00:00दोस्तों दिपावली आने वाली है, दिपावली सिर्फ एक त्यभार नहीं है, बलकि प्रकास का पर्व है, हर साल हम अपने भरों को रोशनी से सजाती हैं, लेकिन असली दिपावली तब होती है, जब हम अपने मन के अंधकार को मिटाती है, रिगवेत का एक सुंदर मंत्र है
00:30लच्मी जी की पूजा का परवा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली लच्मी सिर्फ धन नहीं होती है। धन के साथ विवेक, करूडा और सत्य भी जरूरी है। अगर विवेक नहीं तो धन भी विनास ला सकता है। सच्चा धन वह है जो किसी का जीवन रोशन कर दे। ज
01:00बल्कि अपने मन का दीप जलाना है। जहां इल्सया की जगह प्रेम हो, घिना की जगह करूडा हो, अंधकार की जगह ज्यान का प्रकास हो, जब मन का दीप जलता है। तो जीवन में उत्सा, प्रसन्दता और सकारात्मक्ता अपने आप आजाती हैं। आज के समय में लोग �
01:30पनाएं अपने माता पिता के प्रतिक्रितग्य, यानि क्रितग्य मतलब उपकार को याद रखने वाला व्यक्ति को करते हैं क्रितग्य, अपने माता पिता के प्रतिक्रितग्य रहे, क्योंकि माता पिता नहीं दोस्तों हमें जीवन दिया है, जरूरत मंदों की मदद करें, मात
02:00प्रकास बाटने से घरता नहीं बढ़ता है।
02:30इसके बदले में मुझे कुछ दीजे।
02:31ब्रिच हैं वो फल देते हैं।
02:33उन्होंने किसी के साथ भेवतबाव किया या कम ज़्यादा फल दिया।
02:36सभी को एक समान फल देते हैं।
02:37आप कभी नहीं कहते हैं कि भी या हमें आपको फल दिया।
02:40है ना ऐसे ही अपनी जीवन को बनाएए दोस्तों।
02:42अच्छाई, ज्यान और प्रेम जितना बाटू उतना ही बढ़ता है घरता कभी नहीं।
02:48इस दिपावली घर ही नहीं दिलों को भी रोसन कीजे।
02:52कीजिए। दूसरों के जीवन में आसा, प्रेम और मुस्कान का दीव चलाए।
02:56याद रखिए प्रकास तब तक अर्टिहीन है जब तक वह किसी और कांधकार न मिटाए।
03:02आने वाली दिपावली के लिए दोस्तों आपको धेर सारी सुपकाम नाए।
03:05दोस्तों आपके जीवन में सदे उग्यान, सांती और समरिधी का प्रकास बना रहे।
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