"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00अब इसको होने को आई है लेकिन एक भी रिष्टा नहीं मिल रहा जहां मैं तेरी शादी करवा सको। सब लोग मोटा दहेज मांग रहे हैं।
00:07मां अगर मेरी शादी नहीं भी हुई न तो कोई बात नहीं मैं पूरा जीवन आपके साथ रही सकती हूँ हम दोनों को किसी की जुरत है क्या।
00:15खबरदार पूजा चो आज के बाद तुने ऐसी बात गही तो माना कि मैं गरीब हूँ तेरे लिए रिष्टा नहीं देख पा रही। इसका मतलब ये नहीं कि सारी जिनकी तुझे अपनी च्छादी पर बिटा कर रखू।
00:26अरे तुझे क्या पता कुवारी लड़की घर में रहे तो लोग क्या क्या बात बनाते हैं।
00:31तब ही बंडित आ जाता है।
00:33राम राम जानकी देवी जी आपके लिए एक शुब समाचा लाया हूँ।
00:37आपकी बेटी के लिए एक ऐसा दामाद मिल गया है जो आपसे दहिज में एक रुप्या भी नहीं लेगा।
00:42क्या सच में।
00:44जी जानकी जी लड़का मिल गया है परिवार वाले भी अच्छे हैं लेकिन परिवार में कुल सौ लोग हैं उस घर में पूजा बिटिया को अकेले ही सब कुछ समालना होगा।
00:56क्या पंडिची आप ये क्या बोल रही हैं आज के जमाने में एक बहु छे लोगों को भी नहीं संभाल पाती मेरी बेटी सौ लोगों के ससरार को कैसे संभालेगी मेरी बची का क्या हल होगा।
01:08ही हे थो मैं नहीं जानता पर इतना जरूर जानता हूँ कि आपकी बेटी का संसार बस जाएगा।
01:14ये बात आप भी अच्छे से समझती हैं कि भाई साब के बिना बेटी के शादी करना कितना मुश्किल है।
01:19ठीक है, मैं इस रिश्टे के लिए तयार हूँ।
01:23पूजा बेटी मैं विद्वा औरत तेरे पापा के बिना मैंने तुझे कैसे पाला मैं ही जानती हूँ।
01:34जहां तुझे थोड़ा कश्ट सहना है, वहां और सही। जब मापने फैसला कर ही लिया है तो ठीक है।
01:41फिर पूजा अपनी मा की बात सुन, सौ लोगों के ससुराल में शादी करने को हां कर देती है।
01:46शादी करके अपने ससुराल पहुंच जाती है, जहां बहुत सारे लोगों को देख उसे घबराह डो जाती है।
01:51ये भगवान मेरे ससुराल में इतने सारे लोगों को देख ऐसा लग रहा है जैसे चार पुष्टे जमा हो गई है
01:57बहु बन में क्या बड़ बड़ा रही है अपने ससुराल वालों से तो मिल ले तुझे बहुत भीर सी लग रही होगी न पर बता देती हूँ
02:06ये तेरे सौ लोगों का ससुराल है जहां तेरे सास ससुर मेरे पोते मेरी सास पती मेरे चार बेटे दो बेटिया मौसी मौसा चाचा चाची उनका परिवार सब हैं दिरे दिरे जान जाएगी
02:20और क्या बहू मेरी जी ठानी जी बिल्कुल ठीक कह रही है और मैं तेरी चाची असास
02:25कुसुम अगर तेरी सास तुझे कुछ ना बताएं तो मेरे पास आना
02:29जी चाची जी
02:31चाची आ गई चाची आ गई चाची आ गई चाचा के साथ रहूँगा और चाची के साथ सौँगा चाची के साथ खाना खाऊंगा चाची के साथ मेरी भी चाची से शादी होई है मैं भी तो चाची के साथ गोड़ी पर बैट कर गया था ना
02:47चंदू, सबका बंदू, फिर तेरी शराराश शुरू, हाँ
02:54घर के सबसे चोटे महमान के बाद सुन कर सभी हसने लगते हैं
02:58और अंगूठी की रस्म के बाद घर के सारे परिवार आराम करते हैं
03:02अगले दिन बहु डर-डर कर अपनी पहली रसोई का खाना बना रही थी
