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00:00यह दुनिया, दुनिया, I tell you, बड़ी जाले में दुनिया, बहुत बुरा करती है अच्छे लोगों के साथ
00:08स्वाम्ली वेगानन्द, सोक्रेट्स या फिर भगत सिंग का एक्जामपल लें, तो उन सभी लोगों ने सत्या के मार्क पर काफी सारी आत्माव को भी सहा
00:18अगर हम उसमार पर जाएंगे तो हमें भी समाज की तरफ से बहुत विरोध मिलेगा, जैसे आपको भी काफी विरोध मिलते समाज की तरफ से
00:26इसी लिए तो मैं थोड़ा कोई 20-25 में ही सिधार गए, कोई 90-120 भी जिये, लाउद्जू तो कहते हूं, पैदे ही हुए थे 84 के, उदाहरन हर दिशा से हैं, पर तुम चुन-चुन के वही लाओगे
00:40सुकरात मरा ही नहीं, सुकरात ने मरने के 2000 साल बाद आकर के यूरोप को पुनर जीवित कर दिया, इनको नहीं मार सकते तुम, यातना दे लो, की जहर दे लो, की बान मार दो, गोली मार दो, कुछ कर दो, सरकाट दो, ये ऐसे हैं कि मर के नहीं मरते, और हम ऐसे हैं कि जिंद
01:10करा कि वो अचाल जी खुदी बता दो कि वो गुपतबात कौन सी थी मैं लिख दूँ बन नटखट है रे किशन कहें लोग जैसे हैं जिसको जो पसंद है तो भाशा भी वैसी रखनी पड़ती है मजे दिल आने पड़ते हैं मज़ा आया नहीं आया
01:31गोडिलिंग सर सर मेरा कोशन यह है कि अगर हम महापुरुष्ट का एक्जामपल लेते हैं फूर एक्जामपल स्वामी विगानंद सोक्रेट्स या फिर भगत सिंग का एक्जामपल लें तो उन सभी लोगों ने सत्या के मार्ग पर काफी सारी यातनाओं को भी सहा शारिक यात
02:01समार्ग पर जाएंगे तो हमें भी समाज की तरफ से बहुत विरोध मिलेगा जैसे आपको भी काफी विरोध मिलते समाज की तरफ से वो रो रहे थे क्या वो रो रहे थे तुम क्यों रो रहे हो उन्होंने वो यातना और जो भी थी सह भी ली तब भी नहीं रो रहे थे तु
02:31पहले जरूर हो यह क्या है
02:33क्या चाहते हो
02:34और फिर यातना बाहर से दी जाती है
02:41तो कई बार सारुजनिक हो जाती है
02:44सबको दिख जाता है
02:46कुछ भी कर दिया, पत्थर मार दिया, जहर दे दिया
02:49जो भी था
02:50बदनामी कर दिया, पैसे लूट लिया
02:54यह सब यह चीज़ें बाहर ही होती हैं दिख जाती है
02:56तुम्हें यह कैसे पता कि उनके भीतर भी यातना थी
03:02यातना बाहर से दी गई यह तो चलो तुम्हें दिख गया
03:07यातना उनके भीतर घुस गई यह तुम्हें कैसे पता
03:11अच तुम्हें तो ना बाहर से मिली है ना भीतर घुसी है तुम क्यों रो रहे हो
03:17उनको हो सकता है बाहर से मिली हो
03:25पर हमें तो ऐसा लगता नहीं कि उनके भीतर कोई असर पड़ा था
03:29भीतर असर पड़ा नहीं
03:34तो न वो बिलखते नजर आए, न माफी मांगते नजर आए, न पच्छताते नजर आए, कि हाई हाई हमने क्या कर दिया है, कि हमारी दुर्दशा हो गई, ऐसा कहीं मिलता है
03:43योगी आतना उनके भीतर पहुंचने ही नहीं पाई, वहार जनको जो करना थकरा होगा
03:53क्या पता कि भीतर हो, मस्त हो, मौज में हो, कबड़ी खेल रहा हो, तुम्हें कैसे पता है
04:02आनंद के अधिकारी हो, खड़े कहा हैं बाहर बाहर, मौत के सामने तुमको बाहर बाहर दिखाई देगा
04:12कि अरे अरे मौत, मृत्य उत्तुल्य यातना मिल रही है इनको
04:17यहां भीतर-भीतर क्या चल रहा है, मस्ती चल रही है
04:24तुम दूर से ही बैठ कर कापे जा रहे हो, कि अरे बड़ा गलत हो गया, बेचारे बच्चे के साथ
04:33इतना बड़ा भैसा, अब इसको कहीं का नहीं छोड़ेगा
04:37जिसके सामने खड़ा है, वो तो है आनंद में
04:44और जो दूर से ही देख कर कपा जा रहा है, वो कहा रहा है, मेरा क्या होगा
04:51और मैं क्या जवाब दूँ
04:55अउधारण भी वही चुन-चुन के लाते हो, कि यातना मिली
05:03श्री कृष्ण को कौन सी यातना मिली है
05:06और वही चुन-चुन के लाये कि जिनके साथ बुरा हुआ था, ताकि क्या कह पाओ?
