00:08यह कहानी मेरी और मेरी मा की है और यह एक सची घटना पर आधारित है।
00:13मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ कि कैसे मैंने अपनी मा को मनाया जबकि उनका मन नहीं था।
00:21तो दोस्तों, इस कहानी को ध्यान से सुनिये।
00:24हमारे परिवार में मैं मेरे पापा मा और मेरी एक छोटी बहन है।
00:29पापा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और मेरी मा एक ग्रहिनी है।
00:34मेरी छोटी बहन नहा हाई स्कूल में पढ़ती है।
00:38पापा मा की लव मैरिज हुई थी और दोनों ही काफी पढ़े लिखे हैं।
00:43इसलिए हमारे घर का माहौल काफी खुला और आधुनिक है।
00:47अगर मा की बात करूं तो वे अपने शरीर और सेहत का बहुत ध्यान रखती हैं।
00:53वे अच्छी तरह से शिक्षित हैं।
00:55इसलिए शर्ट जीन्स और टॉप पहनना उनके लिए सामान्य बात है।
00:59अपनी फिटनेस के कारण मा काफी आकरशक और खुबसूरत दिखती है।
01:05मैं घर में उनका इकलोता बेटा हूँ।
01:07इसलिए मुझे हमेशा बहुत प्यार मिला है।
01:10पापा और मा कभी मुझे नाराज नहीं करते।
01:14जब भी समय मिलता है हम चारों मिलकर खुलकर बाते करते हैं।
01:19कहानी की शुरुआत तब होती है जब मैं कॉलेज में था।
01:23मेरी परीक्षाएं खत्म हो चुकी थी।
01:26और गर्मियों की छुटियां चल रही थी।
01:29मेरी बहन की भी छुटियां थी।
01:32मैंने घर पर ही छुटियां बिताने का फैसला किया हालां की नहा नानी के घर जाने की जित कर रही थी।
01:38इसलिए पापा उसे नानी के घर छोड़ाए।
01:41मुझे घर पर ही रहना अच्छा लगा क्योंकि मैं लैप्टॉप पर गेम खेलता और मोबाइल पर टाइम पास करता रहता था।
01:49एक दिन मैं लैप्टॉप पर गेम खेल रहा था और उस समय घर की काम वाली बाई छुटी पर थी इसलिए मा ही सारे काम कर रही थी।
01:57पापा ओफिस गए हुए थे और मा घर के काम निप्ता रही थी।
02:03उन्होंने उस दिन एक साड़ी पहनी हुई थी और चुंकी वे घर पर थी। इसलिए दुपट्टा नहीं लिया था।
02:10मा मेरे कमरे में आई और जाडू लगाने लगी।
02:14मैं बेड पर बैठा गेम खेल रहा था लेकिन जैसे ही उन्होंने जाडू लगाना शुरू किया मैंने उनकी ओर ध्यान देना शुरू किया क्योंकी उनका दुपट्टा नहीं था।
02:25कुछ चीजें साफ दिखाई दे रही थी।
02:28मैं तुरंत दूसरी तरफ देखने का नाटक करने लगा और बाथरूम में चला गया।
02:41बाथरूम में जाकर मैंने सोचा कि कही माने मुझे देखते हुए देख तो नहीं लिया।
02:46उस समय मैं थोड़ा डर गया था लेकिन मेरे मन में विचारों का सैलाब उमड पड़ा।
02:52बाथरूम में खड़ा मैंने सोचा कि क्या माने सच में मुझे कुछ अजीब तरह से देखा था या यहां बस मेरे ही मन का वहम था।
03:00थोड़ी देर बाद मैंने खुद को शांत किया और सोचा कि यहां बस एक सामान्य घटना थी।
03:07जब मैं वापस कमरे में आया मा कमरे से जा चुकी थी।
