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00:00बहुत सारी बाते थी जो मुझे मेरे घर पर पता ही नहीं लगने दी गई
00:03किते थे तुम वो पता करो ना जो जिन्दगी में उच्छतम है उससे नीचे की कोई सूचना तुम्हारे मन में पहुंचे ही क्यों
00:10मैं स्कूल जाता था अब मान लीजे मैंने जूते पहन रखे हैं तो मुझे साथ होले पूछते थे
00:15कितने के हैं मुझे नहीं पता होता था क्योंकि मुझे कभी बताया नहीं गया
00:18अब तो हर तरह का एंटेटेन्मेंट मौजूद है पहले जब 31 दिसंबर की रात होती थी तो उसमें दूरदर्शन पर आते थे ये वो
00:25तो उसके बाद विंटर ब्रेक के बाद जब मिलें स्कूल में तो काफी देर तक एक दिन दो दिन यही बात होती थी
00:31कि उसमें कौन सी सेलिबरिटी आई थी उसने क्या किया क्या नहीं किया कैसा हुआ
00:34मुझे नहीं पता होता था मैं जब अपना टेंथ का बोर्ड दे रहा था उस वक्त भी घर में एक ब्लैक एंड वाइट पोर्टेबल टीवी था
00:41पर वो कभी चलता नहीं था वो बस ड्राइंग रूम में रखा हुआ था
00:45गाहे बगाहे कभी बाहर से वी सी आर मगागर के उसमें फिल्म देख ली आती थी वो इसके काम आता था
00:52तो पता ही नहीं चलता था क्यों पता चले मैं आप से कूछ रहा हूं बताओ ना
00:55दुनिया भर की गंदगी आपको क्यों पता हो क्योंकि अगर वो पता होगी तो फिर अपना असर भी करेगी
01:01उसको जानने में ही नुकसान हो गया क्योंकि समय तुमारे पास सीमित है और ये जगह स्पेस भी सीमित है
01:07एक चीज को जानोगे तो दूसरी चीज को नहीं जान पाओगे
01:10There would always be one at the cost of the other
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