00:00दोस्तों चाड़क ने चाड़क निती में लिखा है कि मानों को इन दोसों से बचना चाहिए, कौन से दोस हैं, आप सुनिए जूट बोलना, बिना सोचे समझे किसी काम को प्रारंभ कर देना, आपने सोचा समझा नहीं, बस काम चालो कर दिया, उसका हानी, लाफ, उसकी योज
00:30गरणे जा रहे हैं, सोच समझ करके, प्रामर्स के नुसार योजना बना कर के, बड़ो से प्रामर्स करके ही उतार करिए,
00:36तो आप सफलता के chance आपके ज्यादा रहेंगे।
00:39दुसाहस न करना, आपकी छमता नहीं है उतनी, लेकिन आप अपनी छमता से ज्यादा कार्य करने की सोच रहें।
00:44तो इसमें भी जो सफलता के chance हैं, वो कम रहते हैं और नुकसान के आपके chance ज्यादा होते हैं।
00:49चलकपट नहीं करना चाहिए। चाणक काते हैं, मुर्खता पुर्ण कारेकन, लोग करना, अपवित्र रहना, मन बचन कर्म से आप जो है अपवित्र है।
00:57और निर्दईता पन, निर्दई हैं आप, आपने प्रेम करूना की भावना नहीं है।
01:01तो चाहिए कि काते हैं दोस्तों, कि इन सब दोस्तों से मानों को बचन करें।
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