05:16ये दुनिया, दुनिया, आई टेल यू बड़ी जाले में दुनिया
05:22बहुत बुरा करती है अच्छे लोगों के साथ
05:27इसी लिए तो मैं थोड़ा कमीना हूँ
05:31अई टेल यू दिस दुनिया
05:35चुन-चुन के वही उधारण उठाएं हैं, यहां रेलम पेल हुई
05:41भारत में तो नहीं होता है, हमें तो नहीं पता है कि उपनिशदों के रिशियों को सूली पिटांगा था
05:51हुआ था क्या? नहीं हुआ था, कभी होता भी है, कभी नहीं भी होता है, हर दिशा से उधारण है
05:57कोई 20-25 में ही सिधार गए
06:00कोई 90-100-120 भी जिये, लाउद्जू तो कहते हैं, पैदे ही हुए थे 84 के
06:05जीना तो छोड़ दो
06:07उधारण तो हर दिशा से है
06:13उधारण हर दिशा से है, पर तुम चुन-चुन के वही लाओगे
06:17जहां यह वज़ा, I tell you, this dunya
06:20very zalim
06:22सीधा पेड़ी जल्दी कटता है
06:30that's why I am the crooked finger
06:33दुनिया कुछ नहीं कर सकती
06:49दुनिया उसी यह कुछ कर सकती है
06:51जह दुनिया आगे आगे, लाट अप काता हो
06:53तुम जनका नाम ले रहे हो, दुनिया उनका कुछ नहीं कर सकती
07:01रो जो बच बच के चलते हैं
07:06गुलामी में सजदा करते हैं
07:12उन्ही को अच्छे से धुनती है दुनिया
07:15सच को थोड़ी तोड़ सकती है दुनिया
07:27हाँ तुम बिकने को तैयार हो
07:35गुलाम तो सदा से पीटे जाते रहे हैं
07:45दुनिया को क्यों देश देते हो इधे बोलो न मैं बिकने को तैयार हूँ इसलिए पीटा जाता हूँ
07:50यह सब बातें कहमत देना महापुरुशों के बारे में
07:58बेचारे विवेकानंद
08:00बेचारे सुक्राथ
08:03बेचारे सुक्राथ
08:06यह क्या है
08:06तेरे ने सामाने पुनर जन्म होता है
08:12पुनर जन्म
08:12जानते हैं और ने सामाने किसका पुनर जन्म
08:15सुकरात रिसरेक्टेड
08:18आज जो तुम
08:22यूरोप में वैचारेक
08:25और तकनीकी प्रगती देख रहे हो
08:28यह सुकरात का ही पुनरजन में
08:31उसी का नाम था रेनेसा
08:32रोमन्स चा गए थे ना ग्रीस पर
08:41रोम आने इटली
08:43रेनेसा इटली में शुरू हुआ था
08:46इटली में एक सज्जन थे जिन्नों ने कहा
08:49ये सब जो अभी चल रहा है लोकधर्म पूरा
08:52उसको लते हैं डार के जैस काला मध्ययुग
08:56जहां पर बिलीफ को
08:59विश्वास को आस्था को ही
09:02फिलोसफी मान लिया गया था
09:04थियोलोजी को ही दर्शन मान लिया गया था
09:06तो एक रोमन खड़ा हुआ
09:10उसने का ये नहीं हो सकता
09:12ये सब जो इधरोदर की बाते हैं
09:13ये जो इन तथा कथिधार्मिक लोगों ने फैला रखी है
09:16तो उसने का मैं कहां से पाऊं सच्चाई
09:18तो उसने का मैं वापस जाऊंगा
09:21अपने दर्शनिकों के पास
09:26तो वो दो हजार साल पीछे गया
09:30और जो ग्रीक दर्शनिक थे उनको खोज कर लाया
09:35और इटली में ही हो सकता था क्योंकि
09:39ग्रीस का नाता रोम से बड़े नजदीक का राय
09:45वहां से फिर रेनेसाँ शुरूर होता है
09:50बेचारा सुकराथ
09:53बेचारा सुकराथ
09:56सुकराथ मरा ही नहीं
09:58सुकराथ ने मरने के दो हजार साल बाद आकर के
10:02यूरोप को पुनर जीवित कर दिया
10:09और तुम कहा रहे हो कि यातनाएं दे दी सुकराथ को
10:12सुक्राद नहीं मरते
10:15भारी बात सा मुझ मैं
10:28तो यह बेचारा बेचारा मत करा करो
10:31कि दुनिया I tell you
10:32so zalim
10:33that poor old man
10:37सुक्राद that
10:38the ugly fellow
10:41बहुत बुरा हुआ बहुत बुरा हुआ
10:46उनके साथ नहीं होता बुरा हुआ रो मार दो
10:50मूनी मरते
11:04हमारे यहां तो कृष्ण बताई गए है
11:05कि बेटा मैं नहीं जाता कहीं
11:08जाता तो तू भी कहीं नहीं
11:11पर तू प्रक्रति का बच्चा है
11:16तो तू भूल जाता है बार बार
