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  • 7 weeks ago
महाराष्ट्र के बीड जिले के धारुर शहर में स्थापित भगवान गणेश की ये मूर्ति इस साल गणेश चतुर्थी के मौके पर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित कर रही है. हिंदू देवता की अधिकांश मूर्तियों के उलट ये मूर्ति छोटे बच्चों द्वारा जुटाए गए पुरानी साइकिल के पुर्जों से बनाई गई है. मूर्ति बनाने में अद्भुत शिल्प कौशल दिखाई देता है. इसमें गणपति का शरीर पहियों से हाथ ब्रेक रॉड से माला जंजीरों से और चेहरे को साइकिल के अलग-अलग पुर्जों से बनाया गया है. गणेश उत्सव के आयोजक बीते पांच सालों से पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियाँ बनाते आ रहे हैं. इस साल भी साइकिल के कबाड़ से बनी इस मूर्ति का विसर्जन नहीं किया जाएगा बल्कि उत्सव के बाद उसे फिर से उपयोग में लाया जाएगा. इस मौके पर मूर्ति के दर्शन करने आए लोगों ने इस अनूठे तरीके से मूर्ति बनाने की पहल की जमकर प्रशंसा की. पर्यावरण अनुकूल गणेश ये मूर्ति जय किसान गणेश मंडल की पहल है जो छह दशकों से अधिक समय से गणेश चतुर्थी के उत्सव को मना रहा है.

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00:00महाराश्र के बीड जिले के धारूर शहर में स्थापित भगवान गणीश की ये मूर्ती इस साल कणीश चतुर्थी के मौके पर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्शित कर रही है।
00:30से और चहरे को साइकल के अलग अलग पुर्जों से बनाया गया है।
01:00इस गणीश उत्सव के आयो जग बीते पांस सालों से पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां बनाते आ रही है।
01:12इस साल भी साइकल के कबार से बनी इस मूर्ति का विसरजन नहीं किया जाएगा।
01:16बलकि उत्सव के बाद उसे फिर से उप्योग मिलाया जाएगा।
01:20पात साल से गन पति बाप्पा की जो भी मूर्ति स्थापित करते हैं वह पर आवर उनको भी हानिकारत नहीं है।
01:28इस साल से गनेश मंडल परियावरन पूरवक गनपती मूर्ति की स्थापना करता है।
01:54और इस गनेश मंडल ने अलग-अलग प्रकार के शिबीर आयुजित किये हैं इसका गरीब नागरिक लाब उठाते हैं।
02:05इस साल तो हमने साइकल की गनपती की मूर्ति बनाई है जो इसमें साइकल के अलग-अलग पार्ट है।
02:12और हम इसका विसरजन भी नहीं करेंगे, इसका फिर से उपयोग करेंगे, ये परियावरन के लिए पूरक है, इसकी बिल्कुल हानी नहीं होगी।
02:21इस मौके पर मूर्ति के दर्शन करने आये लोगों ने इस अनूठे तरीके से मूर्ति बनाने की पहल की जमकर प्रशंसा की।
02:51अनूकूल गणिश भगवान की ये मूर्ति जै किसान गणिश मंडल की पहल है, जो छे दशकों से अधिक समय से गणिश चतुर्थी के उत्सव को मना रहा है।
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