Mokshada Ekadashi 2025 Date and Time:वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मोक्षदा एकादशी व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही शुभ फल मिलता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण किया किस दिन किया जाएगा।
00:07मार्ग शीर्ष मा के शुकलपक्ष में पढ़ने वाली एकादशी को
00:10मोक्षदा एकदशी के नम से जाना जाता है
00:12धार्मिक मानेताओं के मताबिक इस दिन
00:14ब्रत करने से व्यत्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है
00:17एकदशी का पर्व भगवान विष्णू को समर्पित होता है
00:20एकदशी पर विद्य विधान से भगमान विष्णु की पूज आर्चना की जाती है
00:24मोक्षिदा एक एकदशी पर ही गीता जैनती भी मनाई जाती है
00:27धार्मिक मानेताओं के मताबिक मार्ग शीर्ष शुक्रपक्ष की एकदशी तिथी को ही भगमान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्यान दिया था
00:34इसलिए इसी दिन को गीता जैनती भी मनाई जाती है
00:37माने ताहे कि इस्तिधी पर वरत करने से ना सिर्फ पापों का शै होता है
00:41मलकी जीवन में शांती, सम्रद्धी और मोक्ष की प्राप्ती होती है
00:44हिंदू परंपरा के मताबिक मोक्षिदा एकदशी का वरत करने से पाप खत्म होते है
00:49जैन परंपरा के अनुसार ये दिन मोन एकदशी के रूप में बनाया जाता है
00:54चरधालू पूरे दिन मोन रहकर आत्मत, चिंतन, उपवास, सैयम और ध्यान की साथना करते हैं
01:00आए जानते हैं मोक्षिदा एकदशी की डेट, कुजा विदी और शुब मोरत कम है
01:04इस साल मोक्षिदा एकदशी का मरत 1 दिसंबर 2025 को है
01:07एकदशी तिथी प्रानम हो रही है 30 तमबर 2025 रात 9 बचकर 29 मिनट से
01:13एकदशी तिथी समाप्त हो रही है 1 दिसंबर 2025 शाम 7 बचकर 1 मिनट पर
01:18पारण मौरत है 2 दिसम्बर 2025 सुभा 6 बचकर 57 मिनट से 9 बचकर 3 मिनट तक इस दिन सुभा 8 बचकर 20 मिनट से शाम 7 बचकर 1 मिनट तक भधरा रहेगी और सुभा 6 बचकर 56 मिनट से रात 11 बचकर 18 मिनट तक पंचन भी रहेगा
01:33पूजा बेदी की बात करें तो मोगुक्षदा एकादशी के दिन सुबा ब्रह्ममूरत में उर्कर स्नान करें, साफ कपड़े पहने, इसके बाद ब्रत का संकल पले, गर के पूजा इस्थान में भगवान विश्णू की प्रतिमा या फोर्टो इस्थापित करें और आसपास क
02:03पर गीता का पार्ट करना बेहत्शुब माना जाता है, इसलिए कम से कम एक अध्यायत जरूर पढ़े या सुने, शाब के वक्त फिर दीपक जलाकर भगवान विश्णू और मातलक्षमी के अरादना करें, रात में भजद की इरतन, ध्यान और प्रभू इस्वरण करने से व
02:33केला, पीली मिठाई, जल्से बना कलश, अक्षत के लिए चावल, कुमकुम, रोली, पूजा कि थाली, मेवा या सूखे फल, आदी, उपलम धोतो, तुलसी का पौदा जरूर माना जाता है, ये सब ही पूजा सामंगरी है, पिलाले से वीडियो में अगर आपको ये जानकार
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