11:18मैं आत्मा हूँ
11:21वो यह सब याद रहता है
11:24मैं बार बार बार बार नया रूप लेकर आता हूँ
11:30मरने का सवाली नहीं पैदा हूँ ता मूर्ख है जिनने लगता है कि
11:33कृष्ण को बान लगा था और मर गए
11:36कृष्ण मर गए
11:42वो हर समय हर युग में हर जगए है
11:47एक अलग रूप लेकर के एक कालसा पेक्ष रूप लेकर मौजूद रहते ही है
11:53न कृष्ण को कहीं जाना है न अर्जुन को कहीं जाना है
12:00इनको नहीं मार सकते तुम
12:02यातना दे लो कि जहर दे लो कि बान मार दो गोली मार दो
12:07कुछ कर दो सरकाट दो ये नहीं मरते
12:09ये ऐसे हैं कि मर के नहीं मरते
12:17और हम ऐसे हैं कि जिन्दा होके नहीं जीते
12:19गरत हो गया जुन्नों के साथ
12:23सोचो
12:26मरने के दो हजार साल बाद
12:29ग्रीस मात्र में नहीं पूरे यूरोप में सुकरात खड़े हो गए
12:35लो
12:36कैसे मार दोगे सत्य को
12:43हर बच्चा जो पैदा होता है
12:48वो मम्मी के लिए नहीं रो रहा है
12:52वो बड़ी मम्मी के लिए रो रहा है
12:55उसे सत्य चाहिए
12:57सत्य कैसे मर जाएगा जब तक एक भी बच्चा पैदा हो रहा है
13:03और चाहे वो इंसान का हो
13:06और चाहे जानवर का हो
13:08और चाहे एक रेत का कण हो
13:11सब के सब गतिशील है न
13:15सारी गति ही अगति में पहुँचने के लिए है
13:19जब तक अगति है
13:22सत्य है
13:25और सारी गति रोही रही है, चिला ही रही है, यात्रा ही कर रही है
13:31अगति को पाने के लिए, विश्राम को पाने के लिए
13:35उसी विश्राम को तो सत्य बोलते हैं
13:37सब चल इसे लिए रहा है
13:38कि किसी की गोद में जाकर के अंतता ठहर सके
13:42जब तक कुछ भी चल रहा है सत्य है
13:46सत्य नहों तो किसकी खातिर चल रहा है ये सब
13:49ये बेचारा बेचारा कि अरे बहुत बुरा करती है दिस जॉलिम दुनिया
13:57आप लोग पुनर जागरण पुनर जागरण बोलते हो
14:03पुनर जागरन नहीं है उसका असली अर्थ था
14:06पुनर जन्म
14:07तो फिर ये भी उठता है सवाल किसका
14:09अब ऐसा नहीं है कि
14:11इन पर्टिकुलर सौकर्टीज
14:13नोट सौकर्टीज इन पर्टिकुलर
14:15बट सौकर्टीज
14:17इस वेरी लेजिटिमेट
14:19and deserving
14:21representative of the one
14:24who took
14:25rebirth in the renesia
14:27योगि
14:31क्या मरा था
14:32दर्शन की जो पूरी
14:34प्रक्रिया थी ग्रीस में
14:37उसके समाप्थ होने पर क्या मरा था
14:39विचार ही मरा था
14:40सत्य की खोजे ही मरी थी
14:42कि हम जानना चाहते हैं
14:44हम जिग्यासा करना चाहते हैं
14:45हम प्रश्न पूछना चाहते हैं
14:48आव बात करें हम समझना चाहते हैं ये सब मरा था इसी जे क्या आ गया था थियोलोजी विश्वास करो कि ऐसा था गौड ने ये किया ये किया ये किया मान लो सर जुका दो और उसके कारण दुरगती हो गई उरोप की दुरगती हो गई तो फिर 2000 साल बाद फिर रहनिसा हो जा
15:18कुछ बोत्प्रेट टाइब बात हो रही है क्या हमारे गाउं में भी होता था
15:33पूरब की कुटिया वाली ताई जब मरी है उसके बार आसपास सबका कहना था लौट लौट आती है
15:54भग गया बताओ को तो मुझी से यातना मिल गई
16:02यहीं पर हूं सर भागना भी मत हैं है और कुछ
16:24सर एक और छोटा सा कोशन था मेरा जब आप अब लोकन की बात करे थे कि आप जो लोकन हमारे पढ़ते हैं
16:32तो आपने बताए कि हर सेशन में जो आप पिन पॉइंट आप एक बात बताते हैं वो आपको कहीं देखने को नहीं मिलती तो मतलब थोड़ा सा उससे मुझे फूमों हुआ
16:42मतलब वो क्या बात है थोड़ा सा मतलब आगे के लिए कोई सुत्र था कि हम उसको पकड़ पाएं मतलब कोई सुत्र अगर आप बताएं को
16:57बड़ा नटखट है रे किशन का है यह प्राकर ये शोदा मये अचाल जी चीटिंग कला दो
