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Credit - starbharat/youtube

RadhaKrishn Nritya ka aayojan राधाकृष्ण #radhakrishna #starbharat EPISODE-17

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Transcript
00:00हाल अगरीष्मेक जिस्वेक जिस्वेक जिस्वेक
00:27हाजू
00:28यह गाय भाइश चराने की बात नहीं हो रहे है नित्य करना है जो कि एक कला है कभी किया भी है
00:46नित्य नित्य तो कभी किया नहीं है
00:58किंटु हमारे दाओं बहुत अच्छा नित्य करतें क्यों दाओं
01:05हाँ हाँ नित्य में तो बचपन से ही रुची रही है अच्छा
01:17सुना मित्रो इसे तो बाल पर से ही नित्य में रूची है
01:25अतीव
01:29तभी दरपण में मुख देखा है अपना
01:35बल्राम पहलवानों का कार अखाडे में
01:43मंच पर नहीं
01:46और जानते क्या तू
01:53मृत्य के बारे में क्या
01:56क्या जानते तू
01:58हस्त मुद्राएं पगत अधकार क्या आता क्या है तुम्हें
02:05लए ताल कुछ
02:08समझ में आता है
02:10अरे जाओ बल्राम
02:16मृत्य तुम्हारे बस की बात नहीं
02:18ये कला इतनी साधारन नहीं कि तुम इसे करपाव
02:24जानते हो इसे
02:27उर्दुआ हस्ते चक्र मुद्रा कहते हैं
02:32और इसे कहते हैं पुश्पक मुद्रा
02:36कि तु खेद है तुम ये सब नहीं कर सकते जानते हो क्यों मैं बताता है
02:43तुम्हारे ये जो हाथ है ना ये
02:45ये हाथ
02:48गाय भैसों का दूदू निकालने के लिए बने है
02:52और ये ये ये ये पैर गववें चराते दूर वनों में भटकने के लिए बने
03:03ये देना कथे अकदेन धा नित्ति करने के लिए नहीं
03:09एक काम करते है ना है
03:14हम भी सुदेवी के विवा उत्सव में नित्य प्रस्तूत करना चाहते हैं और तुम
03:21और तुम्हारे मित्र भी यह जाते हैं
03:24तो ठीक है
03:27तो क्यों ना
03:29उसके अपूर हम सब एक साथ नित्य करके देखे लिए ते
03:35संभा है फिर तुम्हारा विचार पता चाहें
03:43चुनाती दे रहा है
03:58मुझे
04:00तो चलो मंच पर
04:03देख लेते हैं
04:13अरी रादा रादा रादा
04:17हमें भी अपने साथ नित्य करने दो ना
04:23नहीं
04:24पहले नित्य करके दिखाना होगा उसके पस्चाथ ही तुम्हारे चनाफ करने लिए जाएगा
04:29सोच लो क्योंकि संभा होता है इसके पस्चाथ तुम्हारे पास नित्य के लिए लोग कम रहेंगे
04:39क्या के रहे हो कुछ समझ में नहीं आ रहा है देख लो स्वयमी समिछ जाओगी
04:49पुछे बहुत भूख लगी है विचाता हम बोजन करने वैसे भी अब जो होने बाला है वो मुझ से देखा नहीं जाएगा
05:01हुँ
05:03हुँ
05:07हुँ
05:11हुँ
05:15हुँ
05:19हुँ
05:23हुँ
05:25अरंभ कीजिये दाओ
05:27हुँ
05:29हुँ
05:31हुँ
05:33दाओ
05:35हुँ
05:37हुँ
05:39हुँ
05:41हुँ
05:43हुँ
05:45हुँ
05:47हुँ
05:49हुँ
05:51हुँ
05:53हुँ
05:55हुँ
05:57हुँ
05:59हुँ
06:01हुँ
06:03हुँ
06:13हुँ
06:15हुँ
06:17हुँ
06:19हुँ
06:21हुँ
06:23हुँ
06:25हुँ
06:27हुँ
06:29हुँ
06:31हुँ
06:33हुँ
06:35हुँ
06:37तो अट कर दो
06:45कर सुवार ये कैसा रितने है तु ह्टाहल बांड और ये है और दू थाड़ा स्थाव
07:03आन
07:07कि यह वह चक्रा गए हमने तो प्रेम पूर वक कहा था यह कि हमें डेत्ते करने और तब तुम हमारा उफास उड़ाने लगे तो
07:22कि क्या कहा था तुमने कि दरपण में जाकर अपना मुख देखो
