00:00सास बहू की अधूरी कहानी राजू और रानी की साधी धूम धाम से गाउं में हुई थी और गाउं के हर आदमी ने कहा जोड़ी हो तो ऐसी जैसी राजू और रानी जैसी दो दिन भी नहीं बिती कि विपत्ती की बादल आगिरी उस खुसियाल परिवार पर रानी अचानक ब
00:30रानी को अपनी बेटी की तरह मान चुकी थी उस बहू की याद में हर पर रोती रती थी लेकिन उसके घर में अगले दिन एक ही अजीब सी घटना होने लगी सुबा होते ही रसोई में जाकर देखी गैस चुला जला हुआ था आटा गुंदा हुआ मिला था और सास का काम प�
01:00सी आवाज आ रही थी सास ने जल्दी जल्दी किचन में जाकर देखा रानी सपेथ सारी में चुप चाप रसोई में रोटी बेल रही थी आलू वेगन की सबजी बना चुकी थी बहु के आँखों से आशू बहे रहे थे पर हाथ काम में लगे हुए थे सास कापते हुए बो
01:30मा आप से बादा किया था कि घर का काम मैं समालूंगी मैं अब यह बादा अधूरी नहीं छोड़ सकती इतना कहकर रानी हवा में बलीन हो गई उसके बाद कभी रसोई अपने आप नहीं सजी सास हर सुबा रानी के नाम का एक दीब जलाती और कहती बहु नहीं रही पर बह�
02:00होना चाहिए जो एक दूसरे का प्यार प्रेम और इसने अमर कर दे