बिहार के वैशाली जिले का पकौली गांव बेटियों और चंदन के वृक्ष के अनोखे रिश्ते के लिए जाना जाता है. गांव के हर घर के दरवाजे पर आपको चंदन का पेड़ देखने को मिल जाएगा. घर में बेटी के जन्म की खुशी में लोग अपने यहां चंदन का पौधा लगाते हैं. ये पौधा किसी नर्सरी से नहीं लाया जाता है.. बल्कि गांव में ही कहीं ना कहीं उगा होता है। चंदन का पौधा बड़ा होकर घर के एक सदस्य के रूप में हर सुख-दुख में उनकी मदद करता है. बेटियों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर उनकी शादी तक में उनका साथ देता है। ऐसे वक्त में लोग चंदन के पेड़ को बेचकर खर्च के लिए पैसा जुटाते हैं। यानी जन्म से मरण तक चंदन का पेड़ गांव के लोगों का साथ निभाता है. पकौली गांव बिहार की राजधानी पटना से महज 35 किलोमीटर दूर है, जहां करीब 700 घर हैं। गांव में जिस परिवार के पास कमाने वाला कोई नहीं है, उनका भी सहारा ये चंदन का पेड़ ही है.
00:30पकोली गाओं बिहार की राजदानी पटना से महज 35 किलोमेटर दूर है, जहां करीब 700 घर है, गाओं में जिस परिवार के पास कमाने वाला कोई नहीं है, उनका भी सहारा ये चंदन का पेड़ ही है
00:43कई पीडियों से इस गाओं के लोगों के लिए चंदन के पेड़ वर्दान बने हुए हैं, कई लोग अपने पूरवजों की याद में इस पेड़ को समाल कर रखते हैं
01:06ITU भारत के लिए बिहार के वैशाली से रंजीत कुमार की रिपोर्ट
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