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  • 2 hours ago
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Transcript
00:00दो यार
00:00आज हम बात करने जा रही हैं सत्तर के दशक की एक शांदार और यादगार फिल्म दो यार की
00:07यह फिल्म सन 1972 में प्रदर्शित हुई थी
00:10इसका निर्देशन किया था प्रसिद्ध फिल्म निर्माता केवल मिश्राने
00:14यह फिल्म अपने समय की एक लोगप्रिय एक्शन और भावनात्मक ग्रामा फिल्म थी
00:20जिसमें दोस्ती, बदला और इंसानियत तीनों के रंग दिखाई देते हैं
00:23फिल्म में मुख्य भूमिकाए निभाई हैं
00:27विनोध खन्ना, रेखा, शत्रुग्न सिन्हा और नजीमा ने
00:31इन सभी कलाकारों ने अपनी शांदार अदाकारी से फिल्म को उचाई पर पहुँचा दिया
00:36यह कहानी इतनी असरगार थी कि बाद में इसे दो भाशाओं में और बनाया गया
00:41तेलोगों में इसका नाम रखा गया इद्दारु इद्दारे 1976 में
00:45और तमिल में इसे कहा गया कुपथु राजा 1989 में
00:50फिल्म की शुरुवात होती है एक युवक राजेश से
00:53राजेश एक साधारण लेकिन साहसी इंसान है
00:57बच्पन में उसने बहुत दुख और अन्याय देखा है
01:00उसकी एक बहन थी जिसे वह बहुत चाहता था
01:05लेकिन उसकी बहन की जिंदगी जगीरा नाम के एक गुंडे ने बरबाद कर दी
01:09जगीरा एक बेइमान, निर्दई और लालची व्यप्ति है
01:13वह अमिर बनने के लिए किसी की भी इजिस्थ और जिंदगी से खेल सकता है
01:18राजेश की बहन के साथ धोखा करने के बाद उसने उसे छोड़ दिया और अपने रास्ते चला गया
01:25राजेश की बहन इस अपमान को सहन नहीं कर पाई और उसकी मृत्यू हो गई
01:30इस घटना ने राजेश के दिल में आग भर दी
01:33उसने तै किया कि वह अपनी बहन का बदला ज़ूर लेगा
01:37उसकी एक ही मन्जिल थी जगीरा का अंत
01:40राजेश अपने घर और गाव को छोड़ कर शहर चला आता है
01:44वह जगीरा की तलाश में दिनरात भटकता रहता है
02:00उसके दिल में बस एक ही चीज बची है बदला
02:02उधर जगीरा शहर में एक नामी बदमाश बन चुका है
02:06उसके पास बहुत सारे आदमी हैं जो उसके आदेश पर किसी भी गलत काम को अंजाम देते हैं
02:13लेकिन दिल्चस्क बात यह है कि जगीरा के दिल में भी कहीं न कहीं पच्चतावा है
02:18वह जानता है कि उसने एक निर्दोश लड़की की जिंदगी बरबाद की थी पर अब उसे सुधारने का कोई रास्ता नहीं दिखता
02:25कहानी मोड लेती है जब राजेश और जगीरा एक ही शहर में पहुँच जाते हैं
02:32लेकिन दोनों को यह नहीं पता कि वे एक दूसरे के दुश्मन हैं
02:35एक दिन राजेश को एक हादसे से एक आदमी की जान बचानी पड़ती है वह आदमी और कोई नहीं जगीरा ही होता है
02:55से प्रभावित होता है और कहता है भाई आज तुमने मेरी जान बचाई है मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा
03:02राजेश मुस्कुराता है और कहता है इंसान को इंसान की मदद करनी चाहिए
03:07उसे यह नहीं पता कि यही इंसान उसकी बहन का गुनहगार है
03:11इस तरह एक अंजान दोस्ती की शुरुवात होती है
03:15धीरे धीरे राजेश और जगीरा के बीच गहरी दोस्ती हो जाती है
03:20दोनों साथ बैठते हैं, साथ खाते हैं और एक दूसरे की परिशानिया बाढ़ते है
03:26राजेश जगीरा को एक सच्चा और भरोसे मंद इंसान समझने लगता है
03:31वही जगीरा को लगता है कि शायद अब उसके पापों का बोज कुछ हलका हो गया है
03:36क्योंकि उसे एक सच्चा दोस्त मिला है
03:38दोनों की जोडी शहर में मशूर हो जाती है, लोग उन्हें दो यार कहने लगते हैं
03:45वे जरूरक मंदों की मदद करते हैं, कमजोरों के साथ खड़े रहते हैं और कई बार गुंदों से टकरा जाते हैं
03:51लेकिन किस्मत का खेल देखिए
03:53दोनों को अब तक यह नहीं पता कि वे असल में एक दूसरे के दुश्मन है
03:58कहानी में एक और खूबसूरक मोराता है जब राजेश की मुलाकात सीमा से होती है
