Skip to playerSkip to main content
Truth Without Apology
अब अमेज़न पर उपलब्ध:
https://amzn.in/d/61CYEr4
➖➖➖➖➖➖
पूरा वीडियो : ईर्ष्या का आख़िरी इलाज || आचार्य प्रशांत (2025)
➖➖➖➖➖➖
#acharyaprashant
#JealousyTruth
#LifeLessonsHindi
#MotivationHindi
#AcharyaPrashantWisdom
#RealityOfLife

Category

📚
Learning
Transcript
00:00नमस्कार अचारे जी, मेरा नाम ईशा है और मैं C.A. स्टूडेंट हूँ
00:04सर कुछ लाइंस कोड कर रही हूँ मैं बुक में से
00:09जैलिसी इस बोन फ्रॉम डिपेंडेंस
00:11इफ यू वोंट तो बी फ्री ओफ जैलिसी
00:13सी क्लियरली वेर यू आर लीनिंग ओन अदर्स
00:17तो डिफाइन यूरसल्फ जैसे कि मैं अपनी बात करूँ
00:20तो जब भी मैं अपनी एज के विध्यारतियों से मिलती हूँ
00:25तो मेरा क्या रहता है जब मुझे उनके बारे में पता चलता है
00:28कि वो मेरे से किस-किस शेत्र में कितना आ गया है
00:31तो इसमें मेरी उन पर डिपेंडेंस नहीं है किसी चीज को लेकर
00:36बट जैलेसी तो तब भी है
00:38हम तो पूरे तरह से दूसरों पर अश्रेत होते हैं
00:41रिजल्ट अच्छा आया या बुरा आया
00:43ये कहां आप पर डिपेंड कर रहा है
00:46कहां
00:49बहुत सारे
00:51इंस्टूशन्स में स्टूदेंट्स को
00:53जब ऑप्शनल चूज करने होते है
00:55तो ये भी देखते हैं
00:57कि और कौन से लोग हैं जो उस ऑप्शनल
00:59कोर्स को रेजिस्टर कर रहे हैं
01:02बताओ क्यों
01:03क्योंकि
01:04जो टॉपर से अगर सबने वो कोर्स ले रखा है
01:07तो उसमें ग्रेड अच्छा नहीं लगेगा
01:09रिलेटिव ग्रेडिंग होती है
01:11तो जहां भी हो देखते हैं कि
01:15जो कॉलेज का क्रीम क्राउड है
01:17वो आ रहा है वो उसको एवाइड करेंगे
01:18वो कहेंगे भाई इसमें
01:21ग्रेड अच्छा नहीं लगेगा
01:22वो ये बाद में देखते हैं कि
01:25उसकोर्स में कॉंटेंट क्या है
01:26और प्रोफेसर की
01:29केपिबिलिटी कॉलिफिकेशन क्या है
01:31जब मैंने स्कॉष सीखना शुरू करा था
01:34तो जो मेरे
01:35कोच थे
01:37उन्होंने कहा कि
01:38इंडिया में बहुत
01:41हेवी एंड्रोल्मेंट रहता है
01:43स्कॉष में
01:45ग्यारा से पंदरा साल
01:47ये जो एज ग्रूप है इसके बीच में
01:49और ये परफॉर्म भी अच्छा करते हैं
01:51मैंने कहा फिर क्या हो जाता है
01:55बोले फिर वही हो जाता है
01:58जो हुने के लिए
02:00इनके पेरिंट्स ने
02:01इनको स्कॉष दिलवाया था
02:03मैंने पूछा मतलब क्या
02:04बोले इंडिया में स्कॉष अभी बहुत
02:07पॉपुलर नहीं है
02:08तो पेरिंट्स स्कॉष बच्चों को इसलिए भेजते हैं
02:12कि इसमें कॉम्पिटिशन कम है
02:13जब कॉम्पिटिशन कम है तो कुछ नैशनल रैंकिंग आजाएगी
02:15जब नैशनल रैंकिंग आजाएगी तो इस नैशनल रैंकिंग के दंपे किसी कॉलेज में अडिमिशन मिल जाएगा
02:20एक बार कॉलेज में अडिमिशन मिल गया तो काम पूरा हो गया
02:23अब सोचो जो ये सोच करके हाथ में रैकेट ले रहा है
02:32वो क्या दिल लगाएगा खेलने में
02:34और उसको पेरेंट्स भी उसको किस तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं
02:42जब अपनी जिंदगी का पता होता है तो दूरसरों उसरे इरश्या नहीं होती
02:45दूसरों से आप बहुत तुलना करना ही नहीं चाहते
02:48क्योंकि अब मी वर्सेज यू नहीं होता अब मी वर्सेज मी होता है
Be the first to comment
Add your comment

Recommended