00:00इस कहाने का नाम है सोने का हंस।
00:04समराट कृष्णदेवराय के दरबार में एक दिन एक अनोखा मुकतमा चला
00:10और उस मुकतमे की विशेष्टा के गारण उसका फैसला समराट कृष्णदेवराय को करना पड़ा।
00:17यह मामला ऐसा था कि विजेनगर में रांवर्मा और शामवर्मा नाम के दो बहुत करीब दोस्त रहते थे।
00:25इन दोनों में इतना स्नेहभाव था कि वह दोनों एक दुसरे के मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
00:33एक बार रामवर्मा ने कुछ काल के लिए खेती करने के हितु से
00:37शामवर्मा से उसकी जमीन का टुकड़ा कुछ समय के लिए ले लिया।
00:42बीज बोने के पहले जब रामवर्मा उस खेत की जोताई कर रहा था,
00:47तब उस खेत में उसे एक सोने का हंस मिला।
00:52और उसे लेकर वह शामवर्मा के पास पहुच गया।
00:56उसने शामवर्मा से कहा,
01:22दुनिया में लोग स्वार्थ के लिए एक दुसरे से लड़ते हैं, जगड़ते हैं,
01:27पर ये दोनों मित्र व्यावहारिक दुनिया के अनुभव से परे,
01:31एक दुसरे के साथ अपने मित्र का फायदा हो इसलिए जगड रहे थे।
01:38इतना उनका एक दुसरे के परती स्नेह भाव था।
01:43उन दोनों में हंस के अधिकार को लेकर फैसला ही नहीं हो रहा था।
01:48तो दोनों ने फैसला लेने के लिए समराट कृष्णदेवराय के पास जाने का तै किया।
01:54जब महाराज को इस मुकदमे के बारे में पता चला तो इन दोनों का निस्वार्थी मित्र प्रेम देख कर ऐसे नागरिक विजैनगर में है इस बात का तो आश्चर उने हुआ ही पर उससे अधिक गर्व और आनंद हुआ।
02:10पर इस अनोखे मुकदमे का फैसला करना समराट के लिए भी मुश्किल हो गया। उनोंने एक सुझाव दिया कि वह सोने का हंस बराबर दो हिस्सों में मित्रों में बाट ले पर उस हंस के दो भाग करने के लिए दोनों भी मित्र तयार नहीं थे।
02:27महाराज ने फिर सुझाव दिया कि उस हंस को सुनार को बेच कर जो पैसा आएगा उसे दो भागों में बाट लेना चाहिए और दोनों मित्रों ने रखना चाहिए। पर इस प्रस्ताव को भी वे दोनों मित्र राजी नहीं थे क्योंकि दोनों को लग रहा था कि उस पर उन
02:58पूरा मामला समझाया और बोले तेनाली राम मैंने ऐसी दोस्ती अग तक कभी नहीं देखी तो अब तुम बताओ कि इस मामले का फैसला क्या करना चाहिए।
03:13तेनाली राम ने दोखशन सोचा और बोला,
03:43जिसके केंदर में दो सुन्दर हंसों का संगे मरमर का शिल्प होगा, ये उध्यान विजैनगर की शोभाबी बढ़ाएगा और नागरीकों को आनंध भी देगा और दो हंसों का शिल्प हमारे पूरे विजैनगर की जनता को इन दो मित्रों के निस्वार्थी मित्रप्रेम क
04:13वे दोनों मित्र रामवर्मा और शामवर्मा दोनों को भी भागया।
04:18इस तरह विजैनगर में एक सुन्दर उध्यान और उसके केंदर में रखा हुआ दो हंसों का संगे मरमर का शिल्प विजैनगर की शान बढ़ाता रहा और मित्रप्रेम का संधेश दिता रहा।
04:32तो ऐसा था तीनाले राम