00:00नमस्कार, आज हम जिनकी बात करने वाले हैं, वो एक ऐसे कलाकार थे, जिनकी कूची सिर्फ रंग नहीं, कहानिया बुनती थी, मकबूल फिदा हुसेन, जिने कई लोग भारत का पिकासो भी कहते हैं, हमारे पास जो स्रोत है, उनकी मदद से हम हुसेन की कला, उनकी शोहरत और
00:30उससे उनकी पूरी यात्रा को देखा जाए, भारत या समाज पर उनका क्या आसर रहा, और वो कौन सी बहसें थी, जिन्होंने उनके जीवन को एक अलग ही मोड दे दिया, और ये सोचना ही कितना अजीब लगता है, कि सिनेमा के बड़े-बड़े पोस्टर पेंट करने वाल
01:00अच्छपन असान नहीं था, मा का साया जल्दी उड़ गया था, फिर इन दौर में काफी संगरश दिखा उनोंने, और कहते हैं कि इसी संगरश के बीच कला की तरफ उनका जुकाओ हुआ, फिर बॉम्बे गया, सर जीजे स्कूल अट, हाँ हाँ, मशूर स्कूल है वो तो, �
01:30यह दिल्चस बात है, फिर चालिस के दशक में उनकी असल कला यात्रा शुरू हुई होगी, हाँ, बिल्कुल, और सुरोध बताते हैं कि शुरुवाती पेंटिंग्स में, भारतिये गाउं, त्योहार, लोग कताएं, यह सब दिखता था, अच्छा, महकाव्य भी, लेकिन 1947 म
02:00तो और भी बड़े नाम थे, सूजा, रजा, जी, बिल्कुल, FN सूजा, SH रजा, और भी कही थे, इस ग्रूप का मकसद था, भाई, भारतिये कला को पुरानी रूडियों से निकाल कर, एक नई आधुनिक पहचान देना, अच्छा, और इसका हुसेन की शैली पर बहुत गह
02:30इसे यही कह सकते हैं, उनकी पेंटिंग्स में घोडे बहुत दिखते हैं, उनकी बहुत चर्चा होती है, हाँ, घोडे, सुरोध बताते हैं कि वो उनके लिए सिफ जानवर नहीं थे, अच्छा, वो उर्जा, गती, स्वतंदरता और कभी-कभी एक अनियंत्रिच शक्ती के �
03:00उसमें उन्होंने करोणा और सेवा को अपनी खास शैली में दिखाया, घोडों और मदर टेरिसा के अलावा, उनके विशे तो बहुत पहली हुए थे, रामायन, महाभारत, ब्रिटिश राज, आम भारतिय जीवन, बॉलिवुड भी, हाँ, हाँ, बॉलिवुड भी, स्रोध
03:30खासकर 1990 के दशक में, उनकी कुछ पुरानी पेंटिंग्स को लेकर, जिनमें हिंदू देवी देवताओं का चितरन था, काफी हंगामा हुआ
03:38हाँ, ये एक मुश्किल दौर था उनके लिए, स्रोतों के मुताबिक उन पर कई केस हुए, प्रदर्शन हुए
03:45जी, उनकी प्रदर्शनियों के बाहर विरोध प्रदर्शन, कुछ जगों पर तोड़ फोड भी हुई, आरोप लगे के उन्होंने धार्मिक भावनाया हत की है
03:51और इसी महौल के चलते, फिर उन्हें भारत छोड़ना पड़ा, करीब 2006 के आसपास
03:57हाँ, लगबग तभी, और यहाँ एक स्रोध में उनका एक बयान भी दर्ज है, वो कहते हैं, मैं एक भारतिया हूँ, मैं भारतिया ही रहूँगा, मैं विदेश सिर्फ इसली जाता हूँ, क्योंकि मेरे देशवासी मुझे स्वतंदर रूप से काम नहीं करने देते हैं
04:10हाँ, यह उनके दर्द को दिखाता है
04:13हालात की जटिलता को भी
04:14लेकिन क्या उस समय कला जगत या समाज से उनके समर्थन में आवाजें उठी कलाथमक स्वतंदरता को लेकर
04:22हाँ, कुछ सुरोध बताते हैं कि कला जगत और सिविल सुसाइटी के एक बड़े हिससे ने इसे कलात्मक अभिवेक्ती की स्वतंदरता पर हमला माना
04:30बहस इसी पर थी कि भई, कलाकार के आजादी की सीमा क्या हो और धार्मिक समवेदनों का सम्मान कैसे हो
04:36बहुत पेचीदा सवाल थे
04:37हाँ, आसान जवाब नहीं थे इनके
04:40इन विवादों के बावजूद उनकी अंतराश्ट्रिये पहचान तो बनी रही, यॉरप, अमेरिका में प्रदर्शनिया होती रही
04:47हाँ, होती रही, उन्होंने फिर दुबाई और लंदन में जादा समय बिताया और 2010 में कतर की मानद नागरिकता भी ली उन्होंने
04:53और विडंबना देखिए कि जिस देश में इतना विरोध हुआ, उसी देश ने उन्हें पदमश्री, पदमभूशन और पदमविभूशन जैसे सम्मान दिये थे
05:02जी, बिलकुल, पदमभिभूशन तो 1991 में ही मिल गया था, ये उनके कलात्म कद को दिखाता है
05:08और जीवन के अंत तक, 9 जून 2011 को लंदन में उनके निधन तक, वो कला से ही जुड़े रहे
05:14तो अगर हम इस पूरी चर्चा को समेटे, इन स्रोतों से जो बाते निकली, तो मुख्य बिंदू क्या होंगे?
05:21देखे, पहली बात तो यह है कि M.F. हुसेन की कला सिर्फ कला नहीं थी, वो बदलते भारत का, उसकी संस्कृती, उम्मीदों, विरोधा भासों का एक आइना थे
05:29दूसरी, उनका जीवन, जुनून, शुरुवाती संगर्ष और फिर असाधारन सफलता की कहानी है
05:36और तीसरी बात, उनसे जुड़े विवात, ये कलात्मक आजादी और सामाजिक प्रतिक्रियाओं के बीच का जो तनाव है, उस पर गहरे सवाल उठाते हैं
05:44और ये भी की देश छोड़ने के बाद भी भारत उनकी कला की प्रेणा बना रहा, वो उनकी पहचान का हिस्सा रहा
05:51तो M.F. हुसेन सिर्फ एक चित्रकार नहीं थे, वो एक सांस्कृतिक प्रतीक थे, उनकी विरासत पर हमेशा चर्चा होती रहेगी
06:00बिल्कुल, उनकी कहानी रंगो और रेखाओं से कहीं आगे जाती है
06:03और जाते जाते एक सवाल, सोचने के लिए छोड़ जाते है, हुसेन का जीवन हमें क्या सोचने पर मजबूर करता है
06:10कि कोई समाज उनकलाकृतियों से कैसे निपड़ता है, जो उसकी मान्यताओं को चुनोती देती है
06:16हम, और क्या निर्वासन किसी कलाकार का उसकी मात्र भूमी से रिष्टा खत्म कर देता है
06:24या उसे एक नया शायद और भी जटिल रूप दे देता है, सोचने वाली बात है
06:30अगर आप और महान लोगों की जीवनी सुनना चाते हैं, तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें
06:36बेल आइकान दबाएं ताकि नए एपिसोड की नोटिफिकेशन मिले