17:06खुदी बता दो कि वो गुपतबाद कौन सी थी मैं लिख दूँ और बहुत होंगे इस वक्त ठीक जो अर्दम तयार हो गएंगे
17:16गुपतबाद बता दो
17:24सूत्र क्या है रिकॉर्डिंग है देख लो कि बोला क्या है और लिखा क्या है और छोड़ा क्या है
17:40ए माइनस बी बराबर सी ए जो बोला सी जो लिखा तो बी है जो छोड़ रखा है बेटा
17:50और उसमें और भी है डी भी है ए माइनस बी प्लस डी बराबर सी डी वो है जो बचा रखा है जो मैंने बोला ही नहीं पर तुमने लिखा
18:09या चार जी कुछ हमारे ली मन की बात अपने मुख से बोल दीजिए सूत्र मिल गया सूत्र माने फॉर्मूला ही होता है न तो ए माइनस बी प्लस डी इक्वल सी बढ़ियां है न फॉर्मूला ना इंसाफी तो मैं करते ही नहीं चलो
18:36ठेंकिए सर
18:39नमस्ते आचारी जी
18:44नची कहता है जैसे जो उचे लोग हैं उनके उनको आपश्च्थ्थ्ष्थ्थ नमन तो करेंगे वो शुरुवात है वो अंत नहीं होना चाहिए
18:57मैं आज के context में थोड़ा वेवारिक तल पे बात करना चाहूँगा कि समझ लीजे जैसे आज एक युवा जो स्कूल में हो सकता है या जो कॉलेज में जा रहा है जो आज के समय में अलग-अलग लोगों से influenced है
19:13teachers हो सकते हैं seniors हो सकते हैं या आज के समय में technology के माध्यम से आज बहुत सारे नएने लोग भी उसको मिलते हैं कैसे वो समझे कि ये उचे लोग है
19:26चाह सवाल है
19:31दो को देखना पड़ेगा और यही दो देखने से हम चूक जाते हैं
19:40सामने technology की बात करें अगर सामने screen होती है
19:45और इधर आखें होती है उधर screen इधर आखें है
19:53न हम ये देख रहे हैं कि screen के पीछे कौन है न हम इधर देख रहे हैं कि आखों के पीछे कौन है
20:00ये है गड़वर
20:04जब भी कुछ आपको दिखाया जा रहा हो
20:08तो याद रखीगा वो कैमरे के सामने था
20:11इसलिए आपको दिखा
20:13ये भी पूछीगा कैमरे की पीछे कौन था
20:15दिखाने वाला कौन है
20:21अब भूलियागा नहीं कि अक्सर जो दिखा रहा होता है वो कैमरे में नजर नहीं आता
20:26कैमरे की प्रक्रती ही ऐसी है
20:30कि कैमरे का मालिक कभी कैमरे में नजर नहीं आएगा
20:35दिखा कौन रहा है
20:38दिखा कौन रहा आपको तू तो नहीं दिख रहा है जितना कैमरे के सामने था
20:46कैमरे के पीछे कौन था
20:47और मैं पीछे कौन से का अर्थ नाम जानना नहीं होता
20:53ये कैमरा मैंन का नाम बता देना
20:55वो कैमरा मैंन का नाम तो बता ही देंगे
20:58के बाद में क्रेडिट्स में आ जाएगा नाम कैमरे ये स्टाफ कुरू आ जाएगा कुछ और कह रहा हुँ
21:02मैं क्या कह रहा हूँ नियत क्या थी यह जो दिखाया जा रहा है Is दुर दिश्य का
21:10केंद्र क्या है किस उदेश से आपको ये बात बताई जा रही है उसको कह
21:15को कह रहा हूँ कि कैमरे के पीछे कौन है यह सूत्र है क्योंकि जो हमारी चेतना पर हमला आज हुआ है वो एक अर्थ में नया है बिल्कुल यह टेक्नोलोजी पहले थी ही नहीं और इसने जो हमारी अपने अभी
21:38जो आज की यह पीड़ी जैंजी उसकी बात करी तो इनको कहते हैं कि इनकी algorithmic consciousness हो गई है
21:50इनकी चेतना ही वो हो गई है जिसे algorithm ने बनाया है
22:01क्यों? क्योंकि आखें बहुत पुरानी है और technology बहुत नहीं है
22:13आखों के उपर इस तरीके का हमला पहले कभी हुआ ही नहीं इतिहास में
22:23आप जंगल में थे आपके उपर शेर कूदरा था तो शेर के पीछे थोड़ी कोई था
22:28आखों का प्रशिक्षण है कि जो आपके उपर कूदरा है उसको देख लो
22:33और हो सके तो प्रान रक्षा कर लो
22:36आपके उपर शेर कूदरा है आखे तो जंगल से आ रही है ना बहुत पुरानी है आखे
22:41करोडों साल पुरानी है आखे
