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00:00प्रणा मैंचिरेजु पहली बार आई हो हुँ पिछले दस महिने से आपको सुन रहे हुँ और तब से जितने भी सवाल आ रहे हैं तो एक-एक करके मतलब आप जो अभी बोल रहे थे कि आप अंतरियामी नहीं है आप अंतरियामी है मुझे ऐसा फिल हुआ आज क्योंगे जित
00:30मेरे मामी बहुत ही जादा आधत मिगे, उसी के चलते वो अपने तवयत की मतलब कियार नहीं करती, उसी के चलते उनके तवयत भार-भार खराबूर, तो मेरा था कि जैसे कि हम में अपने हूं उनके, तो उनको कैसे छोड़ दो इसे हालत में, उनके खुद के सफरिंग से, तो
01:00दुर्योधन तो छोड़िये, जो उधर सब ज्यानवान बुजर्ग थे, इश्मद्रोन, कृपाचार, इनको भी समझा पाए क्या खुद स्री कृष्ण भी, आप लोगों को समझें क्यों नहीं हा रही ये बात, और इतनी बड़ी कौरों से ना है, एक को भी नहीं समझा पा
01:30इदे वनेवट उन्हें कुछ नहीं समझा पाए, भीष्मिस से जा करके बोला ईको समझें करना सकते, भी नहीं कृष्ण, आप कहा की तोफो
01:39क्या ऐस्षे यहीपरमी मिसे खुस है कि जो भी सनफलना है, सुधरना है, खुद को सुधरना है, आत्मे ग्यान
01:46खुद के लिए करना है, दूसरों के लिए कुछ भी नहीं करना है, क्य�
01:55मेहरवाले थे, पंडव पक्ष, उसमें भी बड़ी मुश्किल से एक पकड में आया अरजुन, और उनको भी नहीं समझा पा रहे थे, आपको क्या लगता है, गीता भीम को दी जाती तो भीम समझ लेते, पूरी गीता हो गई उसके बाद भी युद्ध हो रहा है, उसमें यु
02:25को बोल रहे हैं कि बताओ हम पाज भाई हैं, किस में से लड़ोगे, दुर्योधन ने बोल दिया होता है कि तुम ही से लडूँगा, और पलक जपकने से पहले युदुष्ठिर को लिटा दिया होता, तो पूरे धर्म्युद्ध का क्या होता फिर, कौन समझने को तयार था,
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