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Rashtriya Bal Puraskar 2025: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देशभक्ति और साहस की एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। 10 साल की छोटी उम्र में असाधारण सेवा करने वाले बच्चे को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। यह कहानी ऑपरेशन सिंदूर, राष्ट्रपति द्वारा सम्मान, और राष्ट्र्रीय बाल पुरस्कार 2025 विजेता से जुड़ी हुई है। यह खबर राष्ट्र्रीय बाल पुरस्कार न्यूज़, वीर बाल दिवस, और भारतीय सेना से जुड़ी प्रेरक कहानी के रूप में लोगों का दिल छू रही है।


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~HT.318~PR.266~
Transcript
00:00कभी कभी सबसे बड़ी बहादुरी वर्दी में नहीं बलकि मासूम कदमों और निडर रादों में छोपी होती है
00:08जब हालाक मुश्किल हो सेमाय सतर्क हो और देश की जरुवत हो होसले की तब उम्र नहीं सोच मायने रखती है
00:16आज हम आपको ऐसी एको सची कहानी बताने जा रहे हैं जहां एक छोटा सा प्रयास देश के लिए एक बड़ा संदेश बन गया
00:22यह कहानी है सेवा की सहसकी और उस दिल की जो उम्र से कई जादा बड़ा निकला
00:28जी हां हम बात करें दस वर्षे एक बच्चे की जोकी राष्ट्रिय बाल पुरुसकार से सम्मानित हुआ है
00:34आखिर क्यों सम्मानित हुआ और कौन है लड़का चिलेवापक को आगे के वीडियो में हम बताते हैं
00:40दुरसल पंजाब के फिरोजपूर जिले के रहने वाले दस वर्षे लड़के श्रवण सिंग ने ऑपरेशन सिंदूर के दोरान बहुत बड़ा दिल दिखाया था
00:48अब श्रवण सिंग ने अपने घर के पास सीमा पर तैना तो भारती सैनिकों को पानी दूद और लसी पहुचाता था
00:55अब राश्ट्रपती द्रौपती मुर्मु ने इसी को देखती वे नन्य वीर को प्रधान मंत्री राश्ट्रिय बाल पुरुसकार से सम्मानिक किया
01:03अब दस वर्षे श्रवण सिंग ने समचार एजनसी एन आई को बताया कि जब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन संदूर शुरू हुआ तो सैनिक हमारे गाउं आए
01:12मैंने सोचा कि मुझे उनकी सेवा करनी चाहिए मैं उनके लिए रोज दुद, चाय, छाच और बर्फ ले जाता था उन्हों आगे कहा कि पुरुसकार पाकर मुझे बहुत खुशी हो रही है मैंने कभी सपने भी भी नहीं सोचा था कि मुझे ये पुरुसकार मिलेगा
01:26आपको बिता दे कि 26 दिसंबर को मनाय जाने वाले बाल दिवस के महत्तों के बारे में बताते हैं राश्ट्र पती ने कहा कि लगब तीन सो बीस साल पहले दसवे सिक गुरू गोविंद सिंग जी के चार साहिब जादो ने सत्य और अन्याय के लिए लड़ते विसर्वच बल
01:56पहल गाम हमले के जवाब में पाकिस्तार के खिलाफ कारेवाई की गई थी इसमें 26 लोगों की जान चली गई थी
02:05बता दे कि साड़े चौर साल की उम्र में हर्निया के ऑपरेशन के बाद 6 साल की उम्र में हुई शुगर की समस्या से जूज रहा
02:12दस वर्षिय श्रवन सिंग बड़ा होकर फौजी बनने के दिल में सपने सजोई हुए है
02:17श्रवन को रोजाना दिन में एक बार इंसूलीन देना पड़ता है ताकि उसका स्वास्त ठीक रहे
02:21अब उसने अपने स्वास्त संबंदी समस्या को दरकनार करते हुए ऑपरेशन सिंदूर के दोरान भारती सेना की जवानों की मदद की थी
02:29वहीं आपको बताते चले कि श्रवन की मा अपने बेटे की तव्यत को लेकर चिंतित रहती थी और दोपहर के समय चलचलाती धूप के बाद जवानों को समान पहुचाने के लिए रोक तिप
02:39मगर श्रवन रोने लगता और कहता कि आखिर वह अभी तो तप्ति गर्वी में ड्यूटी कर रहे हैं
02:44वही सेना के जवानों के वहाँ कुछ दिन रहने के बाद लौट जाने से श्रवन दो दिन तक बहुत मायूस रहा
02:49मगर सैन्न अधिकारियों ने उसके पिता को फोन करके उसके साथ बात चित कर उसका होसला बढ़ाया
02:54और उसे कभी भी उनसे बात करने की बात कही जिससे उसका चेहरा खिल उठा
03:00वहीं आपको उताते चलेगी श्रवन सिंग के पिता सोना सिंग किसानी का काम करते हैं
03:03मा संतोष रानि घर का काम काज देखती हैं
03:06घर में श्रवन के पिता और माता उनकी बड़ी बहन संजना दादा छुंदा सिंग और दादी छिंदो कौर के अलावा श्रवन के ताउ परमजीत सिंग ताई सुमित्रा रानी अवं उनके दो बेटे रहते हैं
03:19आपको उतादे घर में श्रवन सबसे छोटा है जिसके चलते वह सभी का लाड़ला है तो दोस्तों फिलाले से वीडियो में पाही आपको ये जौन कारी कैसे लगी और आप क्या कुछ कहना चाहेंगे हमें कमेंट में लिपकर जरू होतेगा
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