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  • 2 days ago

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00:00अभिवादन, अभिवादन,
00:28अभिवादन, अभिवादन,
00:33अभिवादन, अभिवादन,
00:38अभिवादन, अभिवादन,
00:43अभिवादन, अभिवादन,
00:48अभिवादन, अभिवादन,
00:53अभिवादन, अभिवादन,
00:57ख़िगादनु ख़िगादनु पद गंदनु सागर पद गंदनु
01:27कि हुआ है एटनु कि दगे, ख़िगे एटनु प्छम healing पादनु ख़िगादो तवे, संह ख़िगादो फ़िगाद wa दोज्स दिखिशा साक्वृ एटनु साग्स, और ट्रूिए है।
01:57चैंद्रवंश को नमन हमारा
02:15जहां से चली यदुवंश की धारा
02:26हम चारण जन स्री गृष्ण चंद्र की वंशावली पतान करे
02:43संखेप में प्रबु के पूर्वजों की गरिम का गुणदान करे
02:53हम चारण जन विराट पुरुष नारायन के नाभिकमन से ब्रह्माजी उपजे
03:03ब्रम्हा से उत्पन अत्र रिशि अत्र नेत्र से प्रगटे चंद्रमा और चंद्रवंश में ही आगे चलकर हुए
03:13महाराज ययाति और उनके पुत्र हुए महाप्रतापी यदू
03:23के कारण यह खुल यदूवंश कहाए यदूवंश की गौरव गाथों कही न जाए
03:33श्री शूर सेन वसुदेव इसी के जाए वसुदेव देव की कारण कौन चुकाए
03:43बेधन्य धन्य है बेधन्य धन्य जिनके घर आकर चन्म गहन भगवान करे हम चारण जन्द
03:58हम चारण जन्द श्री क्रिष्न चंद्र की वंशावली पकार करे हम चारण जन्द
04:08देहु क्रिपा करी एही असीसा चरन सरन राख़ू जगदीसा
04:25विप्रवरो आप लोग अपना कारे पुरा कीजे
04:28ओम अग्मेनय सुपता राये अस्मान विश्वानि देव वयोद्नानी विद्मान योध्यस्मज्यू हुरान मेनो
04:50भुयेष्ठान्ते नाम उक्तिं विधेमान
04:57ओम स्वस्तिन इंड्रो विधक्षवाह स्वस्तिन पूशा विश्वविदाह स्वस्तिन स्तारक्षो आरिष्कनेवि
05:09स्वस्तिनो ब्रिहस्तति रधातु ओम्द्यो हु शांति रंतरिक्षग्वं शांति प्रिथिवी शांति रापाह शांति रोशधय शांति वनस्पतय शांति विश्वे देवाह
05:37शांति शांति शांति यो तो हमारे विचार में इसमें एक मुख्य बात की कमी है दुआरी का राजी की राजनीती क्या होगी इस भूखंड के समस्त राज्यों के पीच
06:02मैत्री का संबंद इस्ताफित करके शांति का एक ऐसा सुन्दर वातावरण बनाया जाए जिसमें समस्त प्रजजन आपसी वैरभाव त्याग दें
06:20इसलिए हम सभी राजाओं की ओर मैत्री का हाग पढ़ाते हैं
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