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Transcript
00:00हम प्रत्वी की सबसे कमजोर प्रजाती हैं
00:03हमारी खाल पर तो अब बाल भी नहीं होते
00:07आप नंगे पाँ चल सकते हो
00:08दुनिया का एक एक प्राणी नंगे पाँ चलता है
00:10आप नंगे पाँ नहीं चल सकते अब
00:12आप तो अब बिना ब्रश किये न जीपाओ
00:14सर में दर्ध हो जाएगा
00:15दुनिया कोई प्राणी दाथ नहीं माचता
00:17आपके लिए प्रति दिन नहाना जरूरी हो गया है
00:19दुनिया में कोई प्राणी नहीं प्रति दिन नहाता है
00:21आपको कहां से मिलेगा नहाने को पानी
00:23जब पीने को पानी नहीं है नहाने को कहां से पाओगे
00:25आपने देखा है आपको थोड़ी धूप लग जाए आपकी खाल जल जाती है
00:29और भेंसे तो दिन भर धूप में रहती हैं तो नहीं जलती है
00:31दुनिया के सब प्राणी अभी भी ऐसे हैं कि भूख परदाश्ट कर लेते हैं
00:35आपके लिए एक दिन का व्रत उपवास इतनी बड़ी बात हो जाती है कि आप उसको भगवान से जोड़ देते हो
00:39और थोड़ी उच नीच हो जाए जिन्दगी में तो हमें डिप्रेशन हो जाता है
00:43बंदर को कभी देखा डिप्रेशन में प्रलय जैसी स्थिति जब बनेगी तो बाकी प्राणी किसी तरह अपना गुजारा कर लेंगे
00:50आपका क्या होगा और अगर वो मरेंगे भी विलुप्त भी होंगे तो दर्द सहकर मरेंगे दुख सहकर नहीं
00:56एंग्जाइटी डिप्रेशन आपका क्या होगा ना तो हमारा शरीर इस लायक है कि कुछ सह सके ना हमारा मन इस लायक है कि कुछ सह सके
01:04इंसान अकेला है जो प्रक्रति निर्मित नहीं स्वर अचित व्यवस्था पर अश्रित है
01:10अगर मनुष्य दौरा निर्मित व्यवस्था तूपती है चर्मरा के
01:14तो किसी भी अन्य प्रजाती से ज्यादा मनुष्य को दुख होना है
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