22:43तो आखों का जो पूरा विकास हुआ है
22:47जो उनकी आत्रा रही है
22:48वो बस वो देखने की यह जो
22:51सामने है
22:52उनका यह प्रशिक्षण ही नहीं है
22:55evolution में कि वो उसको भी देख पाएं
22:57जो सामने वाले के पीछे है
22:58तो आखे बस
23:01screen को देख पाती है
23:02camera के पीछे
23:05कौन है यह आखे
23:06नहीं देख पाती है
23:08पर अब यह technology आही गई है
23:09तो हमें अपनी आखों को
23:12प्रशिक्षित करना पड़ेगा यह आज का अध्यात में
23:15screen के पीछे देखने के लिए
23:17screen के पीछे देखने के लिए
23:23आपको कभी भी कोई भी कुछ भी दिखा रहा हो
23:27सदा यह पूछिए इसके पीछे कौन है
23:30इसके पीछे कौन है
23:34और उसको देख करके भीतर पसंद नापसंद
23:45घ्रणा प्यार जो भी उठ रहा हो आप में
23:49उससे भी पूछिए कि तेरे पीछे कौन है
23:52कहीं तेरे पीछे वही तो नहीं है जो कैमरे के पीछे है
23:58क्योंकि कौन्शियसनेस ही अल्गॉरिथमिक हो गई है
24:01जो कैमरे के पीछे है
24:03वो वही है जो अल्गॉरिथम को मैनिपुलेट कर रहा है
24:08यह अल्गॉरिथम बना रहा है ताकि आपको पकड़ सके
24:12और वही कही इतना सफल तो नहीं हो गया है कि वो मेरे यंदर आकर बैठ गया है
24:17क्योंकि ये सारी मीडिया चाहती तो यही है ना
24:23कि ये आपका केंदर ही बन जाए
24:27आप किसी चीज को पसंद कर रहे हो
24:32अपने आप से पूछो कहीं ऐसा तो नहीं
24:35कि इसको पसंद करना चाहिए ये भी मुझे उसी ने सिखाया है
24:39जिसने मुझे ये दिरिश्य दिखाया है
24:42एक टीवी एंकर है वो आपको कुछ दिखा रहा है और आपको नफरत पैदा हो रही हो
24:49देखने से अपने आप से पूछिए कि ये नफरत करना भी कहीं
24:54मुझे इसी एंकर ने तो नहीं सिखाया
24:55मेरी नफरत के पीछे कौन है
24:59अहां उस द्रिश्य के पीछे जो है
25:01बहुत संभावना है कि आपकी जो प्रतिक्रिया उठ रही है
25:04पसंद ना पसंद जो भी
25:05वो भी वो वहां से उठ करके
25:08पीछे पीछे भूम के
25:09वो आपके पीछे भी बैठा हुआ है
25:12वही देख रहा है
25:14वही दिखा रहा है
25:17इसको बोलते हैं
25:17algorithmic consciousness
25:19द्रिश्य और द्रिश्टा
25:22दोनों पर किसका कबजा हो गया है
25:24द्रिश्य दिखाने वाला भी कौन है
25:27और देखने वाला भी कौन है
25:30अब वो दिखाने वाला
25:32algorithmic में यह चीज़ हम नहीं बदल सकते
25:34पर कम से कम देखने वाला
25:35algorithmic ना हो जाए
25:37इस पर हमारा चुनाव होना चाहिए
25:39और अपने आपको बचा गया आप तभी रख पाओगे
25:43जब निगाह ऐसी पैनी हो कि
25:47screen फाड़ जाए
25:48screen फाड़ना
25:54सीखो
25:56घुज जाओ
25:57महाँ कोई बैठा है
25:59बहुत शातिर जो camera के सामने नहीं आना चाहता
26:02camera के
26:04सामने तो आम तोर पर
26:06कटपुतलियां खड़ी कर दी जाती है
26:08वहाँ तो जो भी कोई आप से
26:12कुछ भी बोल रहा है
26:13वह इसलिए थोड़ी बोल रहा है कि उसको बोलना है
26:16वह इसलिए बोल रहा है
26:18क्योंकि उसके पीछे कुछ और चल रहा है
26:20वह आपको जो भी बता रहा है
26:21वह बात नहीं है जो बताने वाली है उसकी
26:24वह कुछ और बताना चाहता है
26:26वह आप से जो भी कह रहा है
26:28उसके पीछे मनसूबा उसका कुछ और है, वो मनसूबा पैसे कमाना हो सकता है, मनसूबा कुछ भी हो सकता है, पर वो मनसूबा वो तो नहीं है, जो आपको प्रतीत हो रहा है, बिल्कुल भी नहीं है, आपको लग रहे हो, आपको हसाने आया है, आप कोई वीडियो देख रहे
26:58फेवरेट है मैं हसरा हूँ
26:59पॉज
27:02पॉज बटन की बहुत एहमियत है
27:05पॉज दबाओ
27:06पॉज दबाओ
27:07रुको और पूछो इसके