03:17पूरे 6-7 किलो के चावल बेंगर बनाने हैं
03:21पाश दरे की सबसी, पापर, पूड़ियां, कचोड़ी, इतना सब तयार करना है आपको
03:25हाँ बहू, गटे की और दमालो, सोया बड़ी की सबसी, ये तो तुम्हें जरूर बनानी है
03:31हे भगवान, इतनी मुश्किल वाली सबसी मुझसे आज ही बनवानी थी इन लोगों को
03:36तरस नहीं आता क्या, सो लोगों का खाना बनाओ, वो भी पहली रसोई में
03:41वो, माजी, मुझे बहुत कबरहाट हो रही है, मेरे साथ इस रसोई में जिठानी जिया, ननन जी, कोई तो होगा न, मैं अकेले काम कैसे कर पाऊंगी, माजी
03:49अरे ये तुम्हारी पहली रसोई है, सबकुल तुम्हें खुद ही करना होगा, हम भी तो देखें, तुम सो लोगों का खाना बना सकती हो या नहीं, फिर देखते हैं मदद के लिए तो
03:59सुमित्रा बहु ने बेलकुल ठीक कहा, चलो अब मेरी चोटी बहु को अकेला छोड़ दो
04:03पूजा मनी मन रोते रोते सस्राल के सौ लोगों के लिए बड़े बड़े पतीले में अकेले अलग-अलग तरह का व्यंजन बनाती है, जिसे बनाते बनाते उसे तीन घंटा हो जाता है, और सास भी डांट देती है, फिर सबको खाना खिलाने पर पूजा को तारीफ मिलती है
04:33खेर कोई बात नहीं, ये ले अपना शगुन, शक्रिया दादी जी, इतना सारा खाना बनाना था मुझे, मीठा बनाने का याद ही नहीं रहा, मैं शाम को बना दूँगी
04:44चाची, चाची, मुझे ना डोरे मून वाला डोरा की खाना है
04:49अरे-अरे, चंदू, माना की तो इस गर का सबसे चोटा सदस है, लेकिन हम भी कुछ कम नहीं है
04:55बहु बुआ को तो किसी ने पूचा ही नहीं, सब की पसंद का बन रहा है, बहु मेरी पसंद का सोजी का हलवा बना ले सबसे आसान है
05:03अरे भाई, इतना सारा मीठा बनेगा, तो कुछ चटपटा भी तो होना जाये, बहु छोले टिक की बनाना
05:10इन ससुराल वालों की फर्माईट सुनकर मेरा फेजा फटने को हो रहा है, ये तो कसाई से भी ज़्यादा जुल्म कर रही है
05:17मैं बनाने वाली एक और ये खाने वाली सौ लोग, जिसमें से कोई मेरी मदद नहीं करने आया
05:23किसी नहीं नहीं पूझा कि बहु पांच घंटे से कैसे अकेली रसोई में खाना बना रही थी
05:28और अब ये सब मेरी दुलंका लग गए, ये अच्छा है, मैं गरीब क्या हूँ, सौ लोगों के बीट जी हुजूरी करने पहाच गई
05:35और ना चाते हुए भी प्टको शाम के खाने में घर के अलग-अलग सदस्ते और गामन पसंद मीठा बनाना पड़ता है
05:41जिससे वो सब का दिल तो जीत लेती है, लेकिन बिचारी की हालत खराब हो जाती है
05:45दीरे-दीरे वक्त को दरता है, घर में जिठानी, नंद, कोई भी उसके मदद नहीं करता
05:50वो घर का खाना बनाने से लेकर सौ लोगों के धूठे बरतन साफ करना, उनके कपड़े प्रेस करना, धोना और छोटी-छोटी चीजों को पूरे करने में पूजा का पूरा दिन यूहीं बरबाद हो जाया करता था
06:01अंदरी-अंदर अब वो रो रही थी
06:03सौ लोगों के ससुराल में अकेली बहु के जन संभाद रही है, किसी को शरम नहीं आती न तरह साता, बस और जला देती है
06:12बच्चे तो बच्चे पूरे भी ऐसे ही है, काश मा के पास कुछ दिन रह पाती, इससे अच्छा तो मैं शादी ही नहीं करती
06:19पूजा देखो तो तुमसे मिलने कौन आया है, मा
06:22पूजा विटिया कैसी है तू?
