गाजे बाजे के साथ इंसान की नहीं, प्याज की अर्थी निकली. मध्यप्रदेश के मंदसौर में सोयाबीन के बाद प्याज किसानों को खून के आंसू रूला रहा है. किसानों को कर्ज के दलदल में धकेल दिया है. कृषि उपज मंडियों में प्याज महज 2 रुपये से लेकर 7 रुपये किलों के दाम पर किसान प्याज को बेचने पर मजबूर हैं. फसल की लागत तो छोड़ दीजिए. मंडियों में ले जाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा है. जिसको लेकर किसानों में गुस्सा है.किसानों ने प्याज की अर्थी सजाई, कफन ओढ़ाकर, फूल माला और हार पहनाया. बैंड बाजे के साथ गांव में अंतिम यात्रा निकाली. जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. किसानों ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार सोयबीन का भावांतर तो दे नहीं पाई प्याज का क्या देगी. किसान अर्थी को लेकर श्मशान पहुंचे और प्याज की चिता जलाई.
00:30फसल की लागत तो छोड़ दीजी, मंडियों में ले जाने का किराया तक नहीं निकल पा रहा है, जिसे लेकर किसानों में गुस्सा है
01:00किसानों ने प्याज की अर्थी सजाई, कफन उढ़ा कर फूल माला और हार पहनाया, बैंड बाजे के साथ गाउं में अंतिम्यात्रा निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में लोग सामिल हुए,
01:22किसानों ने सरकार प्रनिशाना साथ ते हुए कहा कि सरकार सोयाबीन का भावांतर तो नहीं दे पाई, प्याज का क्या देगी?
01:52किसान अर्थी को लेकर संख्यान पहुचे और प्याज की चीता जलाई
02:06यहाँ पहुचे और अंतिम संस्कार उन्होंने शमसान घाट में लाकर की करदी है,
02:11सीदे सीदे से यह बात है कि यह गुआर्ड वो सरकार से लगई है उन्होंने कहीं इस माज्यम से सरकार जागे
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