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"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00गरीब बहु का पत्थर का घर और रसोई का सामान
00:06अनुज तुझे पूरे शहर में ये टीन का ही घर मिला था क्या? इससे अच्छा तो हमारा पुराना वाला घर था
00:14पता भी है इस घर का किराया कितना है? पूरे 2000 रुपए बड़ी मुश्किल से मकान मालिक 1500 रुपए में माना है
00:21पुराने वाले घर की च्छत और दीवारे कितनी जादा तूटी फूटी थी? कम से कम ये घर मजबूत तो है?
00:27हमने वो इस लिए चोड़ा क्योंकि उस टूटी च्छत और दीवारों से धूप की रौश्णी सीधा घर के अंदर आती थी लेकिन यहां तो पूरा घर ही आग की बट्टी बन गया है
00:35ये शहर है शहर कोई गाउं नहीं है अब जो मिला है उसमें ही गुजारा करना पड़ेगा तुम लोग बैठो मैं कुछ खाने को ले आता हूँ चूला बनाने में तो तुम्हें वक्त लगेगा
00:46पूरा परिवार कुछ देर पहले ही इस तीन के घर में आकर बसा था
00:51साक्षी अपनी नंद के साथ उस तीन के घर के कौने में मिट्टी का चूला बनाने लगती है
00:55तो वही मधू लाया हुआ थोड़ा बहुत घर ग्रस्ते का सामान घर में शिफ्ट करती है
01:00थोड़ी देर में अनुजवी बाहर से डाल रोटी लेकर आ जाता है
01:03और अब पूरा परिवार उस तीन के घर में बैठ कर खाना खाता है
01:07मा, यहां कितनी ज़्यादा गर्मी है, देखो न मेरे कैसे पसीने निकल रहे, बहुत ज़्यादा गर्मी लग लिए
01:13पूरा परिवार शाम होने का इंतजार करता है, लेकिन अन्देरा होने के बावजूद भी इस तीन के घर के अंदर गर्मी लगना सब को बंद नहीं होती
01:31दिन तो दिन रात में भी यहां कितनी ज़्यादा गर्मी लग रही है, अनुज कब तक इस तीन के घर के अंदर गुजारा करना होगा
01:37जब से शेहर आया हूँ, तब से एक अच्छी नौकरी की तलाश में भटक रहा हूँ, बड़ी मुश्किल से एक पत्थर की फैक्टरी में नौकरी मिली है, अब जब तक कहीं अच्छी जगा नौकरी नहीं मिल जाती, हाथ में चार पैसे नहीं आ जाते, तब तक तो ऐसे ही
02:07है, घर में कितनी गर्मी हो रही है, मा जी मैं क्या करूं इतनी कड़क धूप हो रही है, उपर से घर के अंदर भी गर्मी कम नहीं है, रसोई का सामान भी ना के बराबर है, इस एक कड़ाई में ही सारी चीज बनाओ, तवा भी देखिये कैसे तूट गया है, मैं वैसे ही रस
02:37अंजली दोनों बच्चों को लेकर सामने बने पार्क में जाकर बैट जाती है, जैसी शाम होती है, तो वापस वो सब घर आते हैं, रात के समय भी हद से जादा गर्मी हो रही थी, इसलिए आज सब लोग घर के अंदर सोने की बजाए बाहर सोने का फैसला करते हैं, जिससे �
03:07पता था कि आसपडोस की लोग सुबा देख कर हम पर जरूर हसेंगे, सब ही लोग अपने घरों में कूलर एसी की टंडी हवा में सो रहे हैं और एक हम हैं, क्या करूँ साक्षी, अब तुम ही बताओ, मैं हर दिन आसपास सस्ता किराय का घर ढून रहा हूँ, जिसमें तुम �
03:37दिन गुजर जाते हैं
04:07फैक्ट्री से लोटते हुए दो छोटे कट्टे लेकर आता है, जिसमें से एक कट्टे के अंदर सफेद चूना और एक कट्टे के अंदर धेर सारे रंग विरंगे पत्थर और टाइल्स के ठुकडे थे
