00:00सर भगवत गीता में बोला जाता है कि डिटैश्मेंट के साथ कर्म करना चाहिए लेकिन अगर हमें अपना लक्षी बता नहीं है तो हम कैसे करें अगर भगवत गीता नहीं है यह बोला ही नहीं ना
00:10सारी समस्य आई यह आजाती है
00:14आप किस रिपार्टमेंट से हो?
00:17मेकनिकल
00:19कॉंप्यूटर साइंस वहला कोई है यहाँ पर अपनी किसी बुक का नाम बताईए को ओधर का या बुक का
00:27अधर मॉरिस मैनो के बारे में कुछ बताईए कहां गई आप
00:41मॉरिस मैनो में कॉंप्यूटर अर्किटेक्चर में जो लिखा है ना वही जवाब है
00:46यहां आप अवाक रह जाते हो क्योंकि आपने किताब पढ़ी नहीं है
00:51नहीं पढ़ी ना
00:52तो जो नहीं पढ़ा उसके बारे में दावा क्यों करना
00:55भगवत गीता को तो हमने बिलकुल खिलोना बना लिया है
00:59हर आदमी को पता है कि उसमें क्या लिखा है
01:02तो फिर यहां भी कॉंप्यूटर अर्किटेक्चर में भी पता होना चाहिए क्या लिखा है
01:07पढ़ी तो दोनों ही किताबे नहीं है
01:09तो बिना पढ़े, जब गीता पता है, तो बिना पढ़े computer architecture भी पता है
01:13भगवद गीता कर्म से कहीं ज्यादा करता की बात करती है
01:19करता की
01:22करता ठीक है अगर, तो कर्म अपने आप ठीक हो जाएगा
01:26भगवद गीता कर्म की नहीं बात कर रही है
01:30कर्म में क्या detachment करोगे
01:32attached ही कौन होता है
01:34करता
01:34जो doer है
01:36the ego
01:37the doing ego
01:38वही attach होती है
01:39किसे किसे attach होती है
01:41वो अपने object से भी attach होती है
01:44उस object के साथ
01:47उसका जो रिष्टा है
01:48उसका आगे क्या परिणाम आएगा
01:50उससे क्या सुख मिलेगा
01:51उससे भी attach होती है
01:53the result of action से
01:54तो detachment के साथ कर्म करो
01:59माने क्या कोई भी कर्म करो
02:00थोड़ा सा सीरियसली ले हम कृष्ण को
02:02थोड़ा सा
02:03भाई वो भगवान वगेरा
02:06बाद में हैं वो पहले
02:08टॉप क्लास फिलोसोफर है
02:10और उनको पढ़ना पढ़ेगा
02:13हम पूजते ही रह गए
02:15बस पूजते ही रह गए
02:18और दही मिसरी खीर चाटते रह गए
02:20यही करते रह गए है न
02:24पढ़ा ही नहीं हमने उनको
02:25पढ़ा ही नहीं कि वो कहना क्या चाह रहे है
02:30जिसको आपने पढ़ा ही नहीं
02:34जिसको आप जानते ही नहीं
02:36उसके बारे में कोई दावा कैसे करें, बोलो
02:39और ये भी नहीं कि उन्होंने आपको किराब नहीं दी
02:42अगर कोई आपको किताब देता है, तो क्या चाहता है?
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