27:09पीछे कौन
27:11और जब भीतर
27:18अपने वड़ा भाव उठने लगे
27:21तो फिर पॉज दबाओ के पूछो
27:22मेरे पीछे कौन है
27:25दोनों बाते है
27:28उसका मालिक कौन है ये भी पूछो
27:30मेरा मालिक कौन है ये भी पूछो
27:33ये वेभारिक लग रहा है
27:35हो पाएगा या ये भी अभी
27:36पैसा लग रहा है कि ज्यादा
27:38conceptual है
27:41क्योंकि मैं सोच रहा हूँ
27:43कि स्कूल के
27:45लेवल के जो बच्चे होते हैं
27:55समझ भी पाएं कि कैसे कैमरे के
27:56पीछे ये तो मैं आपको समझा रहा हूँ
27:59बच्चे को जब बताना है तो बहुत
28:00आसान है बेटा
28:03हर मिनट पर पॉस करके बस ये पूछ लो
28:05कि ये प्रोग्राम
28:06जो आप देख रहे हो टीवी प्रोग्राम या
28:08सोशल मीडिया जो भी आप देख रहे हो
28:10किसने बनाया क्या मूवी आप देख रहे हो
28:12जिसने बनाई
28:14है ना
28:16उसका उद्देश एजेंडा
28:18डिजायर क्या है
28:19ये जरूरी है ना पूछना
28:23आप एक मूवी देख रहे हो
28:24आप ये और कुछ ना हो यही हो कि
28:26पैसे बनाने है उसको तो भी अपने आपको
28:28बता के रखो कि उसने ये आपको जो भी दिखाया
28:31इसलिए दिखाया है ताकि उसके
28:32पैसे बन जाए और कई बार जो उद्देश होता है
28:35वो और ज्यादा कुटिल होता है
28:37घातक होता है
28:38सिनिस्टर होता है
28:39तो उसको भी देखनी कोशिश करो कि यह सब जो हैं दिखाया जा रहा है
28:43यह क्यों दिखाया जा रहा है मुझे
28:45क्यों
28:45एक डायलॉग है वो इस तरीके से क्यों बोला गया
28:49वैसे क्यों नहीं बोला गया
28:50कई बाते हैं जो बोलनी चाहिए थी पर वो नहीं बोली
28:53और एक बहुत छोटी थी बात थी
28:55उसको बहुत ज्यादा बोला
28:56वजह क्या है
28:58critical thinking
29:03बहन नहीं जाना है
29:05pause button दबाना है
29:06बहना नहीं है
29:10pause button बहुत कीमति होता है
29:15यह तो हम कह सकते हैं बच्चों से
29:17कि बटा रुख करके
29:19यह एक basic question पूछा करो
29:20जो कोई मुझे यह दिखा रहा है
29:23वो चाहता क्या है
29:24वो क्या चाहता है
29:27कोई आपको match ही दिखा रहा है
29:29कोई आपको क्यों दिखाएगा match
29:31बहुत साधारन सा सवाल है
29:32आपको TV में match दिखाया जा रहा है
29:35क्यों दिखाया जा रहा है
29:35यह अजीब लगेगा
29:38पर जितना सोचोगे उतना कम अजीब लगेगा
29:40ये बहुत sensible question है
29:43कोई आपको cricket match दिखा रहा है
29:45क्यों दिखा रहा है
29:46वो आपसे प्यार करता है क्यों दिखा रहा है
29:48क्यों दिखा रहा है
29:51वो आपको match दिखा ही नहीं रहा है
29:54match बहाना है ads दिखाने का
29:57आपके घर अखबार आता है
30:02इतने सारे उसमें पेज रहते हैं
30:04पर वो 10-15 रुपय का होता है कितने का होता है
30:06और सस्ता होता है
30:10तो इतना सारा कागज को इतने सस्ते में क्यों दे गया है
30:13वो आपसे बहुत प्यार करता है
30:16नहीं
30:17क्योंकि उसने आपके घरें बहुत सारे विग्यापन पहुचा दिये
30:20खबरें बहाना हैं आपके घर विग्यापन पहुचाने का
30:23कोई भी मुझे कुछ बता रहा है दिखा रहा है सुना रहा है पढ़ा रहा है तो क्यों पढ़ा रहा है यह पूछिए ना यह इसमें क्या कठेने बच्चों को समझाना
30:34क्या कठेने
30:38क्रिकल ठैंक एक मेरे क्या शुए बहुत ही मचबूत हो सकता है
30:57समझ पाएं कि
30:59देखिए जब सारा खत्रा उसी से है
31:01जो दिखाया जा रहा है
31:02तो जब दिखाया जा रहा है उसी को छेदना पड़ेगा
31:05आज के समय में
31:09सारा खत्रा
31:10information
31:13की abundance से है
31:15और information
31:17को ही weaponize करके आपको गुलाम बनाया