04:17बच्चों हम इन पत्थरों से घर बनाएंगे, देखो मैं अपने साथ सफेद चूना भी लेकर आया हूँ, तुम लोगों का घर क्लास में सबसे सुन्दर है और अलग होगा, किसी न भी नहीं सोचा होगा पत्थर से घर बनाने के बारे में
04:35अपने दोनों बच्चों के साथ रंग बिरंगे टाइल के टुकडे, पत्थर और सफेद चूने की मदद से अपने बच्चों के स्कूल प्रोजेक्ट के लिए एक छोटा सा घर बनाता है, जो उनकी क्लास टीचर को काफी ज़्यादा पसंद आता है और उन्हें फर्स्ट प
05:05में काफी ठंडग होती थी, जिस तरह से आपने बच्चों के स्कूल के प्रोजेक्ट के लिए छोटा सा घर बनाया है, ठीक उसी तरह क्यों ना हम लोग अपने रहने के लिए इन पत्थर से एक घर बनाये, अब आप खुदी देख लीजे, इस चोटे से पत्थर घर के अं�
05:35जानती हूँ, समय लगेगा लेकिन हमें कोशिश तो करनी होगी न, अगर हम नाकाम्याब रहे तो मैं कभी आप से घर को लेकर बात नहीं करूंगी
05:42सभी लोग साक्षी की बात में हामे हामे लाते हैं
05:52जानती हूँ लेकिन हम खूब मेहनत करेंगे और जल्दी अपना पत्थरों का घर बनाएंगे
06:12साक्षी और अनुज के पास जितने भी पत्थर थे वो उस पत्थर की मदद से अपने खर की नीव रखना शुरू कर देते हैं
06:19तकरीबन एक हफ़ते तक वो लोग सिर्फ दो कमरे ही बना पाते हैं और सारे पत्थर खतम हो जाते हैं
06:25मा पत्थर तो खतम हो गया और अभी तो हमारा पूरा घर भी नहीं बना बच्चों फिक्र मत करो जल्दी बन जाएगा हमारा घर दो कमरे में तो बन चुका है बागी की चीज भी हम जल्दी तयार कर लेंगे
06:36अनुष धीरे धीरे करके अपनी फैक्तरी से बेकार पत्थरे कठा करना शुरू कर देता है तो वहीं दोनों बच्चे भी अक्सर नदी किनारे खेलने के लिए जाया करते थे जो उन्हें नदी और आसपास काफी रंग बिरंगे पत्थर मिलते हैं
06:48सोहानी और वरोन नदी किनारे से धेर सारे और भी पत्थर ले आते हैं और अब एक से देड़ हफते की लगातार मेहनत के बाद आखरकार इस गरीब परिवार का पत्थर का घर बनकर तयार हो जाता है
07:08अंदर से काफी ठंडा और देखने में भी काफी जादा सुन्दर था
07:12सोचा नहीं था कि हमारा घर इतना सुन्दर लगेगा
07:16लेकिन भाबी अभी तो धेर सारी पत्थर बचे हुए इनका क्या करेंगे
07:20घर के साथ साथ मेरी रसोई भी बन चुकी है लेकिन रसोई में एक भी सामान नहीं है
07:24अब मैं इन पत्थरों से ही रसोई के लिए सामान बनाऊंगी
07:26साक्षी उन सभी पत्थरों मेंसे बड़े बड़े पत्थर निकाल कर उन्हें अच्छे से घिस देती है
07:31और कुछ पत्थरों से हांडी कढ़ाई तो कुछ से तवा और प्लेट चमच जैसे सामान बनाती है
07:37घर के साथ साथ अब साक्षी की रसोई का सारा सामान भी पत्थर का बन चुका था
07:41ऐसे कुछ दिन गुजर जाते हैं साक्षी की पड़ोसन श्रिया साक्षी के घर आज हलवा लेकर आती है
07:47जैसे ही श्रिया साक्षी की पत्थर की रसोई और उसमें रखा समान जो सिर्फ पत्थर का बना हुआ था उसे देख काफी हैरान होती है
07:55साक्षी तुम्हारे घर में तो सारे के सारे बरतन पत्थर के बने हुए ये क्या सब तुमने खुद बनाया है
