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Vaman Dwadashi Vrat Katha: Vaman Dwadashi 2025: वामन जयन्ती यानी वामन द्वादशी का त्योहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
भागवत पुराण के अनुसार, वामन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार थे। कहते हैं वामन देव ने भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में माता
अदिति व कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। पौराणिक कथाओं अनुसार भगवान विष्णु ने स्वर्ग लोक पर इन्द्र देव के अधिकार को पुनःस्थापित
करवाने के लिये ही वामन अवतार लिया था। आपको बताते हैं वामन द्वादशी की पावन कथा।Vaman Dwadashi Vrat Katha: Vaman Dwadashi Ki Katha,Kyu Manaya Jata Hai ?
Vaman Jayanti or the festival of Vaman Dwadashi is celebrated on the
Dwadashi date of the Shukla Paksha of Bhadrapada. According to the Bhagavata Purana, Vaman was the fifth incarnation of Lord Vishnu. It is
said that Vaman Dev was born on the Shukla Paksha Dwadashi of the Bhadrapada month in Abhijit Muhurta as the son of Mother Aditi and
Kashyap Rishi. According to mythology, Lord Vishnu took the Vaman incarnation to reinstate the authority of Lord Indra on heaven. Know the
holy story of the worship of Vaman Dwadashi.
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~HT.410~PR.111~ED.118~

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Transcript
00:00एक समय अत्यंत बलशाली दैतिराजा बली ने इंद्रदेव को पराज़त कर स्वर्ग पर अपना अधिकार इस्थापित कर लिया था
00:09भगवान वश्नों के परमभक्त और दानवीर राजा होने के बावजूद भी
00:14बली एक क्रूर और अभिमानी राक्षस था
00:17वो अपने शक्ति का दोर उपयोग कर देवताओं को डराया करता
00:21अजय बली अपने बल से स्वर्ग लोग, भू लोग और पातालोग का स्वामी वन बैठा था
00:26जब स्वर्ग पर बली ने अपना अधिकार जमा लिया
00:30तब इंद्रदेव अन देवताओं के साथ भगवान वश्नु की शरण में पहुचे और उन में सहत की विंती की
00:37इसके बाद भगवान वश्नु ने सभी को बली के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए
00:42माता अधिती के गर्ब से वामन अवतार के रूप में जन्म लिया
00:47भगवान वश्नु वामन रूप में सभा में पहुचे जहां राजा बली अश्रमेद यग्य कर रहे थे
00:53वामन देव ने भिक्षा के रूप में बली से तीन पग धरती मांग ली
00:58बली एक दानवीर राजा थे सहर्ष रूप से उन्होंने वामन देव के इच्छा पूरी करने का वचन दिया
01:04उसके बाद वामन देव ने अत्यंत विशाल रूप धारण कर पहले पग से ही उन्होंने समंस्त भूलोक को नाप लिया
01:12दूसरे पग से उन्होंने स्वर्ग लोक नाप लिया
01:15इसके बाद वामन देव अपना तीसरा पग उठाने को हुए तब राजा बली को ये ग्याद हुआ कि ये स्वेम भगवान विश्नु है
01:22अता बली ने तीसरे पग के लिए अपना शीर शिवामन देव के सामने प्रस्तुत कर दिया
01:27तब भगवान विश्नु ने बली की उधारता का सम्मान करते हुए उसे पाता लोक दे दिया
01:33भग्वान वश्नूने साधी बली को ये भी वर्दान दिया कि वो साल में एक बार अपनी प्रजा के समक्ष धर्ती पर उपस्तत हो सकता है।
01:42राजाबली की धर्ती परवार्शिक यात्र को केरल में ओनम और अन्य भारती राज्य भाशाओं में बली प्रतिपदा के रूप में मनाये जाता है।
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