00:00मेरी ambition, मेरे fear, सब कुछ system से आ रहा है, बिल्कुल end of reality जैसा लगता है, एकदम death-like लगता है, समझ नहीं पार उसको solve कैसे दो
00:08जैसे गुलामी बाहर से आती है न, वैसे ही आजादी के लिए भी प्रेरणा तो आरंभिक बाहर से ही आएगी
00:16अपना पुराना ही महौल चलाते रहेंगे, जहां रहते हैं वहीं रहते रहेंगे, जिनकी संगती कर रखेंगे, जो व्यापार कर रखा है वही व्यापार, जो नौकरी वही नौकरी, जो धारणाएं वही धारणाएं, आपके सारे stakes जेल के भीतर हो जाएंगे, आप अच्छे
00:46तो आसम नहीं पूछा, इसका क्या जवाब है, जवाब है आपकी मर्जी, यह आखिरी शब्ध होता है, च्वाइस, मैं चाहिए करूँ, मैं चाहिए वो, मेरी मर्जी
00:56सर आपने जो सिस्टम की बात करी, मतलब जिसमें सभी कुछ आ गया, information, power, politics, capital, hierarchy, religion, सारा कुछ, यह सिस्टम के जब बाहर की बात सोचते हैं, तो वो न, ऐसा लगता है, मतलब बिलकुल end of reality ज़सा लगता है, एकदम death-like लगता है, कि यही जाना है अभी तक, सिस्टम नहीं मु
01:26तो लगता है, सब कुछ ख़ब हो जाएगा, एक, दूसरा, जब सिस्टम के बाहर जाता हूँ, तो फिर वो जो स्टेक्स जो आप बोल्ड़े सिस्टम खुदी आपको स्टेक्स देता है, तो आप खुदी फिर नेगोशियेट करते हो कि कुछ बेटर स्टेक्स निकाल लू क
01:56कैसे इसाब बोल पार है, मैंने अपके इंटर्नशिप करी, मैंने संस्था को देख और में को संग मैं कि काम बहुत अलग है, शायद यही सही है, आप जो जो लगता भी है कि यह सही है, वो भी आप ही कारण लगता है, क्योंकि आपने इन्फोर्मेशन दिए कि यह है दुनि
02:26कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं हमारे भीतर, जो बाहर से जब इशारा मिले न तभी जखती हैं, हम जी भी ऐसे हैं, अभी हम इतनी देर से कंडिशनिंग की बात कर रहे थे, जैसे हम कंडिशन हो जाते हैं बहुत आसानी से, वैसे ही जो फ्रीडम भी है कंडिशनिंग से, प्
02:56जो ही भीतर कुछ खटकता है, कुछ ट्रिगर होता है, आप अगर पैदा ही जेल में हुए हो, वहाँ सब वही हैं कैदी लोग, उन्हीं को देखा है, वही भीतर ही वो अपना उत्सव त्योहार भी मना लेते हैं, भीतर ही अपनी खटपट कर लेते हैं, चोटी मुटी लडा
03:26सारे स्टेक्स जेल के भीतर हो जाएंगा, आप अच्छे कैदी बनी हैं, आपको पुरसकार मिलेगा, सब कुछ जेल में हो जाएगा, आपका खाना, पीना, शादी बया, बच्चे, जीना, मरना, सब जेल के अंदर ही चल रहा है, आपको क्यों लगेगा कि जेल से बाहर मु�
03:56जीना पड़ता है, संस्था हमने इसलिए बनाई थी, उसके बिना होता नहीं है, उसके बिना सिर्फ शब्द रह जाते हैं, कॉन्सेप्ट रह जाते हैं, क्योंकि आप बहुत वल्नरेबल हो, असुरक्षित, आप अभी यहां दे बाहर निकलोगे, दस चीज़ें आपके उ�
04:26जाता रहता है, और हमारे पास उसके विरुद कोई सुरक्षा, कोई डिफेंस होती नहीं है, और जो भीतर जाता है, वो भीतर सिर्फ जाता नहीं है, महमान की तरह है, वो बसके बैठ जाता है, हमने कहा ना, हंकार, बड़ा सुना-सुना अपने आपको मानता है, बहुत अक
04:56गुलामी बाहर से आती है न, वैसे ही आजादी के लिए भी प्रेरणा तो आरंभिक बाहर से ही आएगी, और जिस आरंभिक में बात कर रहा हूँ वो आरंभ बड़ा लंबा खिशता है, प्रोकि बाहर से आजादी की प्रेरणा आ रही होगी, भीतर आपने क्या बैठा रखी ह
05:26संस्था में थे एक पोस्टर देखा होगा
05:28कि तुम्हें आग से बचाने के लिए मुझे आग से नहीं तुम से लड़ना पड़ता है
05:33आग लगी हुई है और जलने का खत्रा है और मुझे तुम्हें आग से बचाना है तो मैं आग से नहीं लड़ता
05:41मैं तुम से लड़ता हूँ
05:44क्योंकि तुम उतारू हो जल मरने के लिए
05:45तुम कहारों मुझे आना ही नहीं नहीं बाहर
05:48तो भीतर जो बैठा है
05:51उसके विरुध
05:53फिर बाहर भी किसी को बैठाना पड़ता है
05:57जो लगातार आपको टोकता चले
05:59लगातार आपके सामने
06:01एक दूसरी हकिकत रखता चले
