00:00गुरुदेव बोल रहे हैं तो ठीक ही होगा तुम्हें कैसे पता किसी ने गिरुआ वस्त्रधारन किया नहीं या किसी ने बाल मुंडाये नहीं या किसी ने संस्कृत के चार्श लोग बोले नहीं या किसी ने अपने नाम के साथ गुरू सद्गुरू अचार्रे लगाया नह
00:30तुरंत जुक जाने की प्रवृत्ति बड़ी गंदी है
00:33कोई अध्यात्म के नाम पे बता रहा है कि उड़ते हुए साप आते हैं
00:36और उन सापों से सिध्धी होती है
00:39कि जीवंदान मिलता है और तुम सुन रहे हो साप
00:41तुम अगर अनपढ होते हैं
00:44और फिर तुमको कोई अन्धविश्वास की कहानिया सुना के बुद्धु बना रहा होता
00:48तुम्हें समझ भी पाता पर अनपढ तो नहीं हो
00:51वो गुरु बने ही इसलिए हुए थे क्योंकि तुमने कभी सवाल नहीं उठाया
00:54तुमने कभी आपत्ति नहीं उठाई, तुमने कभी उनके साथ कुष्टी करी ही नहीं
00:58तुम्हें कैसे पता टेबल के इधर जो बैठा है वो कोई ग्यानी ही है
01:02वो कोई धूर्त ठग्क्यों नहीं हो सकता
01:05इसी को गुरु मानने से पहले उसके साथ कुष्टी करना बहुत ज़रूरी है
01:11ऐसा ना हो कि पता चले कि गुरुदेव मिट्टी के ही है तुमने कुष्टी करी नहीं कि ढह गए
01:17फिर तुम्हें अपने उपर शर्म आएगी कि इनको मैं अभी तक गुरु बनाए हुए था
01:24वो गुरु बने ही इसलिए हुए थे क्योंकि तुमने कभी सवाल नहीं उठाया
01:28तुमने कभी आपत्ति नहीं उठाई तुमने कभी उनके साथ कुष्टी करी ही नहीं
01:32बहुत जरूरी है
01:34और कुष्टी लड़ने के बाद
01:39फिर जो तुम्हारे भीतर से आदर उठेगा वो आदर
01:44असली होगा
01:47क्योंकि तुमने जान का जोर लगा दिया
01:50गुरु को हराने में उसकी बात को गलत साबित करने में
01:54पूरी ताकत लगा दी उसके बाद भी तुम गलत साबित कर नहीं पाए तो अब जो आदर उठेगा वो सच्चा होगा
02:03और गलत साबित कर दिया तो अच्छी बात जान बची तुमारी
02:06नकली आदमी ये जहासे में आने से बच गए
02:10पर हम सब में पूरी दुनिया में ही खास तोर पर भारतियों में तुरंत जुग जाने की प्रवृत्ति बड़ी गंदी है
02:23किसी ने गिरुआ वस्त्रधारन किया नहीं या किसी ने बाल मुंडाये नहीं
02:40या किसी ने संस्कृत के चार शलोग बोले नहीं या किसी ने अपने नाम के साथ गुरू सद्गुरू अचारे लगाया नहीं
02:47तुरंत तुम्हारे जै भगवान जी के
02:49जया भगवान जी के
02:54बहुत लोग तो संस्कृत सुनके ही गिर जाते है
02:57चाहे संस्कृत में कुछ भी बोला जा रहा हो
03:00संस्कृत में यही बोला जा रहा हो
03:01कि अस्पताल का रास्ता उधर है
03:04वो इतना ही सुनके तुर्ण लेट ही जाएंगे जमीन पर संस्कृत बोली
03:09क्यों भाई तुम्हारा जीवन इतना हलका है
03:19कि तुम उसे कहीं भी समर्पित कर दोगे
03:23बोलो
03:27तुम्हें अपनी चेतना
03:34अपनी प्रज्या अपनी बुद्धिमत्या के प्रति कोई सम्मान नहीं है
04:04बुद्धू भी तुम बनाये जाते हो तो इसी लिए क्योंकि बुद्धू बनने को तयार हो
04:11यह से छोटे बच्चों को कहानिया नहीं सुनाई जाती हैं
04:17उड़न खटोला
04:20यह आसमान में जंगल था
04:25वैसी बड़े बड़ों को भी कहानिया सुनाई जा रही हैं
04:29और बड़े बड़े भी बुद्धू बन रहे हैं
04:31कोई अध्यात्म के नाम पर बता रहा है कि उड़ते हुए सांप आते हैं
