00:00दानव राज काल केतु के छोटे भाई सेनापती धुम्र केतु ने ये निर्णाय लिया है
00:24वो विजय दुर्ग की राजकमारी सुमुकी से विवाह कर रहे है
00:30अपने इंडीडर लेने वालों से जाकर कहतो
00:33महराज गरुणगाच दानव राजकाल केतु ये अपमान सहन नहीं कर सकेंगे
00:43तो एक बार फिर फिर
00:44पार्णाय बार्णाय इंड है
00:51लिए
00:53लिए
00:55जो हो रहा है
01:23अच्छा हो रहा हाँ और जो होगा वो भी अच्छा होगा मामा जी आपको कुछ करने की आवे शक्ता नहीं है मामा जी रात्ते का काटा अपने आप निकाल कर फेक दिया जाएगा
01:40क्यूंकि महाराजा गरुट ध्वज गुला नरेश का मुकाबला नहीं कर सकते
01:46आप ही विजदुर्ग के राजा बनेंगे महाराज दुर्ज है
02:01हाँ हाँ और हम दोनों आपके दाय मंत्री और बाय मंत्री
02:11मनुष्य अपनी महत्व कांग्शा के आधीन होकर समस्त विश्व पर अपना अधिपत्य सापित करना चाहता है
02:26किन्तु वो ये नहीं जानता कि जो वो चाहता है वो नहीं होता
02:32जो मैं चाहती हूँ वही होता है
02:36यदि कोई दुष्ट अपना अनुशासन स्थापित करना चाहे
02:40या कोई कुटल बुध्धी अपनी दूरंगी नीतियों से दूसरों का राज अपनाना चाहे
02:48तो ये सब स्रिष्टी के नियमों के अनुसार ही होगा
02:52पूर्व जन्यों के पुन्यों का फल दुष्ट और कुटल बुध्धी को इस जन्यों में प्राप्त होता है
03:00ये क्या कर रहे हो धूमर के तू छोड़ो उसे वो दूथ है
03:13मैं इनकार्ट सहन नहीं कर सकता प्राता श्री
03:26मना तुम्हें गरोड धर्ज ने किया था
03:28वजर मुष्टिने नहीं वो थो हमारा दूद बन कर गया था
03:33करुण ध्वज का साहस तो देखो क्या क्या कहा उन्होंने धर्म अधर्म का मेल नहीं होता
03:41अपने आपको सदाचारी और हमें हमें अनाचारी कहा इस दुसाहस का दंड उने मिलेगा अवश्य मिलेगा मैं बल्पुर्वक सुमुखी को उठा कर लाऊंगा और बल्पुर्वक उसे विवा करूंगा
Be the first to comment