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  • 2 months ago
ओडिशा के बालासोर के युवा वैज्ञानिक डॉ सिद्धार्थ पति ने झींगा मछली के छिलकों से दवा बनाने की विधि विकसित की है. कमाल की बात है कि भारतीय पेटेंट ऑफिस से उसे मंजूरी भी मिल गई है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब कचरे से ऐसी दवा बनाने की प्रक्रिया को पेटेंट मिला. इस विधि से कैप्सूल के कवर बनाए जा सकते हैं. डॉ सिद्धार्थ पति और उनके साथी डॉ. देवब्रत पांडा ने समुद्री कचरे जैसे मछली, केकड़ा और झींगा के छिलकों से कई उपयोगी चीजें बनाई हैं. उनकी कंपनी 'नाटनोव बायोसाइंस' भारत सरकार के स्टार्टअप इंडिया से मान्यता मिली है.. इस कंपनी में 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं. जिनमें महिलाएं और आदिवासी युवा शामिल हैं.

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00:00पूरिशा के बालासोर के युबावेग्यानिक डॉक्टर सिध्यार्थ पती ने जहींगा मचली के छिलकों से दवा बनाने की विधी विख्षित की है।
00:11कमाल की बात यह है कि भारतिय पैटेंट ओफिस से उसे मंजूरी भी मिल गई है।
00:16ऐसा पहली बार हुआ है जब कच्रे से ऐसी दबा बनाने की प्रक्रिया को पैटेंट मिला है।
00:21इस विधी से कैप्सुल के कवर बनाये जा सकते हैं।
00:31आराउंड वान येर हैलानी आमें कामा कोरतुलें।
00:34तर स्पेसिफिक कामा हैला आमें स्पेसिफिक वेर कीमी ती काईटोसान प्रोडक्शन कोरी परियो।
00:38बायमेडिकल अप्लिकेशन कोण है परियो ता पहीं कडिवारतीला।
00:40डॉक्टर सिद्यार्थ पती और उनके साथी डॉक्टर देबरत पांडा ने समुद्री कच्रे जैसे मचली, केकडा और जहींगा के छिलकों से कई उपियोगी चीजें बनाई हैं।
01:07उनकी कमपणी not know bioscience को भारस सरकार के startup इंडिया से मन्यता मिली है।
01:13इस कमपणी में 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं, जिनमें महलाएं और आदिवासी युवा भी शामिल हैं।
01:20ये कमपणी मचली के छिलके से कॉलिजन जैसे उत्पाद बनाने पर काम कर रही है।
01:25ये दबा हड़ी ट्रांस्प्लांट, टीका, पानी साफ करने, किरसी, साउंदर्य,
01:55और अनिशट्रों में काम में आती है।
01:57मचली की हड्डियों और केकडे के छिलकों से करीब 6 तरह के बायो प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं।
02:03Company के बायो प्रोडक्ट को पेटेंट मिलने से company का उत्सा बढ़ा है
02:07और अब यह नए प्रोजेक्ट पर और भी उत्सा के साथ काउम कर रही है
02:11ETB भारत के लिए बाला सोर से जीवन जोती नायक की रिपोर्ट
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