00:04दस साल नहीं, बीस साल नहीं, सदियों सदियों से एक ही जगे पर करते हैं वास
00:09एक ही प्रांगण, जहाँ पर एक ऐसा मंदिर है, जहाँ कोई जूट नहीं बोल सकता
00:14एक ऐसा तालाब है जहाँ पर कोई मचलिया नहीं मार सकता और एक ऐसी जगे जहाँ चमगादणों की संख्या अनकिनत है
00:24नवस्कार मैं हूँ श्वेता सिंग और मेरे साथ चलिए इसी अधुत और विश्वस्निय और कल्पनिय संसार में
00:44कि इस जगे में ऐसा क्या खास है कि लाखों चमगादण उसे छोड़ कर कहीं जाते ही नहीं
01:00जब से गाउं है तब से यह चमगादर है और ऐसी महनता है कि अगर चमगादर यहां से एक बार ऐसा हुआ थे यहां से मन प्रयान कर गया था
01:12इन पेड़ों में ऐसा क्या राज है जो सदियों से बना हुआ है इन निशाचरों का घर
01:23सब साम में रात में मने 7 बज़ 8 बज़ सब चला जाएगा इस कौन में इस कौन में चला जाएगा सब चला जाएगा
01:40अब फीर सोब चार बज़ भर में आ करके सब लटक जाएगा उसी तरह वापस इस जगे को छोड़ के नहीं जाना चमगादर होगा चमगादर बहुत है लाखों में होगा अच्छा बच्पन से देखते आ रहे हैं लोगों को तो ऐसा चमगादर देखके डर लग जाता है न
02:10जिसके बज़ते ही ये शुरू कर देते हैं एक और कल्पनिय परिक्रमा
02:14कि पता नहीं इनके पास कौन घड़ी है कौन सा टाइमिंग है जो सुर्जास्त का समय इनका उरना अब फिर सुर्जोदय होने से पुर्व दो मिनिट एक मिनिट मुस्के से दो चार मिनिट के फासले के अंदर आकर के हां फिर अपने जगह पर लटक जाते हैं या जो इनका �
02:44भर की भरांतियां जुड़ी हुई उनकी पूजा क्यूं करते हैं ये लोग
02:49उन्हें घने बस्ती में चमगादर है तो निश्चित उपसे कहीं कहीं या लौ की किपा है प्रमात्मा की किपा है
02:59हमने अपने जीवन में कई बात चमगादर देखे उनके बारे में पढ़ा है इकका दुकका पेड़ भी देखे हैं जिनके घनत्व के अंधकार में ये बस्ते हैं पर बिहार के मुजफ़रपुर के एक गाउं के बारे में सुना तो हैरत में पढ़ा
03:19है कि अधिर को बोलते थे इस पक्षी को अ ऐसे आप लोग चमगादर बोलते हो तो इसको लोग बादू बोलते हैं हमारे हैं अच्छा यहां के भासा में बादू बादूर तर इसी के नाम पर बादूर चपरा निसका नाम परा लेकिन 1880 में हम लोगों के जो पुरवर्च म
03:49आवाज आ रही है इसे हम लोग बादूर पक्षी के रूप में जानते हैं कहते हैं इसे चमगादर कहा जाता है और इसका महत तो यह देखिए कि यह जो पक्षी है इसोड वाले इलाके में और बसावट वाले इलाके में नहीं रहती है लेकिन यहां कितने सालों से मतलब हजार
04:19कर्मा करती है यहां के अगल बगल में जो लीची आम के फल लगते हैं उसको नुक्सान नहीं पहुंचाती है
04:25सोचिए जिस जगे का नाम ही इस जीव पर पड़ गया उस जगे का तु इतिहास भी इस से जुड़ा होगा
04:34पर रुकिए यहां जो अध्भुत है वो केवल यह चमगादर नहीं है यहां तो घजब अनूखी अनसुनी कहानिया है
04:42हम आपको एक-एक करके सुनाइंगे
04:46लेकिन सबसे पहले इन चमगादरूं के यहां पर आकर बस जाने की कहानी सुने
05:12पूजा किये जो गलती हुई माफ करिए आप लोग फिर चलिए अपने आफ्थान पर तो सब लोग फिर वहां से यहां चले आए अच्छा एहारो साल पुल्व की कहानी आज भी हमारे समाज में जिन्दा
05:32चमगादर को किसी ने डिसर्व किया तो चमगादर भाग गया था तो हमारे गाओं में काफी दुखाली आई हमारे गाओं में लोग आतंकी थोने लगे और जब समय साम में लोग बैठता था बड़े बजुर्ग बैठते थे तो फुआ चर्चा की भाई इस तरगी स्तिति क्य
06:02मेरे गाओं में चमगादर है उसके आने के बाद पुर्ण मेरे गाओं की स्तिति अच्छी होने लगी
06:06चमगादर एक ऐसा जीव है जिसे लेकर बहुत सारे भ्रम और ध्रांतिया पेड़ों पर बैठना नहीं बल्की उल्टा लटका रहना
06:24पंक नहीं बल्की विचित्र दिखने वाले हाथ पाओं दिन में नहीं बल्की रात में उडान भरना पर यहां तो चमगादरूं की हल्चल दिन में भी दिख रही थी और लोगों के मन में उनके लिए डर नहीं बल्की श्रद्धा थी
06:39हाँ हाँ अगर्व दाल के खाने के मसकिल हो जता है इभादू के लोग पूझा करता लिय फिर यह चिमिए है
06:54इनके नाम से मिरा चप्रा का ना पर दा बड़ चुपरा सां tomar और जाता है अगों तो हलका सफें रस होते होते पोच जाता है
07:02लेकिन एक बात थी, बताया गया कि जैसे ही सूरज ढलता है, इस पूरे क्षेत्र में इनका नाम कोई नहीं लेता है
07:24इसका बादूर नहीं लेता है
07:54और केवल इतना ही नहीं, दावा किया गया, कि अंधेरा होने के साथ एक और विचित्र बात होती है
08:05परिकर्मा करेगा इन मंदिर का पूरा लाखो में तब जिसको जाना होगा चला जाएगा
08:17अच्छा मतलब यहां से उडान भरते हुए पहले वो बाबा की परिकर्मा करता है हर रोज अच्छा उसके बाद इसको जहां जाना है
08:25हमने फैसला कि अंधेरा होने के बाद की वो तस्वीर खुद देखें
08:54क्या वाकई उडान भरने की शुरुआत पहला चमगादर मंदर की परिकर्मा से करता है
09:00तब तक उस मंदर की कहानी भी जानते हैं जिसके शिखर की परिकर्मा की बात की जा रही है
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