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00:00कोई बहुत विद्वान आया बुद्ध से मिलने के लिए और उसने आ करके एक के बाद एक सवाल दाग दिये उन सवालों में बुद्ध के लिए अपमान भी था और पूरी वहां भीडुगर खड़ी होई थी तो बुद्ध सुनते रहे सुनते रहे फिर उठकरके अंदर चड
00:30तो शेर ने खा कि अगर इसने मुझे देख भी लिया यहां पानी पीते तो एक खौफ से ही मर जाएगा या डर के भाग जाएगा बिचारा प्यासा रह जाएगा तो शेर ने सुर को देखा और जल्दी से शेर पीछे हट गया और जाके एक जाड़ी के पीछे छुप गया �
01:00हमारा नसली इतिहास है तो शेर ने का अच्छा है काम करें तो वापस जा अपने बड़े बुडों से बात कर तो यह वापस जाता है बोलता है रहे है एक हफ़ते बाद हम शेर की दावत करेंगे तैयरियां भी तर शुरू कर दी जाए मसालों असालों का और बाकी चीज़ो
01:30तो उसमें लोटा कर, रोज लोटा कर, फिला साथवे देन तुझे ये करना है, कि जा करके एकदम गीले कीचड में सनान कर, और गीली होके जबरदस्त रूप से उनमें से भबका उठे गंधका, और उसी तरह से वो जा करके, महां खड़ा हो गया, यब शेर आया, हवा चल दी
02:00तो सुवर चिलाया, जा का रहा है, लड़ता क्यों नहीं, उल रहा है, देख, तू जिस हालत में है, अगर तू मरा भी पड़ाओगा, तो भी मैं तेरे मास को अपने नाखून तक से नीच हूँँगा, ये तो छोड़ दे कि मैं तेरे शरीर में अपने दात गड़ाओँग
02:30करके, ज्यान बलका प्रयोग करके, किसी का अहंकार चूर करने की विधिय अपनाते थे, सब मेरी दृष्टी में रोगी ही है, क्योंकि मेरा पहला आरे सत्त्य है, दुख, सब रोगी है, और रोगी के साथ सिर्फ एक संबंध रखा जा सकता है, चिकित्सा का, अगर रोगी �
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