07:26अब कुछ समय बाद दरपण में तो क्या है संपूर्ण गाउं में किसी को अपना मुख दिखाने लायक नहीं रहो गया
07:35और तुम लोग जब तक मेरा नृत्य चलेगा तब तक संगीत रुकना नहीं चाहिए
07:43बजाओ बजाओ
07:48कुछ बस तेक लिया तुम्हारा यनृत्य अब बंद करो इसे बंद कर अरे अभी कहां ये तो लास्ति था ये असली तांडव तो अभी शेष है
08:10मेरी पुश्पक मुद्रा
08:14कुछ पुश्पक मेरी साहिता करो मैं फजगा हूं यहाँ पर अरे साहिता करो मेरी मूरको अब ये देखो ताल का तोड़ा
08:36ये ये तांडव किसी प्रकार चलता रहा तो परसाने पे प्रले आ जाएगी
08:50मृत्य के लिए कोई नहीं बचेगा किंदी ने रोकेगा कौन
08:55किदी दाओ को नहीं रोका गया तो इनकी विदूरदशा हाठ वालों की तरह हो जाएगी
09:13कैसे रोको इने
09:19अपके वाली की मार्गे त्रेश्ट
09:27त्रेश्ट
09:28झाली के जाएग आए हो जाएगा
09:29त्रेश्ट
09:30तरेश्ट
09:31जाएग यिलिदba
09:32सिित hm
09:47क्या थाएग
09:49प्रूशन, अपनी दाओ को रोको
10:07मेरे दाओ एक बार शुरू हो जाते ना, फिर रुकते नहीं
10:19तुम समझ नहीं रहे हो, उन रित्य नहीं कर रहे हैं, पीट रहे हैं सबको
10:23समझना तो आयन और उसके मित्रों को चाहिए था ना
10:26व्रक्तिकी कर काटी देखकर उससे जगडा मोल लेना चाहिए था ना
10:30अब मैं कुछ नहीं कर सकते
10:32अब मैं क्या कर सकता हूँ, मैंने तो पहली कहा था
10:42अब अधिक बनो मत, तुम भी जानते हो, कि केवल तुम ही उनने रोक सकते हो
10:50अच्छा, ऐसा है
11:02तुम मैं दाओ को रोक लिए
11:32किन्तु उसकी एक शर्थ है
11:38स्वीकार है
11:40इतनी भी क्या शिगरिता है
11:43पहले शर्थ तो पूछ लो
11:45फिर तुम कहोगी मैंने तुम्हें भसाया
11:48अच्छ ठीक है बताओ
11:50क्या शर्थ है तुम्हारी
11:53तुम्हें मुझसे मित्रिता करनी होगी
11:59अफसर का लाब उठाना तो कोई तुम से सीखे
12:11अफसर का लाब उठाना होता तो शर्थ नहीं बताता
12:14भलाई का तो कोई मूल ही नहीं रहा
12:17जाओ मुझे अपना माकन काने दो
12:20जाओ जाओ जाओ उपने मित्र को पिटते हुए दिखो जाओ
12:24कि अभी तक तो कुछ लोगों को घर उठा के लिए जाना होगा तुम्हें
12:31मैसे मुझसे मित्रता करने में समस्या क्या है क्योंकि तुम और तुम्हारी बाते दोनों मुझे समझ में नहीं आती फिर तो मित्रता और भी अवश्चक हो जाती है
12:49मित्र बने बना ना तुम मुझे समझ पाओगी ना मेरी बातों को पर तुम्हें मेरा मित्र क्यों बनना है तो सुनो सौ बात की एक बात
13:01जिस लड़की से मैं प्रेम करता हूं वो
13:07वो उसे मैंने बचन दिया था कि मैं सुदेवी के विवा में उसके साथ मृत्य करूंगा
13:26अब मुझे तुन रित्य आता नहीं है और वो वो वो बहुत ही प्रवीन रित्यांगना है
13:48पर अब वचन तो वचन है ना मुझे उसके साथ तुन रित्य करना होगा है ना
13:52इसलिए तुम से मित्रिता करने थी ताकि तुम मुझे नित्य सिखा दो
13:59अब सिखा दो ना मैं जीवन भर तुमारे उपकार नहीं बूलूँगा
14:06यही अफसर है यदि कृष्णी से सीधे सीधे उस लड़की का नाम पूछा तो वो कभी नहीं बताएगा
14:18किन्तु मित्रिता का जूटा नाटक करने से अयन और इसके साथ ही भी बच्चाहेंगे और इस लड़की तक पहुचने में सरलता भी होगी
14:26ताकि उसका जीवन इस कृष्णी के माय जाल से बचा सको
14:30है महादेव खड़े खड़े इतनी बड़े योजना बना लें
14:39कर दो
14:57कर दो
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