00:00हम कहते हैं गौड ठीक है हमारे तो हिंदुधन जो मानते है उसमें कई देवी देवताई है तो सब प्रकृती हैं सब कियोगी एक ही जो अलग अलग होते हैं नहीं एक ही गौड है उसका नाम टूथ है
00:27रूट है उसके अलावा कोई बगवान या एश्वरय, डेवी, रीजुता अगर आप कह रहे हैं, तो प्राक्रतिक शक्ति का नाम है
00:36आजी, वो प्राक्रतिक शक्तिया है। तो प्रूपल आप जानते ही हो क्या रही है ना बिज्ली कट रही है, नधीच पह रही है।
00:42तो आपने आंठ्रोपों कि बात कर रहे हैं तो सद्धी के रूप नहीं होते हैं अरूप होता है यह जितने रूप है यह प्रक्रति के रूप है
01:05जैसे हम जब दुर्गा सप्षती पढ़ते हैं, तो उसमें आता है ना कि देवी से सौ देवियां पैदा हो गई, अचानक, आता है ना, जितने रूप हैं, वो मा के रूप है, प्रकृति के रूप है, पर गॉद इस जस्ट वन और दाट इस तूप और वो निरगुन निराका
01:35समझा जाता है, और सत्य को समर्पित हुआ जाता है, प्रकृति को समझना है, प्रकृति ही मार्ग है सत्य तक पहुचने का, प्रकृति ही मार्ग है, मा इसलिए मुक्तिदाईनी कही जाती है, क्योंकि प्रकृति मा ही मार्ग है सत्य तक पहुचने का,
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