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00:00मुझा रातारी थी, आप हमारे कल्गता महानंगरी में आएं और आपने अम सब को इतना सुंदर मौत दृषिन दिया, उसके लिए हम सब बहुत प्रितार और हम आशा करते हैं कि हम आप तो इसी प्रकार देखते रहेंगे, अभी आपको लाइफ देख पा रहे हैं, बहुत ख
00:30जनम और पुनल जनम, पुनल जनम पर हमारे धर्म में पूरा विश्वास है, कि आज इस पार हमारा जनम हुआ है, उसके बाद हमारे एक और जनम होना है, और मनुष्य जनम प्राप्त होने के पहले, चौरासी लाग योनियों से हम गुजरें, विदान जैसा नहीं है, विद
01:00आहिस है हमारे कि यूमल लाइफ है, बस इस जस पर वनलाइफ, प्रकृति के अनत जनम पुनर जनम होते रहते हैं, तो प्रकृति के अंतरव्यटत के आतने साले जीव जन्तू हैं?
01:11मिट्टी ही अलग अलग रूप अलग अलग अलग रंग अकार मिट्टी का पुनर जनम होता है जीवात्मा इतका को पुनर जनम नहीं होता है जीवात्मा जीवात्मा जैसा कुछ नहीं होता है अहंकार होता है जो शारीरिक होता है शरीर के साथ ही उठता है और शरीर के साथ ही
01:41लिया हम की व्यक्तिका पुनर जनम होता है, व्यक्तिका कोई पुनर जनम नहीं होता है
01:45तो दिस इस जिस दे लास लेफ, तो जैसे बहुत सारे हम अपने जनम में बहुत सारी अधूरी कामनाये रहते हैं
01:51तो सब जल जाती है, वहने जल जाती है, वह दुसरे जनम में नहीं जाती है, तो हमने कई mari बार देखा है, छोटे-छोटे बच्चे, दो साल का बच्चा तबला बजायाए तो वह संसकार तो उसमें पहले से आया
02:03मिट्टी है भई, उसी मिट्टी से गुलाब उठ जाता है, उसी मिट्टी से गेंदा उठ जाता है, उसे उसे अपने पेरिंट से बिला है, लहर है, कोई लहर बहुत उची उठ जाती है, कोई लहर थोड़ी सी उठ जाती है, उसमें पहले से जीवात्मा थोड़ी खुसी है, �
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