04:41और उन सांपों से सिध्धी होती है कि जीवन दान मिलका है
04:46और तुम सुन रहे हो सांप
04:49क्या उम्र है भई
04:52जब दस्वी में बोर्ड में तुम साइन्स का पेपर देने जा रहे थे
05:07तब याद है न विज्ञान को लेकर के कितने गंभीर थे
05:13एक-एक बात तुमने समझनी चाही थी
05:17भौतकी के, रसायन शास्त्र के, जीव शास्त्र के सूत्रों को तुमने समझना चाहा था
05:28और जब बारवी में पहुँच गए थे तब तुम एंटरेंस का सवाल था
05:31तब तुम गहराई से घुसे थे फिजिक्स में
05:35और तुमने कहा था है जीवन में ये बहुत कीमती बात है
05:40मुझे समझना है कि दुनिया कैसे चलती है
05:43तुम जानना चाहते थे fundamental forces क्या होते हैं
05:49तुमने gravitation को समझा तुमने nuclear forces को समझा
05:53और आगे तुमने अगर engineering करी
05:59या science की पढ़ाई करते रहे
06:02तो तुमने quantum phenomena को भी समझा
06:05और आज तुम्हारे सामने लोग बैठते हैं
06:13जो एक से एक अवज्ञानिक बातें कहते हैं
06:16और तुम सुन लेते हो
06:17और फिर तुमको ताज्योब होता है कि
06:21जीवन में परिवर्तन क्यों नहीं आ रहा
06:22फिर तुमको ताज्योब होता है कि
06:30कोई भी जवाब पूरा क्यों नहीं पढ़ रहा
06:33तुम अगर अनपढ होते
06:40और फिर तुमको कोई
06:42अन्धविश्वास की कहानिया सुना के
06:46बुद्धू बना रहा होता तो मैं समझ भी पाता पर अनपड़ तो नहीं हो
06:50किया पीएजडी बैठे हैं डॉक्टर बैठे हैं इंजीनियर बैठे हैं आर्किटेक्ट बैठे हैं
07:04उसके बाद भी कुछ भी चल रहा है
07:06उडन खटोलों की बाते हो रही है
07:13जिग्यासा करो, सवाल उठाओ
07:33अगर मेरा वीडियो सुनती हो तो उसमें मैंने क्या कहा है ये भी तभी समझोगी
07:46जब बात से उल्जोगी
07:50बात के साथ जरा लिप्त हो जाओगी
07:55बात से एक गहरा आत्मिये संबंध एक एंगेजमेंट बनाओगी
08:00वो एंगेजमेंट ही नहीं है उपर उपर सुन लिया कि गुरुदेव बोल रहे हैं तो ठीक ही होगा
08:06तो तुम्हें क्या समझ में आएगा कुछ भी नहीं और जब तुम सवाल नहीं करते तब तुम गुरुदेव के साथ भी अन्याई कर देते हो
08:25आधे गुरुओं को तो उनके अंधभक्त बिगाड़ते हैं तो गुरुओं को साफ पता चले जाता है कि अब हम पर कोई सवाल उठाने नहीं वाला तो फिर हो कुछ भी बोलते हैं
08:39कुछ भी क्योंकि कोई तहकीकात तो होने नहीं वाली कोई अकाउंटेबिलिटी तो बची नहीं है कुछ भी बोलो
08:50क्यों कैसे
09:09किस लिए ये सब बहुत महत्तोपूर्ण प्रश्ण है क्या क्यों कैसे किस लिए किस प्रकार
09:22ये पूछा करो
09:28जब
09:41मेरी कही किसी बात से संघर्ष करोगे
09:45तो तुम्हें पता चलेगा कि मैंने
09:49शायद वो कहा ही नहीं जो तुम्हें लग रहा था कि मैंने कहा
09:53और क्या पता मैंने जो कहा
10:03वो कोरी बकवास हो
10:05ये संभावना खारिज क्यों करते हो
10:09तुम्हें कैसे पता टेबल के इधर जो बैठा है
10:13वो कोई ग्यानी ही है
10:15वो कोई धूरत ठग क्यों नहीं हो सकता
10:18तुम्हें कैसे पता
10:22फिर कह रहा हूँ
10:26बात जिन्दगी की है
10:29परक्षना जरूरी है नँगी ते कपड़ा भी लेते हो
10:36तो पहले जरा उसको परक के लेते हो
10:39और यहां तो तुम जीवन की मुलभूत सीख ले रहे हो किसी से