00:00कि अब बड़े ही बली हैं आप बड़े भई है सोयम ही कीचड से निकल गए
00:17जिस प्रकार तुम्हारे मित्र कीचड से निकले हैं लगता है बालपंच से कीचड में किरने का अभ्यास करते हैं
00:30कि अब तक अब आपको पिकार में आयन को रुका
00:57कि वही पिटने देती तब समझ में आता उसे अरे क्या हुआ राधा किसने इतना गुस्सा दिला दिया तुम्हें वही आपका भाई
01:13समझाइए दाऊ से आप जानते हैं उसने अयान के सब क्या किया है है है है कौन है मेरा बाल सखा जटीला का क्यों अग्रपता का पुत्र अभी अभी शास्त्रशिक्षा लेकर आया है आपके उस कृष्ण ने कीचड में धकेल दिया उसे क्या कृष्ण
01:43आपके आयान को धक्का मारा और मुझे तो पूरा विश्वास है उस भूली गाए को माया में फसाने वाला कृष्ण नहीं है बहुत ही दुष्ट है वो वैसे बात तो तुम्हारी ठीकी है रादा काना है ही ऐसा है तनिक
02:02मा बाबा और मैं हम तीनों परेशान है उसे और नहीं तो क्या रहाचलते लोगों को कसाता है उसे हाट में देखा था कैसे लोगों से उलच पड़ा था आपने तो व्यर्थ मिसायता कि उसकी उसकी उस दिन पिटने देते अच्छी से सीखने उसे अब क्या करूं ना उसकी �
02:32पना उसे संकट में देखकर स्वायम रुकने का फोटा भाई जो ठहरा जितना छोटा उतना खोटा वैसे अपने कख्ष में जा रही हो रहा था हां क्यों नहीं मैं तो बस चेता रहा था वहां मज जाना आप तो मैं अच्छा नहीं लगेगा वाला मुझे मेरी कख्ष में ज
03:02अब कारे संपन हुआ बताया नहीं आपने मुझे मेरी कख्ष में जाने से क्यों रोका दाओ हां मैं भी यही सोच रहा था कि क्यों रोका जब कोई लाब भी नहीं पर वैसे भी आज नहीं तो कल तुम्हें पता तो चली जाना है क्या
03:27तुम स्वायम अपने कख्ष में जाकर क्यों नहीं देख लेती है
03:35एक तो वहां उस कृष्ण ने तंग करके रखा है और दुसरा यहां दाओ पाहिले अब उजा रहे है इंजी कुन में लों कोई सीधी बत करता क्यों नहीं है
03:50तुम्हें यह क्या कर रहा है तुम्हें विश्राम कर रहा हूं
04:09वर बड़े भाएया को ग्यान देने के पश्राद ठकान सी हो गई थी
04:17अपर मेरी संयां पर क्या कर रहाए हूं शईया विश्राम करने के लिए होती किन वहीai कर रहा हूं
04:26कि तुम्हें दिखाई ने दे रहा कि तुम्हारे मस्तिष के साथ साथ तुम्हारे आखे भी नहीं न met cum
04:35कर दो
05:05जब जब कोई अपनी शक्ति पर एहनकार करता है, तब तब उसका ब्रह्म तोड़ने के लिए कोई उससे अधिक शक्ति शाली आता है, और अपना परिचह दे जाए।
05:20मेरा इतना बड़ा अप्मार आज तक किसी ने ऐसा करने का दुस्सास नहीं किया।
05:31उस कृष्ण को तो मैं अब छोड़ूंगा नहीं मां।
05:38बात तो सही है। छोड़ना भी नहीं चाहिए उससे।
05:43उसने महावली आयन का अपमान चो किया। कदा भी नहीं छोड़ना उससे।
05:49परन तो करोगे क्या।
05:55आज रात्री का भोज राधा के वह रखा गया है ना। क्रिश्ण के आने के खुशी है।
06:02तुमना एक काम करो। तुम उस क्रिश्ण से ना मित्रता कर लो। और फिर भोजन के बाद उसे बरसाना खुमाने के बहाने बाहर ले जाना।
06:18जल ले जाना। और ना फिर उसे उस पूची पहाड़ी के चोटी से।
06:26देखो तुम यहां से चले जाओ अन्या था। अन्या था क्या।
06:34अन्या था। उत्तम है। गया चराने जाते समय जल ले जाने काम आए।
06:42तुम यहां से जाते हो या नहीं।
06:48हाह। नहीं।
06:54माँ!
06:58माँ!
07:00माँ!