08:00हाँ जिस तरह हमने ये घर तैयार किया ठिक उसी तरह पत्थर के बरतन भी तैयार किये है
08:06पता है इन बरतन का मार्केट प्राइस कितना है
08:08ज्यादा नहीं होगा 100-200 या ज्यादा से ज्यादा 300-400
08:12तुम जानती भी हो मार्केट में इस तरह के बरतन 1000 रुपे की कीमत पर मिलते
08:16बड़ी-बड़ी शेफ होटेल में ऐसे ही बरतन में खाना बना कर लोगों को सौब करते
08:20मेरी मानो तो तुम इन बरतनों को सेल करना शुरू करो
08:23लेकिन हमारे एरिया में कोई इतने महेंगे बरतन क्यों ही खरीदेगा
08:26यह बात भी ठीक एक काम करो तुम इसे ओनलाइन सेल करो
08:29मैं online तुम्हारी profile बनाती हूँ और वहाँ पर तुम्हारे इन सभी बर्तनों की image डालती हूँ
08:33जिसको भी बर्तन पसंद आया और जिसे भी इसे खरीदना होगा तो वो आराम से online अपना order दे देगा और तुम्हारी sell भी होगी
08:40साक्षी को श्रिया का idea काफी ज़्यादा पसंद आता है जिसके बाद अब साक्षी और भी कई तरह के पत्थर के बर्तन बनाती है और साक्षी उनकी image को online upload कर देती है
08:51कई सारे लोगों को साक्षी के बने हुए पत्थर वाले बर्तन काफी पसंद आते हैं
08:56और अब कई लोगों के तो साक्षी के पास ओर्डर भी आ जाते हैं
09:00देखा साक्षी मैंने कहा था ना कि लोगों को तुमारे पत्थर के बर्तन काफी पसंद आएंगे
09:04ये देखो हफते भर में ही मैं तो कितने सारे ओर्डर मिल गए और ये सारे ओर्डर अर्जिन्ट है
09:09श्रेया तुमने सही कहा था मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि इतने सारे ओर्डर आए है
09:13श्रेया अब अपने पती की मदद से धेर सारे पत्थर के बरतन बनाती है और हुने ओनलाइन सेल करती है
09:20साक्षी का बना हुआ एक एक बरतन हजार से पंद्रह सो रुपई के बीच में बिक रहा था
09:24जिसे कुछ समय में साक्षी की काफी अच्छी अर्निंग होने लग जाती है
09:28और वो अब जल्दी ओनलाइन काम के साथ अपना ओफलाइन काम भी शुरू कर देती है
09:34इसी तरह साक्षी का काम बढ़ता है और धीरे धीरे उनके हालाद भी अब ठीक होने लगते है
09:51सर प्लीज हमको जाने दीजे हमारे घर पर गेस्ट आने वाले हम अपने गलती की माफी मांग रहे और उसका भुपतान भी तो किया है न
10:00अरे तुम लोगों को एक बाद समझ नहीं आती क्या चुप चाप यहीं खड़ी रहो एक दो भुख से बेहाल है या सब
10:05है सच ठीक है लाओ दे दो कोई और तो लंच लेकर आया नहीं है पूरे पुलिस स्टेशन के लिए तुम ही दे दो
10:19अरे वाँ आज तो नौन विज बिर्यानी खाएंगे साहब ले लीजिये न
10:23लेकिन इंस्पेक्टर साहब मेरी एक रिक्वेस्ट है आप हमें यहां से जाने देंगे हमें जल्दी है प्लीस सेर हमें जाने दीजे गर किसी को पता चला कि हम यहां है तो घर वालों की बेज जती होगी
10:33ठीक है
11:03अहां क्या बात है पहली बार ऐसा हुआ है कि मुझे नौन विज बिर्यानी पसंद नहीं आई मज़ा आ गया भाई यह बेज बिर्यानी तो बहुत लाजवाब है
11:13यह सुन मोनिका के चेरे पर खुशी के लहर आ जाती है लेकिन ये दोनों औरतें फुले स्टेशन में क्यों बंद थी आये जानने के लिए कहानी में कुछ समय पीछे चलते हैं
