"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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FunTranscript
00:00हाई दया, हाई दया, बड़ी पोता बहू, यह कैसा दहेज का सामान लेकर आये, यह तो देखने में कुछ ज़्यादा ही सस्ता लग रहा है, मुझे तो डर है कि कहीं ज़्यादा तेज से चुआ तो तूट ना जाए
00:11छोड़िये न दादी सास, आप क्या चिठानी जी के सस्ते दहेज की सामान को देख रही है, यहाँ अगर मेरा सामान देखिये, मेरा सारा दहेज का सामान महंगा और एक्स्पेंसिव है, तभी प्रेम लतार आधिका के दहेज की सामान को छूते हुए कहती है
00:27आरा अधिका बहु तेरा दहेज को सामान तो बहुत ज्यादा बहेंगा लग रहा है
00:31देखो पीऊ तुमारी देवरानी कितना महेंगा दहेज को सामान लेकर आई है
00:35लेकिन तुम इतना सस्ता क्यों लेकर आई हो अपने दहेज को सामान
00:39मा आपको पता तो है कि पिवो की पिताजी खेती बारी करते है
00:42और उनसे जितना हो पाया उन्होंने उतना दे दिया
00:45बस आप खतम करिए और हमें घर के अंदर आने दीजिए
00:48हाँ हाँ आओ आओ घर के अंदर आओ आराम कर लो
00:52अगर देवरानी जी का महंगा दहेज का पलंग उनके कमरे में जा रहा है तो मेरे भी दहेज का पलंग मेरे कमरे में लगवा दीजे
01:08अब प्रेम लता के दोनों बेटे अपने अपने अपने कमरे में लगाते हैं
01:13अगले दिन सुभा दोनों देवरानी जिठानी अपनी रसोई में पहली रसोई का खाना बनाने जाती है
01:18हैरे ये क्या जिठानी जी आप दहेज में ये एक स्टोप वाला चूला लेकर आई हैं
01:25कोई बात नहीं देवरानी जी मैं मानती हूँ कि मेरे दहेज का सामान सस्ता है लेकिन मेरे पिता जी ने बहुत प्यार से दिया है
01:43तो मेरे लिए यही बहुत है आहां ठीक है लेकिन ये देखो मेरे पिता जी ने तो मुझे फोर स्टोप गैस दिया है
01:50मसारा पीसने के लिए मिक्सी दी है और खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव दिया है और दिया है बहुत सी एक्सपेंसिव चीज दी है
01:57तुमने तो कभी देखा नहीं होगा न चिठानी जी ये सब
02:00अब राधिका अपनी जिठानी के सस्ते दहेज के सामान को देखकर उसकी बेज़ती करती है
02:06कुछ देर बाद दोनों देवरानी जिठानी अपनी पहली रसोई का खाना बना रहे होते हैं
02:10वही पिहू बेलन से रोटी बेल रही होती है कि तभी उसके हाथ से वो बेलन तूट जाता है
02:14तभी वहाँ पर प्रेम लता आती है और पिहू के हाथ में टूटा बेलन देखकर कहती है
02:19हरे बहुआस तो तुने अपने दहेज के सामान को पहली बार इस्तिमाल किया है और ये पहले देनी तूट गया
02:24तूटेगा ही न माजी जब सस्ता होगा तो बिचारी जिठानी जी
02:30वैसे जिठानी जी अब आप अपनी रोटियां कैसे बनाओगी क्योंकि मैं तो अपना ये महंगा रोटी मेकर तो आपको इस्तिमाल करने नहीं दूँगी
02:37अब राधिका अपनी रोटी मेकर पर गर्मा गरम फुलके बनाने लगती है वहीं दूसरी तरफ पी हूँ अपने एक स्टोब गैस पर चावल चड़ा देती है अगले दिन सुभा
02:54दोनों बहु अच्छे से तयार हो जाना तुम्हें और तुम्हारे दहेच को सामान को देखने के लिए आस पडोस के लोग आ रहे हैं दोनों ही देवरानी जिठानी नहाद होकर तयार हो जाती है कुछ देर बाद पडोस की सुश्मा मालती कल्यानी घर आती है और अमा जी प
03:24सामान दोनों ऐसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा राधिका पी हूँ कहा हो अरे कहा था ना तुमसे मिलने पडोस से कुछ लोग आएंगे कहा रह गई तुम दोनों अपनी सास की बाते सुनकर दोनों देवरानी जिठानी पल भर में वहां हाजर हो जाती है जी मा जी आ ग
03:54देखा दे वैसे हम एक एक करके देखेंगे तेरी बहु का देखा दे पहले बड़ी बहु का दिखा दे फिर चोटी बहु का दिखा दियो हाँ चलो पहले पीहू के कमरे में चलते हैं अब सभी लोग उठकर पीहू के कमरे में आते हैं जहां एक पलंग और एक पुरानी से �
04:24दूर खड़ी पीहू खुद से बाते करते हुए कहती है
04:26वो सब तो ठीक है