06:03एन अल्टरनेट रियालिटी
06:05नहीं तो जो आपने देखा है जाना है
06:08और जो आपके मन के भीतर है आपके लिए वही
06:10एक मात्र सच्चाई बन जाती है
06:14और जब वही एक मात्र सच्चाई है
06:16तो विद्रो की क्या बात है? अजादी की क्या बात है? यही है? कोई alternative ही नहीं है? जब कोई बाहर दूसरा आता है तो विकल्प दिखाता है विकल्प है और मैं रहा मुझे देखो अगर मैं ऐसा हो सकते हो तुम भी हो सकते हो मुझे में तुम में कोई मुलभूत फर्क तो है �
06:46तो तो तो तुम से किस्ने का है कि तुम वहीं जाके बसो तो यह तो अपना फैसला होता है यह करना पड़ता है उसके बिना नहीं है यह यह मुगालता बिलकुल मत पालिएगा
07:16जो व्यापार कर रखा है वही व्यापार, जो नौकरी वही नौकरी, जो धारणाएं वही धारणाएं, जिसको आदर्श वानते हैं वही आदर्श, जो टीवी पर देखते हैं वही टीवी, जो एक्टर पसंद है वही पसंद, जो खिलाडी पसंद है वही पसंद, सब कुछ हम
07:46नहीं हो सकती जिन्हें भीतरी बदलाव चाहिए उन्हें बाहरी बदलाव के लिए तयार रहना पड़ेगा वह कीमत है तो चुकानी पड़ती है बाहर-बाहर सब पुरान ही रखोगे लोग कपड़े बदलने को नहीं तयार होते दस साल पहले ऐसे पहनते जब कपड़े ऐसे �
08:16का माहौल का संसकार का फर्क है वो किसी चीज को अभी व्यक्त करते हैं वो प्रतीक है रिप्रेजेंटेटिव हैं जो तुम्हें कपड़े पहन रखे हैं तुम कहा रहे हैं मुझे कपड़े तक अपने नहीं बदलने जिन्दगी बर कुरता बजा हुआ पहना या फलानी ची
08:46बाधा बन सकता है अगर तुम अडगाए कि मैं बाहरी चीजें नहीं ही बदलूँगा जब भीतरी बदलाव आता है तो बाहरी बदलाव की भी मांग करता है और जो बाहरी बदलाव से बचेंगे उनका भीतरी बदलाव बाधित हो जाएगा अब्स्ट्रक्ट प्रना मचार
09:16यह सवाल नहीं करना चाहते हैं, तो ऐसा कैसे है?
09:19अगर इसका उत्तर निकल आए, तो सब लोगों को ऐसा कर दिया जाए कि सवाल करने लगे ना, आपने प्रशन पूछा, सबने नहीं पूछा, इसका क्या जवाब है? जवाब है आपकी मरजी? यह आखरी शब्द होता है, चोईस, जिस चेतना की आप बात कर रहे हैं, उस चेत
09:49बात है, मेरी मरजी, मैं चाहिए यह करूँ, मैं चाहिए वो, मेरी मरजी, तो कोई मुक्ति चाहता है, कोई मुक्ति क्यों नहीं चाहता है, यह तो आपकी बात है, भई आप चाहा रहे हैं, आप बताओ, मुझसे क्यों पूछ रहे हैं, कोई कह रहा हैं, मुझसे क्यों पू
10:19तो शाहिद मैं उसमें कुछ दो-चार बाते कहूँ पर तुम मुझसे पूछ रहे हो कि तुम कोई निरड़े क्यों कर रहे हैं तो तुम जानो और तुम नहीं जानते हैं तो कौन जानेगा
10:28तो एक तरीके से सौवेरन होती है इसी लिए जो लोग फिर छट पटाने लग जाते हैं मुझति को कहते हैं कि
10:48अपनी मरजी से तो शायद हम फसई रहते हैं और कोई तरीका भी नहीं है कि हम यह छट पटाहट किसी तरीके से उठाई जा सकती है
10:56तो अगर यह उठ रही है तो grace है, अनुग्र है, कारण नहीं है, grace है, कोई कारण होता तो हमें एक formal process, एक प्रक्रिया बना देते हैं कि सभी लोगों में self inquiry की ललक उठे, अगर हमें एक कारण पता ही चल जाए कि ऐसे होता है, तो फिर हमें एक प्रक्रिया बना देंगे पर उस
11:26इसका कुछ नहीं बताया जा सकता, मरजी है, और ऐसा भी होता है कि मतलब जब उन लोगों को दुख मैसूस होता है, तो वो बाबा के पास चले जाते हैं, लेकिन यह जो self inquiry वाली चीज होती है, यहां पे वो नहीं आना चाहेंगे, बाहर कुछ भी हो, कोई भी हो, आप उसक
11:56आश्रम में चले जाओ, एक ही बात है, दोनों बाहर की चीजे हैं, दोनों में जाके लगता है कुछ मौज आ गई, दोनों मनरंजन हो जाता है, बस एक में जो मनरंजन होता है, उसको आप बोलते हो सामाजिक है, दूसरे में कहते हो नैतिक है, उच्च कोटी का मनरंजन है, �
12:26चाहे वो मतुराकाशी हो और चाहे फिर आप कैलिफोर्निया चले जाओ, लोस अंजलस चले जाओ, मार्स पे चले जाओ, बाहर तो बाहर है, बाहर आप किसी भी दिशा चले जाओ, कहीं भी पहुंच जाओ.