11:25जहां संडे का दिन था घर में सब लोग सुबा का नाश्टा करके दोफैर के लंच के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे होते हैं
11:32अरे वा आज का मौसम कितना अच्छा है ना सुबा थोड़ी सी बारिश होई थी और ठंडी हवा चल रही वो बर्जे संडे का दिन भावी आज को चट पटा अच्छा सा बना लो
11:41हाँ बहु मेरा भी कुछ ऐसा ही खाने का मन कर रहा है जो थोड़ा हलका हो लेकिन पेट भी भर जाए और सुआद भी हो
11:47अरे आज के दिन तो कम से कम मौनिका तुम खाने के बारे में कुछ अच्छा सोच लो
12:04सबकी छुट्टी है घास फूस के लाओगे और वेज बिरियानी क्या होता है इससे वेज पुलाओ ही बोलते और थोड़ा सा पानी कर दोगी न उसमें तो खिचडी बन जाएगी पापा जी आपको ये खाने की कोई जरुवत नहीं है आज संडे का दिन है हम कुछ बढ़िय
12:34मोनिका को जिठानी का उपास उडाना अच्छा नहीं लगता वो रसोई में जाकर वेज बिरियानी की तैयारी कर वेज बिरियानी बनाने रख देती है
13:00वहीं शेफाली अमीर बहु भी घर में सबके लिए नौनवेज बिरियानी और्डर कर देती है जो 40 मिनिट में घर आ जाती है फिर अमीर बहु सबको नौनवेज बिरियानी परोस देती है नौनवेज बिरियानी का पहला चमच खाते ही सब उसे थूग देते है
13:14हाई राम कितना खराब है ये बेसवाद नॉन्वेज बिर्यानी मैंने आज तक नहीं खाई
13:19तुमने बिलकुल ठीक बोला कोशलिया
13:23छी मेरे मूग का तो सारा स्वाद खराब कर दिया
13:26अच्छा हुआ मैंने इतनी महगी नॉन्वेज बिर्यानी के पैसे नहीं दिये
13:30और नहीं खाने को बोला मेरे पास चार पैसे कम है कोई बात नहीं पर इतने फालतू पैसे भी नहीं है मैं अपनी पत्नी कही हाथ का बना खाऊंगा
13:39क्या बाबी आधा कच्चा पक्का नौन विच पड़ा हुआ है इसमें हटा दीजे से हमारे सामने से
13:45अरे वो गलती से मैंने फाइस्टा होटल की जगा किसी छोटी मोटी शॉप से मंगा लिया आप मुझे दो मिनट दीजे मैं अभी अच्छे होटल से नौन वेज बिर्यानी मंगाती हूँ इतना अच्छा दिन है हमारा संडे का मैं खराब नहीं करूँगी
13:57इत तरफ घरीब बहू की बैज बिर्यानी पकती है दूसरी तरफ शेफाली अउन लाइन ओर्डर करके नौन बिर्यानी मंगा कर सबको खिलाती है लेकिन वो भी खराब निकलती है इतने में मोनिका अपने पती के लिए बैज बिर्यानी ले आती है जिसके खुश्जबू से
14:27वो भी घट या निकला, कम से कम तू ही वेज़ बिरियानी खेला दे
14:32जी माजी मैंने सब के लिए वेज़ बिरियानी बनाई है, मुझे पता था आपको बाहर का खाना पसंद नहीं आएगा
14:38सब लोग गरीब बहु के हाथ की वैज बिर्यानी खा कर बहुत खुश होते हैं
14:43वा मौनिका मेरी बात का बुरा मतमानना मसाग में बोला था
14:46वैसे तुमने बहुत ही अच्छी वैज बिर्यानी बनाई है
14:49सोया बीन, पनीर, मटर सब डाल कर
14:52शुक्रिया जेट जी
14:53कुछ दिनों बाद नंद अपने इंटर्वियू के लिए
15:10एक MNC कंपनी में अपलाई करती है
15:13जिसके रिगार्डिंग एक एचार उसके घर इंटर्वियू लेने के लिए आती है
15:17एक तरफ प्राची अपना इंग्लिश में इंटर्वियू देती है
15:36दूसरी तरफ शेफाली नौनवेज बिर्यानी बनाकर इंटर्वियू खतम कर