04:04सीमा एक सीधी साधी और गयालू लड़की है
04:08वह अनात बच्चों की देख भाल करती है और अपने जीवन में सच्चाई को सबसे बड़ा धर्म मानती है
04:14राजेश उससे प्रभावित होता है और दोनों में धीरे-धीरे प्रेन पनपने लगता है
04:20दूसरी और जगीरा की जिंदगी में आती है राधा जो उसे सच्चे मार्ग पर लाने की कोशिश करती है
04:26वह चाहती है कि जगीरा अपने अपराधों को छोड़कर एक नई जिंदगी शुरू करे
04:32जगीरा भी अंदर से बदलना चाहता है लेकिन उसका अतीत उसे चैन नहीं लेने देता
04:37एक दिन राजेश को किसी पुराने आदमी से पता चलता है कि जगीरा वही व्यक्ति है जिसने उसकी बेहन की जिंदगी बरबाद की थी
04:45यह सुनकर राजेश के पैरों तले जमीन खिसक जाती है
04:49जिस आदमी को वह अपना सबसे अच्छा दोस्त मानता था वही उसकी बेहन का गुनहगार निकलता है
04:56उस रात राजेश पूरी रात सो नहीं पाता
04:59उसके मन में दोस्ती और बदले के बीच युद्ध शुरू हो जाता है
05:03वह सोचता है क्या मैं उस व्यक्ति को मार दूँ जिसने मेरी बहन की जान ली
05:08या उस दोस्त को माफ कर दूँ जिसने मेरी जान बचाई
05:11दूसरी और जगीरा भी अपने पुराने गुनाहों को लेकर परिशान रहता है
05:15वह कई बार राजेश से कहता है दोस्त कभी कभी इनसान अपनी गलती से खुद को भी खो देता है
05:22राजेश यह सुनकर और उल्जन में पढ़ जाता है
05:26आखिर वह दिन आता है जब सच्चाई दोनों के सामने आ जाती है
05:30राजेश गुस्से में जगीरा का सामना करता है और कहता है
05:35जिस बहन की जिंदगी तुमने तबाह की वह मेरी बहन थी
05:39यह सुनकर जगीरा स्थब्ध रह जाता है
05:42वह कुछ बोल नहीं पाता
05:44उसकी आखों से आसू बहने लगते है
05:47वह कहता है मुझे माफ कर दो राजेश
05:50मुझे नहीं पता था कि वह तुम्हारी बहन थी
05:53मैं उस गुनाह की सजा कब से भुगत रहा हूँ
05:56राजेश के मन में क्रोध और दर्ध का सैलाब उमरता है
06:00वह बंदूक उठाता है
06:02लेकिन जगीरा उसके सामने घुटनों पर बैठ जाता है
06:05वह कहता है अगर मेरी मौत से तुम्हारी बहन की आत्मा को शांती मिलेगी
06:10तो मैं तयार हूँ
06:11राजेश कापते हुए हाथों से बंदूक नीचे रख देता है
06:15वह कहता है अगर मैं तुम्हें मार दूँ
06:19तो मैं भी तुम्हारे जैसा पापी बन जाऊंगा
06:21इस तरह बदला दोस्ती में बदल जाता है और घ्रेनाक शमा में
06:25कहानी के अंतिम हिस्से में जगीरा अपने सभी अपराधों का प्रायश्चित करता है
06:30वह पुलिस के सामने आत्मस मरपन कर देता है और अपने गुनाह कबोल करता है
06:35राजेश उसकी सच्चाई देखकर भावुक हो जाता है और कहता है
06:40आज तुम्हें अपने दिल से अपने अपराध धो दिये
06:44फिल्म के आखिरी दिश्य में दोनों दोस्त एक दूसरे को गले लगाते हैं
06:49जगीरा जेल चला जाता है लेकिन उसके चहरे पर सुकून है क्योंकि अब उसके अंदर का इंसान मर नहीं रहा वह फिर से जी उठा है
06:57राजेश उसे विदा करते हुए कहता है
07:00तुमने मेरी बहन का जीवन लिया पर अपनी आत्मा लोटा दी
07:04फिल्म यहीं पर एक सुंदर संबेश के साथ समाप्थ होती है
07:08कि बदले से नहीं शमा से ही इंसान का दिल बदल सकता है
07:12दो यार केवल एक एक्शन फिल्म नहीं थी
07:16बलकि यह मानवता और सच्चे रिष्टों की कहानी थी
07:19यह दिखाती है कि जिंदगी में सबसे बड़ा दुश्मन भी
07:22अगर अपनी गलती स्विकार कर ले
07:24तो वह इंसानियत का हकडार बन जाता है
07:26विनोध खन्ना और शत्रुग्न सिन्हा की जोडी ने
07:30इस फिल्म में दोस्ती और द्वेश दोनों के भावों को बखुबी दिखाया
07:33रेखा और नजीमा ने कहानी में समवेदना और कोमलता का सपर्ष जोड़ा
07:38फिल्म का संदेश आज भी उतना ही गहरा है
07:41दोस्ती की असली पहचान तब होती है जब इंसान माफ करने की ताकत रखता है
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