03:12मैं फिर से अपने गेम में लग गया लेकिन मन कहीं और अटका हुआ था।
03:17पूरे दिन मा सामान्य तरीके से काम करती रही जैसे कुछ हुआ ही नहीं था।
03:22मैंने भी ज्यादा सोचना बंद कर दिया और घर के कामों में उनका हाथ बटाने लगा।
03:28अगले कुछ दिनों में मा और मैं ज्यादा करीब हो गए।
03:32पापा अकसर ओफिस में व्यस रहते थे और नहा अभी भी नानी के घर थी।
03:38इस दौरान मा और मैंने एक दूसरे के साथ काफी समय बिताया।
03:43एक दिन मैंने देखा कि मा थोड़ी थकीत कीसी लग रही थी।
03:47मैंने उनसे पूछा मा आप ठीक तो हैं? आज आप थोड़ा थके हुए लग रही हैं।
03:54मा ने मुस्कुराते हुए कहा हां बस घर के काम और थोड़ा अकेलापन महसूस हो रहा है।
04:00मैंने तुरंट उन्हें थोड़ी मस्ती करने का सुझाव दिया।
04:04मा क्यों न हम कही बाहर घूमने चले? आपकी पसंदीदा जगा पर चलते हैं।
04:10आप काफी दिनों से कही बाहर नहीं गई।
04:14मा पहले तो हिचकिचाई अरे क्या करेंगे बाहर जाकर? वैसे भी इतना काम होता है घर में।
04:21लेकिन मैंने जोर देकर कहा मा आप हमेशा हमारे लिए काम करती रहती हैं।
04:26अब थोड़ा खुद के लिए भी तो समय निकालिए।
04:30चलिए बस थोड़ी देर के लिए।
04:33आपको अच्छा लगेगा।
04:35मेरे इस आगरह को मा थुकरा नहीं सकी।
04:39आखिरकार हम दोनों ने शहर के बाहर एक छोटी सी पिकनिक का प्लान बनाया।
04:44यह एक खूपसूरत दिन था।
04:47हम पार्क में गए जहां मा ने एक हलकी साड़ी पहनी और उनका चेहरा खुशी से दमक रहा था।
04:54उस दिन मैंने मा को एक अलगी रूप में देखा।
04:57न केवल एक मा के रूप में बलकी एक ऐसी महिला के रूप में जो खुद की पहचान रखती हैं, जो अपने लिए भी समय निकाल सकती हैं।
05:06हम दोनों ने खूप बाते की हंसे और पुराने दिनों की यादों को ताजा किया।
05:11वह दिन हमारे लिए एक खास दिन बन गया।
05:15मा और मैं पहले से ज्यादा घनिष्ट हो गए।
05:19मुझे एहसास हुआ कि मा सिर्फ हमारी देखभाल में व्यस्त नहीं रहनी चाहिए उन्हें भी अपने जीवन का आनन लेने का हक है।
05:27इस घटना के बाद मैंने मा के साथ और भी ज्यादा समय बिताना शुरू किया और हमने एक दूसरे को भैतर तरीके से समझना शुरू किया।
05:36उस दिन ने हमारी रिष्टे की गहराई को और बढ़ा दिया और मैंने खुद को भाग्यशाली महसूस किया कि मेरी मा इतनी मजबूत और प्यारी है।
05:46उस दिन के बाद मा और मेरे बीच की यह समझदारी और भी गहरी हो गई।
05:50We both thought that one had a good time on our family,
05:55but our peers were too much.
06:00Our family, we felt we were able to find our friends,
06:06and friends who had their family.
06:08I can see that one of our friends came home,
06:12and my family left my family,
06:14and my family left my family.
06:18We all had a good time.
06:48।
07:18She has enjoyed her.
