महाराष्ट्र के बीड जिले के धारुर शहर में स्थापित भगवान गणेश की ये मूर्ति इस साल गणेश चतुर्थी के मौके पर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित कर रही है. हिंदू देवता की अधिकांश मूर्तियों के उलट ये मूर्ति छोटे बच्चों द्वारा जुटाए गए पुरानी साइकिल के पुर्जों से बनाई गई है. मूर्ति बनाने में अद्भुत शिल्प कौशल दिखाई देता है. इसमें गणपति का शरीर पहियों से हाथ ब्रेक रॉड से माला जंजीरों से और चेहरे को साइकिल के अलग-अलग पुर्जों से बनाया गया है. गणेश उत्सव के आयोजक बीते पांच सालों से पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियाँ बनाते आ रहे हैं. इस साल भी साइकिल के कबाड़ से बनी इस मूर्ति का विसर्जन नहीं किया जाएगा बल्कि उत्सव के बाद उसे फिर से उपयोग में लाया जाएगा. इस मौके पर मूर्ति के दर्शन करने आए लोगों ने इस अनूठे तरीके से मूर्ति बनाने की पहल की जमकर प्रशंसा की. पर्यावरण अनुकूल गणेश ये मूर्ति जय किसान गणेश मंडल की पहल है जो छह दशकों से अधिक समय से गणेश चतुर्थी के उत्सव को मना रहा है.
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