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00:00एक बार किसी ने एक फकीर से पूछा कि ये तुम जिस परमात्मा का जाप करते रहते हो ये कभी दुखी भी होता है क्या अब ऐसे तो हम कहेंगे परमात्मा परमात्मा मने आत्मा परमसत्यों कभी दुखी क्यों होगा तो फकीर बोलता हो होता दुखी अभी अजीब बात जो
00:30जवाब दिया when he cannot give बात कव्यात्मक तरीके से कही गई है और उसका जो आश्य है उग्रहन करिए अहम हमेशा का भिखारी उसे मांगना है और आत्मा को सिर्फ देना है तो आत्मा की समझाने वालों ने तुलना करी है भरे हुए बादल से या फलों से लदे व्रिक्ष से भरा �
01:00फलों के व्रिक्ष जैसा हो जाता है कल्प व्रिक्ष वो देता ही चलता है तो मांगो देता चलेगा कुछ नहीं होगा तो भी मांगोगे तो कुछ दे देगा जैसे कर्ण की कहानी है कि पड़े हुए है कुछ नहीं है फिर भी कोई मांगने आया बोले है तो और कुछ नहीं
01:30लेके लिए नहीं करी जा रही हैं, किसी दूर वाले के लिए नहीं करी जा रही हैं, ये सारी बाते हमारे लेकी जा रही हैं, हम जो इन कुर्सियों पर बैठे हैं, मैं और आप, ये हमारी बाते हैं, हम जुन्नु ला लें, और ये सारी बाते हैं इसलिए हैं, ताके हम स्वयम �
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