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  • 2/27/2025
वीडियो जानकारी: 24.02.2025, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा

Title: प्रिये! तुम खाना नहीं, प्यार परोसती हो! || आचार्य प्रशांत (2025)

📋 Video Chapters:
0:00 - Intro
1:15 - भोजन का महत्व क्यों बढ़ा दिया गया है?
2:03 - जीवन में स्वाद का स्थान और असली आनंद की कमी
4:42 - मसालेदार भोजन और उत्तेजना की खोज
6:03 - रेसिपीज (Recipes) और भोजन को लेकर दिखावा
8:49 - भोजन पर अत्यधिक समय खर्च करने की समस्या
13:26 - घर का खाना सस्ता क्यों नहीं होता?
16:16 - साधारण और पौष्टिक भोजन को प्राथमिकता देना
17:47 - भारतीय खानपान और स्वास्थ्य समस्याएँ
21:56 - महिलाओं का पूरा जीवन रसोई तक सीमित क्यों किया जाता है?
25:23 - खाने में विविधता की ज़रूरत और सरलता अपनाना
27:32 - पारिवारिक व्यवस्था और खाना बनाने की जिम्मेदारी

विवरण:
आचार्य प्रशांत भोजन को लेकर समाज में प्रचलित धारणा पर प्रश्न उठाते हैं कि आखिर खाना जीवन में इतनी बड़ी चीज़ क्यों बना दिया गया है। वे कहते हैं कि सबसे पौष्टिक भोजन वह है, जिसे कम से कम समय में बनाया जा सके। जीवन में रोमांच और उद्देश्य की कमी होने पर लोग स्वादिष्ट और मसालेदार खाने की ओर आकर्षित होते हैं, क्योंकि उनके जीवन में कोई असली आनंद या संघर्ष नहीं होता।
जो लोग अपने जीवन में किसी गहरे उद्देश्य से जुड़े होते हैं, वे खाना बनाने में घंटों बर्बाद नहीं कर सकते। वे यह दर्शाते हैं कि लंबी, जटिल रेसिपी (Recipe) बनाने की प्रवृत्ति जीवन के खालीपन और उद्देश्यहीनता का परिणाम हो सकती है, जहाँ लोग खाने के स्वाद में वह खुशी खोजते हैं, जो उनके जीवन में कहीं और नहीं मिलती।

🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06

संगीत: मिलिंद दाते
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