04:29मैं मानती हूँ कि मेरे दहेच का सामान सस्ता है
04:31लेकिन बस ये सब लोग एक साथ
04:33इस पलंग पर ना बैट जाए वरना ये पलंग तो यहीं तोट जाएगा
04:36अब पीहू ये सब सोची रही होती कि तभी सुष्मा मालती कल्यानी एक साथ पलंग पर बैट जाती है
04:42कि तभी पलंग से एक चर्र की आवाज आती है और मालती कल्यानी सुष्मा पलंग के अंदर घुश जाती है
04:49अरे प्रेमलता हमें इस तूटे पलंग से बाहर निकाल
05:06सामान को देखने उसके कमरे में जाते हैं, जहां उनकी नजर एक बहुत ही सुन्दर पलंग पर जाती है, दीवार पर लगे 55 इंच की LCD पर जाती है, वहीं एक ड्रेसिंग टेबल रखा हुआ, दूसरी और गोदरेच की अलमारी, फ्रिज रखा हुआ होता है और डबल डोर वा
05:36अब कुछ देर बाद सभी लोग दहेच का सामान देखकर वहां से चले जाते हैं अगले दिन सुभा, आरी बड़ी पोता बहु, ये ज़रा मेरी भी साड़ी वाशिंग मशीन में धो दे, हाँ दीजे ना दादी सास, मैं अभी धो देती हूँ, अब पीहु जैसे ही अपने �
06:06कुछ नहीं दादी सास, जेटानी जी के दहेच का सस्ता वाशिंग मशीन पुग गया, इसलिए इसमें से ऐसी आवास आई, लाइए आपकी साड़ी मैं अपने दहेच के वाशिंग मशीन में वाश करके लाती हूँ, हाई दाईया, ताबा ताबा पोता बहु, तेरे बाप �
06:36पीहु का सस्ता दहेच का सामान खराबी हो जाता था, तबी देर शाम मोहन और विवेक घर लोटते हैं, क्या हुआ मेरे दोनों पोते को ऐसे उदास क्यों बैठे हुए हैं, कुछ नहीं दादी, बस ऐसे थोड़ी ठकान है, काम ज्यादा हो गया था ओफिस में, अब दोनों
07:06पैसे हमने इस कमपनी में लगा दिये, तब ही वहाँ पर प्रेमलता आती है और उनकी आधी बातों को सुनकर कहती है, क्या हुआ मोहन, कैसे लॉस की बात कर रहे हो तुम, और ये तुम दोनों के शकल पर ये कैसा शिकंज है, क्या तुम दोनों किसी बात से परिशान हो, अ�
07:36करेंगे, जो ठीक तरीके से दहेज तक नहीं दे पाए, मुझे तो लगता है कि हमें राधिका के घरवालों से मदद मांगनी चाहिए, जिसने दहेज का सामान इतना महंगा दिया है, उनके पास पैसे की क्या ही कमी होगी, अब घर में सभी लोगों को अपनी कमपनी के बड�
08:06पर लाखों का उधार है, जिस घर में रह रही है, वो घर भी गिर्वी पर है, हम तरी कोई मदद नहीं कर पाएंगे हमें माफ करना
08:13अब राधिका निराश होकर फोन रखती है, और सारी बात अपने ससुराल वालों से कहती है, कोई बात नहीं देवरानी जी, हालात बदलते रहते हैं, आप रुकिये, मैं एक बार अपने पिता जी से बात करती हूँ
08:24और हाँ, क्यों नहीं बीटिया, आखर हमारी बेटी के ससुराल की समस्या है, हम जरूर हल करेंगे, मैं कल ही पैसे लेकर तेरे ससुराल आता हूँ
08:32अब पीहू के गरीब पिता अपनी बची कुची खेती को रातो रात बेच कर पैसे लेगर सुभा तड़के अपनी बेटी के ससुराल पहुँचते हैं
08:40ये लेजिए संधन जी पूरे 10 से 20 लाख रुपए है इससे अच्छी मदद हो जाईगी आपकी
08:46रामलाल जी मैं आपको बता नहीं सकती हूँ कि आपके पैसे से मेरे दोनों बेटों की कितनी बड़ी मदद हुई है
08:53कुछ देर बाद रामलाल वहां से चला जाता है जिसके बाद राधिका के साथ साथ उसके पूरे ससुराल वालों को अपनी गलती का एहसास होता है
09:00मुझे माफ कर दे पी हुबहो मैं हमेशा तुझे तेरे सस्ते दहेज के सामान को लेकर कोस्ती रहती थी लेकिन आज तेरे गरीब पिता ने मेरे दोनों ही बेटों की बहुत बड़ी मदद की है
09:10हाँ जिठानी जी मुझे भी माफ कर दीजे
09:12मुझे भी बहुत घमन था अपने महंगे दहेज पर और अपने पिदा के पैसे पर
09:17लेकिन आड़े वक्त पर तो हाँ आप नहीं अपने पती के साथ साथ मेरे पती की भी मदद करी
09:21मैं आपका यहसान कभी नहीं भूलूँगी
09:24रामलाल के इस मदद से दोनों ही देवरानी जिठानी के अंदर की खटास पूरी तरह से खत्म हो जाती है
09:29जिसके बाद से दोनों ही देवरानी जिठानी अपने महंगे और सस्ते दहेज के सामान को मिला कर इस्तिमाल करने लगती हैं