07:48एक दिन मा ने मुझसे कहा राहूल तुम्हारी वज़ा से मैंने खुद को फिर से खोजा है। तुम्हारी सला और साथ ने मुझे वह खुशी दी है जो शायद मैं भूल गई थी। मा की इन बातों ने मेरा दिल भर दिया। उस दिन मुझे समझ में आया की छोटी-छोटी बा
08:18यह ने एक दूसरे की भावनाओं को समझना और आदर करना सीख लिया था। यह अनुभव मेरे लिए जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक था जिसने मुझे यह सिखाया की परिवार का साथ और आपसी समझ ही जीवन को खुशाल बनाते हैं। और इसी तरह यह कहानी मेरे और
08:48मा अब न केवल एक ग्रहिनी थी बलकि एक आत्म निर्भर और आत्म विश्वास से भरी महिला भी बन चुकी थी। उनका व्यक्तित्व अब और भी निखर गया था। उन्होंने अपने शौक और रुचियों को फिर से जीना शुरू किया था। कुछ समय बाद नेहा ने भ
09:18लेकिन अब वे अपने लिए भी समय निकालती हैं। मैंने उसकी बात पर मुस्कुराते हुए कहा हां नेहा। मा को भी अपनी जिन्दगी जीने का पूरा हक है। और हमें उन्हें हमेशा सपोर्ट करना चाहिए। एक दिन ऐसा आया जब माने हमें एक और बड़ी खबर सु
09:48कर कुछ करें और अब उन्हें वहां मौका मिला था। उन्होंने घर से ही हैंडी क्राफ्ट और सिलाइक धाई का काम शुरू किया और धीरे धीरे उनके प्रोड़क्स लोगों को पसंद आने लगे। मा के इस कदम ने हमें और गर्वित कर दिया। हमने पूरे दिल से उनका
10:18देखते ही देखते मा का यह शौक एक छोटे से बिजनेस में बदल गया और उन्हें इससे न केवल खुशी मिली बलकि एक नई पहचान भी मिली। अब हमारा परिवार एक नए अध्याय में प्रवेश कर चुका था। मा का बिजनेस अच्छा चलने लगा था और हम सभी न
10:48से मैंने ये सब शुरू किया। अगर तुमने मुझे खुद के लिए जीने की याद न दिलाई होती तो शायद मैं आज यहां नहीं होती। उनकी बाते सुनकर मेरा दिल फिर से भराया। मैंने जवाब दिया मा आपने हमें हमेशा खुद से ज्यादा प्रात्मिक्ता दी है
11:18सफर बन गया जिसने हमें यह सिखाया की जीवन में रिष्टों की एहमियत क्या होती है और कैसे हम एक दूसरे को प्रोचसाहित करके खुद को और अपने अपनों को बहतर बना सकते हैं। मा का वह छोटा सा बिजनिस अब उनकी पहचान बन चुका था और हमारे परिवार की
11:48करता गया मा का बिजनिस लगातार बढ़ता गया। उन्होंने अपने काम को और बड़े स्तर पर ले जाने का फैसला किया और इसके लिए कुछ प्रोफेशन से सलाह ली। पापा और मैंने उनके इस फैसले का पूरा समर्थन किया। धीरे धीरे माने अपने प्रोडक्स को �
12:18के बिजनिस को एक इंस्पिरेशन के रूप में भी देखते। एक दिन मा को एक बड़े इवेंट में सम्मानित किया जहां उन्हें उभरते महिला उद्यमी का पुरसकार मिला। यहाँ पल हमारे परिवार के लिए बेहत खास था। जब मा मंच पर पुरसकार लेने गई तो
12:48मुझे खुद को फिर से खोजने में मदद की। मा की ये बाते सुनकर मेरी आखे नम हो गए। यहाँ देखना अविश्वस्निय था कि कैसे माने अपनी महन और लगन से न सिर्फ अपने सपने पूरे किये बलकी हमारे परिवार की भी ताकत बन गए। उस दिन मुझे एहसा
13:18मुझे एक वर्कशॉप शुरू की जहां वे महिलाओं को हैंडी क्राफ्ट और सिलाइक ढाई सिखाती ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सके। कई महिलाओं ने मा से प्रेर्णा लेकर अपने छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू किये और आत्मनिर्भर बन गई। मा अब एक �
13:48पापा अपने काम में व्यस्त थे लेकिन अब वे भी मा की सफलता से गर्वित महसूस करते थे और हर तरह से उनका सहयोग करते थे। एक दिन जब हम सब साथ बैठे थे माने हमसे कहा ये सफर जितना मेरा है उतना ही तुम सब का भी है। तुम सबने मुझे सपोर्ट किया औ
14:18सबसे बड़ी बात यह है कि परिवार का साथ हो तो हर सपना पूरा हो सकता है। उस पल में हमें एहसास हुआ कि हमारे परिवार का बंधन सिर्फ प्यार और रिष्टों तक सीमित नहीं था बलकि अब वह एक प्रेना बन चुका था। हमने एक दूसरे का साथ देकर यह सीख
14:48हम सभी ने उनके इस सफर में न केवल उनका साथ दिया बलकि खुद भी उनसे बहुत कुछ सीखा। इस यात्रा ने हमें यह सिखाया की जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें सपनों का पीछा करना और परिवार के साथ हर कदम पर खड़ा रहना है। और यह कहानी यही
15:18के साथ हर नई मंजल तक पहुचने के लिए हमेशा तयार था।
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