31:19जाता है
31:20जो जो चाहता है वो आपको दिखा देता है
31:24आपको पूछना पड़ेगा
31:27इतने तरीके के
31:29editing tools आते ही क्यों है
31:31क्यों आते हैं बताओ ना
31:33वरना बहुत आसान होता चलो दिखाना भी है
31:36तो जो है सो है record करो दिखा दो
31:37इतने तरीके editing tools क्यों आते हैं
31:42ताकि वो दिखाया जा सके
31:48जो हम दिखाना चाहते हैं
31:51तो जहां editing हुई है बेटा उसमें बहुत
31:59बहुत बहुत सतरक रहना
32:01live में अपेक्षिताया हो सकता है कम खतरा हो
32:05editing में तो बहुत बहुत खतरा है
32:08पूछो अपने आप से अच्छा इसमें कुछ edit हुआ है
32:11इसको ऐसे ही क्यों edit किया है
32:13वैसे edit क्यों नहीं किया है
32:14हर चोटी चोटी बात पूछो
32:18जो बोल रहा है वो बहुत तेजी से बोल रहा है
32:20वो रुक क्यों नहीं रहा है
32:21वो रही रुक रहा तो मैं रुकूंगा pause
32:24वो रुक इसलिए नहीं रहा क्योंकि
32:27वो नहीं चाहता कि आप सोच पाओ
32:28वो नहीं चाहता
32:30कि आप उसकी बात को critically analyze कर पाओ
32:33तो इसलिए ओप 15-20 minute में
32:35अधिक से अधिक अपना वीडियो बनाके
32:37गायब हो जाएगा ताकि आपको बीच में
32:39सोचने समझने का मौका ही न मिले
32:40ये बाते
32:45पकड़ने की हैं
32:49यही intelligence है
32:50एक dumb receiver मत बनो
32:56जो भी information आ रही है उसके साथ
33:00critical engagement रखना है
33:02dumb reception नहीं
33:04dumb reception versus
33:06critical engagement
33:08और जब जनता ऐसी हो जाती है
33:13कि वो media के साथ
33:16या information के साथ
33:17critically engage कर पाती है
33:19तो फिर जो information provider होता है
33:22न वो भी
33:23थोड़ा सतर्क हो जाता है
33:26और जनता को
33:27हलके में नहीं लेता
33:28वो कहता है कि
33:30ज़्यादा अच्छा लागी करूँगा तो
33:33पकड़ा जाऊँगा
33:35जूट बोलूँगा तो
33:38परदाफाश हो जाएगा
33:40उसरा सीधे रहो सच्चे रहो
33:42लेकिन इसी के साथ में जो ये
33:47रील कल्चर चल रहा है
33:49उस वज़े से
33:50ये साइंटिविकली बाते भी चल रही है
33:53कि स्टुडेंट्स का
33:55अटेंशन स्पैन जो है वो काफी कम हो गया है
33:57और उस दोरान में जब आप
33:59कोई क्रिटिकल बात बताते हो
34:01ये भी उब्जर्व गया
34:03मैं एक सिक्षक हूँ
34:04तो मैंने ये उब्जर्व किया है कि
34:06स्टुडेंट्स बहुत ज़्यादा उस पर ध्यान नहीं देते हैं
34:09स्टार्टिंग में दे विल कैच
34:11बट स्लोली दे माइट दे लूज दे लूज द लूज द में क्रुक्स
34:15नहीं ऐसा बुझे नहीं लगता कि हुआ है
34:18टेनिस के जो सबसे लंबे कुछ मैचेस हैं
34:24वो पिछले पांच-दस-बीस साल में खेले गए है
34:27जब टेनिस में फैब-फोर खेलते थे
34:32तो ये तो एक सधारण सी बात हो गई थी
34:37कि तेमी फाइनल और फाइनल
34:40पांच-छेट तक जाएंगे ही जाएंगे
34:42और चार-पांच घंटा चलेंगे ही चलेंगे
34:44तो चार-पांच घंटा दुनिया में
34:46मिलियन्स देख रहे थे न
34:48अटेंशन स्पैन कहां कम हुआ है
34:50रील्स आ गई है
34:54तो ऐसे ऐसे अब पॉड्कास्ट भी आते हैं
34:56तो चार-पांच घंटा भी चलते हैं
34:58दो-तीन घंटा तो बहुत सारे चलते हैं
35:02धाई घंटे के तो मैंने ही कई करें है
35:05और वैसे ये सत्र शुरू हुए भी चार घंटा बीच जाएगा
35:09मुझे तो नहीं लगता कि टेंशन स्पैन इतना कम है
35:13हमें भी सुनने वाले आधे से ज्यादा तो जैंजी में ही आएंगे
35:17किस उम्र तक आते हैं जैंजी में तीस तक
35:19अठाइस तक तो मुझे लग रहा है हमारी