07:02तुम क्यों अपनी मा को बुला रहा ह।
07:05क्यों? तुम अपनी मा को बला सकती हो, मैं अपनी महिया को नहीं बला सकता।
07:08माँ!
07:32राधा, क्या हुआ?
07:36हाह का न? तुने मुझे पकारा क्यों?
07:40हाह! हाई दया!
07:43राधा, इस कक्ष के क्या अवस्ता बना रखे है राधा?
07:53मा, आपने मेरे कक्ष क्रिष्न को क्यों दिया?
08:06पुत्री, क्रिष्न हमारा अथिती है।
08:10यदि वो तुम्हारे कक्ष में रहना चाहता है,
08:13तो हमें उसकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए, पुत्री।
08:16यही, यही तो कह रहा था राधा से मैं।
08:20किसी दाशा में नहीं।
08:23मैं अपना कक्ष नहीं छोड़ूंगी।
08:28राधा, यहां क्या मेरा, क्या देरा, सब कुछ तो यहीं नहीं जाना है।
08:35किसी भी वस्तु से इतना मोह ठीक नहीं।
08:39जीवन में कभी-कभी ऐसी परीक्षा की घड़ी आहीं जाती है।
08:44जहां आपको आपकी सबसे प्रिय वस्तु यह संबंध का त्याग करना होता है।
08:50उस समय उस मोह से उत्पन्य हुई पीड़ा और समय हो जाती है।
08:58तुम तो चुपी रहो।
09:06मेरा बालपन से यही कक्ष रहा है।
09:12प्रेदिता, रादे ठीकी तो कह रही है।
09:18कानहा, तो किसी और कक्ष में रह ले।
09:22काकी।
09:24यह आपकी बात नहीं मानने वाला।
09:27कैसे नहीं मानेगा।
09:28मेरा पुत्र है, सब बात मानेगा।
09:32कैसे जा सकता हूं।
09:42पर सब मेरी तरह थोड़ी नहीं होते हैं माहिया।
09:45कि अपनी माहिया के आदेश पे यह सब कुछ त्याग दे।
09:50अब रादा को यह देख लो।
09:52ऐसे इस प्रकार सब के सामने उनकी बात ना मानकर, उसने उनको कितनी ठेश पहुचाई है।
09:58किन्तु कुई बात नहीं खा कि मैं अपनी माईया के आदेश का पालन सदे ही वकरूंगा
10:06राधा कुछ सीखो क्रेशन से अपनी मा की बात एक शड में मान ली उसने और तू
10:18अब ये कक्ष चाहे जिसेने भी बिगारा हो
10:27मैं यहां पर था तो मेरा ये कर्तव्य है कि मैं इसे ठीक करता हूँ
10:32इतना विनर्म और संसकारी है कृष और तुम राधा
10:46ये शोदा जी जी के सामने तुम ने मेरा क्या संबान रखा
10:54काकी भावक होने के अवर्शक्ता नहीं है
11:02जैसा ये कख्ष वैसा कोई और कख्ष में तो मैं ही चला जाता हूं किसी और कख्ष में
11:15रूको यही रहो
11:41मैं अपनी मा की आंखो मैं आंसों नहीं देख सकते हैं
11:48चुक चुक चियो पुत्री
12:05कानवा सी कुछ राधा से
12:18मैं वो है कि अपनी मैं की आंखों में आसों नहीं देख सकती और तु तु सदा ही अपनी मैं को कश्ट देता रहता है
12:27नहीं अब चोड़ भी दीजिए न अब इस बात का प्रतिशोत लेंगे आप
12:34तुम अब भी यहीं खड़ी हो जो अपना सामान उटा के किसी और कख्ष में रख दो
12:43हाँ इस समय तो तुम्हारे मन में इस कख्ष को छोड़ने के दुख का भार होगा उसके साथ साथ इस सामान का भार कैसे उठा पाओगी नहीं
12:55चला कोई बात नहीं मैं हुना मैं तुम्हारी साहता करता है
13:01शमा करना काकी किन्तो अब क्रिश्न ने सीमा पार कर दी है फिर से चड़ा रहे है मुझे
13:08अब मैं आपके क्रिश्न को नहीं छोड़ूंगी
13:15दाधा छोड़ना ने इस नाटकर को शोड़ूंगी
13:43छोड़ना निस नटकत को काना राधा की हाथ बिलकुल बताना
14:13करते सबु compatible लिलकर था धना राधा थार आप की वर माश्याना जतार से न मसा the
14:23कंशा एक एकर के पना राधा की एक की का पना राधाना खाफ तो
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