06:25पूजा अपनी मा को देखते इस सबजी छोड़ अपनी मा के गले लग कर फूट फूट कर रोती है
06:29अच्छा वा मा, आप आ गई, मुझे आपकी बहुत याद आ रही थी
06:34मैं जानती हूँ मेरी बच्ची, तब ही तो आई
06:37आप दोनों बाते कीजिए, मैं बाहर चला जाता हूँ
06:40रोहित मा बेटी को रसोई में छोड़ जाता है
06:42पूजा अपने सारे दुख दर्द अपनी मा को बता देती है
06:45और इतने में खाना बनाने में मा उसकी मदद करती है
06:48जल जल्दी जल्दी से मैं तेरा काम करवा देती हूँ
06:51अच्छा है कोई आया नहीं, सौ लोगों के पूड़ियों का आटा 6-7 किलो
06:56सही रहेगा ना, मा आप क्यूं काम कर रही हो, मुझे अच्छा नहीं लग रहा
07:00तो क्या, इस हाल में तुझे अकेला छोड़ दू, चल जल्दी काम करवा
07:05ये कहकर जानके अपनी बेटी के साथ सौ लोगों का खाना तयार करवा देती है
07:09जहां पूजा को थोड़ी राहत मिलती है, दो दिन अपनी बेटी के साथ रहे कर, जब वो जा रही होती है, तब पूजा जोर से पकड़ लेती है
07:16मा जाओ मा, मैं जानती हूँ, तेरा पिल्कुल मन नहीं है मुझे भीजने का, पर बेटी, मुझे जाना पड़ेगा
07:26और तुझे अपना ससुराल भी संभालना पड़ेगा
07:30अपनी बेटी से खुद को छुड़ा कर जान की चली जाती है, अगले दिन पूजा
07:34मा जी, नाश्ती में क्या बनाऊ, सब के लिए चाई पकोड़ी
07:38भावी मैं ब्लैक कॉफी पिलूँगा, अंके तोर मैं ग्रीन टी
07:42चाची मैं कॉम प्लैन
07:44मुझे तो बभू गाजर का जूस, कुसुम बभू हर्दी का दूद लेगी
07:51भावी मैं तो करेले का जूस, और मैं तो पूजा चाई ही पिलूँगा
07:57ये सुखराज बभूला होकर पूजा के आँसू मिक्सी चलाते हुए बह जाते हैं
08:04सब के पसंद का नाश्टा देकर पूजा अपने कमरे में चली जाती है
08:20और फिर से पती से अपनी परेशानी का जिक्र करती है
08:22लेकिन रोहित उल्टा उसे ही कह देता है
08:24ससुराल का काम इतना बढ़ जाता है कि पूजा को पूरे दिन में सिर्फ दो घंटे ही सोने को मिलते है
08:30वक्त ऐसा हो जाता है कि ना उसे खाने का टाइम मिलता ना आराम का जिससे उसकी तबियत भी खराब हो जाती है
08:36शाम को खाना देने वक्त सस्राल वालों के सामने ही वो बेहोश हो जाती है
08:41सब लोग बहु को अस्पतार लेकर पहुंचते हैं जहां बहु का एलाज होता है
08:54रोहित परिशान होता है
08:55अरे इतने सारे लोग आपके घर से हैं क्या
08:58हॉस्पिटल में इतने लोगों का रुखना ठीक नहीं है
09:01या सिर्फ दो से तीन लोग ही रह सकते हैं
09:03पती के अलावा
09:04और आप कैसे लोग हैं जरा सा भी खायल नहीं रखते
09:06खाने पीने को चार दिन से उने कुछ दिया नहीं है क्या
09:09हाँ ब्लड प्रेशर लो है हिमोग्लोबिन भी कम है
09:12फिलाल इन एक लूंकोस चड़ रहा है
09:14ये सब मेरी वज़ा से हुआ है
09:16मुझे उसके बाद सुन लेनी चाहिए थी
09:18मतलब
09:19मतलब ये डॉक्टर सौ लोगों की ससुराल में
09:22इतने लोगों की होने के बावजूद भी
09:24किसी ने मेरी मदद नहीं की
09:26घर का सारा काम
09:27दवाई, जारू पोंचा
09:29सब मैंने किया
09:30हर ससुराल में ऐसा ही होता है क्या
09:32कि नई बहु क्या आते ही सब कुछ उस पर छोड़ दिया जाता है
09:35हरे आप तो बड़े कमाल के लोग है
09:37चिंतर जताने सारे आगे
09:39मदद करने कोई नहीं आया
09:40मुझे माफ करते बहु
09:42मेरे साथ सब की गलती है
09:44किसी ने तेरी मदद नहीं करवाई पर
09:46अब से ऐसा नय दोबरा किसी के साथ नहीं होगा
09:49आज ही घर में दो से तीन नौकर आएंगे
09:52इस तरह पूजा को कुछ दिन आराम करके
09:55उसके घर भेज दिया जाता है
09:56और जब वो वापस आती है