35:23दो तेहाई जनता अठाइस से नीचे की होगी
35:25दस बजे से ले करके कई बार एक तो अभी ये बज़रा है
35:43कई बार 6 घंटे भी हुए है बहुत बार 8-8 घंटे भी सतर चले है
35:49सुनते हैं लोग दीखें ये एक format है एक मिनट में कुछ बता देना
35:58वो एक format है इससे ज्यादा कुछ नहीं है वो format पहले भी रहा है
36:06हम जब सूत्र और बोलते हैं तो सूत्र का मतल़ भी क्या होता है
36:11ब्रेविटी, संक्षिप्तता
36:13एफ़ॉरिज्म मने और क्या होता है
36:16कि बात एकदम संक्षेप में पता देनी है
36:20तो आज से हजार साल पहले भी इस बात की जरूरत समझी गई थी
36:23कि जो कहना है उसको बिल्कुल छोटे में कह दो
36:27नहीं तो लोग सुनेंगे नहीं
36:29साथ ही साथ
36:32जब आप लोगों का दिल जीत लेते हो
36:37तो वो चार-चार भी घंटे सुन लेंगे
36:38क्यों नहीं सुनेंगे
36:42देखने वाले अभी वंडे में चाता है
36:46तो पूरा दिन देखते हैं क्रिकेट में
36:48और टेस्ट में चाए तो पांच दिन भी देख लेते हैं
36:51देख लेते हैं न यह तो बात इस पर है
36:56कि दिल आ गया है कि नहीं आ गया है
36:57पहले क्या होता था कि
37:01हमस्य शायद दूसरी हो सकती है
37:03पहले
37:06यह जो जवान पीड़ी थी इन पर डंडा चल जाता था
37:10तो इनका अटेंशन नहीं भी थोता था
37:13तो यह ऐसे बैठ करके
37:14दिखा देते थे कि अटेंशन है
37:18होता पहले भी नहीं था
37:20अब थोड़ी सचंदता आ गई है
37:25तो अब अटेंशन नहीं होता
37:27तो उठकर चल देते हैं
37:29तो उठकर चल देने को
37:31हम कहते हैं कि अटेंशन डेफिसिट है
37:33यह अटेंशन डेफिसिट है
37:36यह अटेंशन स्पैन छोटा हो गया है
37:37ऐसा कुछ ऐसा कुछ हुआ नहीं है
37:40जहां पर
37:43मतलब प्यार तो बहुत आगे की बात है
37:46जहाँ पसंद भी कुछ आ जाता है गहराई से
37:48वहाँ पर घंटों-हंटों बैठते हैं
37:51मौज में बैठते हैं
37:52यह फिर हो सकता है कि
37:59content जैसे आपने अभी cricket match का एक example यह
38:03cricket match को देखना उसमें बहुत ज़्यादा
38:05आपको mind से बहुत जारा चीज़ प्रोसेस नहीं करनी है
38:08आपको पहले से पता हैं लेकिन अगर आप educational content
38:10जो शायद पहली बार आप कुछ आपको कुछ चीज़ बताई जा रही है
38:14उसमें शायद हो सकता है कि उसमें अलग तरीके से बताना पड़ेगा
38:18जो शायद उसमें फ्री है कि उसको आप अलग तरीके से समझाओ करना पड़ेगा दूसरे तरीके से बताना पड़ेगा
38:24आज से पहले कोई आध्यात में शिक्षक अपनी मेज पर सूर रखकर बैठा है
38:32लोग जैसे हैं जिसको जो पसंद है
38:47अभी मैं आपसे बिल्कुल संस्कृत निष्ट हिंदी में बात करना शुरू कर दूँ
38:56वैसे पांच होते हैं पचास गिरेंगे सो सो के गिरेंगे
39:02तो भाशा भी वैसी रखनी पड़ती है मजे दिल आने पड़ते हैं मजा आया नहीं आया
39:10थेंक यू सब्सक्राइब नाम रविंद्र है और मैं काटमांड़ों नेपाल से हूँ और मैं गीता
39:36समागम से जुड़ा हुआ अठारोनेश महिना हो गया है और इससे पहले जब मैं धर्म के बारे में बुझता था तो वो मान्यता होता था और जो एक परंपरा होता था उसी को धर्म
39:54बोलते थे लेकिन जब मैं गीता सत्र से जुड़ा तो यह समझा की समझना ही धर्म होता है और मैं और भी चीज जैसे नेपाल आर्थिक रूप से उतना संपन तो नहीं है लेकिन जिस तरह धर्म के नाम पर जितना पैसा खर्च कर रहा है
40:24है और इसी लिए मैं रिक्वेस्ट करना चाहूंगा कि फांडेशन से जुड़िये और सच में धर्म क्या है और अध्यात्म क्या है यह समझे हम सब लोग थैंक्यू
40:38कि
40:42कि
40:46कि
40:54कि
41:08कि
41:12कि
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