15:40उनके सामने परोस देती है
15:42वो जैसे ही अमीर बहु के हाथ की नौनवेज बिर्यानी खाती है तो उगल देती है
15:46तबी किसी तरह मोनिका उस HR को रोग अपने हाथ की वेज बिरियानी खिला देती है
16:07जिसे खाकर वो बहुत खुश हो जाती है और नंद को नौकरी दे देती है
16:10इससे खुश होकर प्राची मोनिका के गले लग जाती है
16:14ये देख शेफाली का मो फूल जाता है
16:20अगले दिन साथ ससुर घर पर कुछ रिष्टिदार के आने की बात करते है
16:24अरे मोनिका बहु कल सब के लिए तुम वेज बिरियानी बनाना
16:28मुझे पता है तुम्हारे पास इतने पैसे नहीं है
16:30लेकिन जुगार करके वेज बिरियानी बना देना
16:33जी पापा जी मेरी घरीब देवरानी फिर से साथ ससुर के सामने अच्छी बनकर सबका दिल जीतना चाहती है
16:40लेकिन कल मैं भी मौका नहीं छोड़ूगी
16:43कल मैं अपने हाथ से बढ़िया नौन वेज बिरियानी बनाऊंगी सामान खरीद लेती हूँ
16:47शेफ आली जब कार से नौन वेज बिरियानी का समान लेने जारी होती है
16:52तो मौनिका भी उसको देख कर उसकी गाली में बैठ जाती है
16:55फिर दोनों मार्केट से नौन वेज और वेज बिरियानी बनाने का समान खरीद लेते हैं
16:59लेकिन आदे वक्त शेफाली की कार के सामने एक बुढधा आदमी आ जाता है जिससे उसे थोड़ी चोट लग जाती है लेकिन आसपास के लोग पुलिस कंप्लेंड कर देते हैं जिससे दोनों बहु को पुलिस स्टेशन पहुचना पड़ता है
17:11दीडी से गलती हो गई हमें माफ कर दीजिए हमें जाने दीजिए हमारे घर पर महमान आने वाले हैं
17:21और वह ही हमारी गाड़ी के सामने अचानक से आय थे
17:25चुप एक दम चुप एक तो भुक के बारे दिमाग की बति भी गुल है
17:29तबी शेफाली जेल से छूटने के लिए अपने बैग से नौन वेज बिर्यानी खिलाती है लेकिन किसी को पसंद नहीं आती
17:35पिर मोनिका बहुत रिक्विस्ट करके अपनी लाई सस्ती सबजियों से वेज बिर्यानी बनाकर खिलाती है जिसे खाकर पुलिस वाले बहुत खुश हो जाते हैं और दोनों को पुलिस स्टेशन से रहा कर देते हैं इसके बाद दोनों घर जाकर फटा फट से वेज और नौन �
18:05जाओ इसे हमारे सामने से कौशल्या भावी आपने तो हद करती अरे मैं सोच भी ने सकता था बाई साफ आप अपनी बहु से ये बनवाएंगे और मैंने ये नहीं बनवाया शेफाली हमने तुम्हें कहा था कि नौन वेज बिर्यानी लेकर आने को वेज बिर्यानी बोला थ
18:35रसोई में जूटे बरतन रखती है तो बुवा सास उसके पैसों की तंगी की बात करती है अरे बेटा मैं जानती हूँ तेरे पती का काम इतना अच्छा नहीं चलता और घर में तो जराशन पानी भी देना पड़ता है जब तेरे हाथ में कला है तो पैसों की चिंता क्यों कर
19:05और वो सस्ती सबजी लाकर घर के बाहर बिर्यानी बना कर बेचने भी लगती है जिसे आसपास के ग्राकों से वेज बिर्यानी लेते हैं लेकिन शेफाली की दुकान पर मुश्किल से दो लोग नौन वेज बिर्यानी खाते हैं और दस्ट मिन में फेक कर चले जाते हैं तब स
19:35पिर तूने ऐसा क्यों किया?
20:05मौनिका वैज बिर्यानी बेज कर अपने और पती की हालत को सुधार लेती है
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