इंतिजाम कहां से करोगे
06:18सब हो चाहेगा मान जी आप चंता मत कीजे
06:21सुरेखा कंचन चलो मेरे साथ
06:23तीनों बहुए काम की तलाश में कोठियों में दरदर भटकती हैं मगर उन्हें काम नहीं मिलता
06:28तब ही वो एक माली को कई सारे फूलों से भरे हुए डाली को फेकते हुए देखती हैं जिससे उसे जुगार आता है
06:34माली काका अगर ये फूल और पत्ते आपके काम के नहीं हैं तो क्या हम ले ले इसे
06:39हाँ बेटिया ले राओ बगिया की छटाई की है उसी में से निकाले है
06:44हो गया हमारे रंग गुलाल का जुगार अब हम बिना पैसे खर्च किये इन रंग बे रंगे फूल और पत्तों से शुद्ध गुलाल तयार करके होली के बाजार में बेचेंगे
06:53गर आकर तीनों गुलाल बनाती हैं जैसे की गेंदे के फूल से पीला गुलाल गुडहल के फूल से लाल गुलाल और पत्तों से हरा गुलाल बनाकर बाजार में बेचने जाती हैं
07:04आईए आईए और थोक सेल में खरीदिये खुशबुदार फूलों से तयार शुद्ध होली के रंग बेरंगे गुलाल।
07:10देखते ही देखते उन तीनों गरीब जुगाडु बहु से खुशबुदार गुलाल खरीदने के लिए ग्रहाकों की भीड जम जाती है और सारे गुलाल बेच कर वह अपने कंटेनर घर लोटती है।
07:40खरीद कर लाती हैं जिसमें गुजिया बन कर तयार हो जाता है।
07:44देखो लगभग आधे किलो खोया आधे किलो मैदा में हमने कितनी सारी गुजिया बना ली। चलो इसे चाशनी में डुबो दो अगर एक गुजिया भी हम दस रुपे में बेचे तो होली के त्योहर का खर्चा निकल जाएगा।
07:54तभी काना एक प्लास्टिक की बोतल में पानी भर कर अंदर आता है और उन तीनों के साथ खेलने लगता है।
08:00अरे अरे अरे मेरे नटकट काना तुमने बोतल में पानी क्यों भरा है।
08:09यह सुनते ही तीनों का दिल भराता है तबी सुरेखा को प्लास्टिक की बोतल देखकर जुगाड़ाता है।
08:26अगर हम तीनों चाहें तो इस प्लास्टिक की बोतल से पिचकारियां तयार कर सकते हैं और इन पर रंगाई करके 20-30 रुपे में आसानी से पिचकारी बेच सकती हैं।
08:36सजहाब तो बहुत अच्छा है जैसे हमने कंटेनर से घर बनाये वैसे पिचकारी बनाएंगी और प्लास्टिक की बोतल कबाड़ी की दुकान पर 10-20 रुपे में आ जाएगी।
08:44फिर तीनों बहुत सारे प्लास्टिक की बोतल खरीद कर ले आती हैं।

Recommended