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00:00डर जाता हूँ?
00:01आँख मिला कर बात नहीं कर पाते हूँ?
00:30अरे उसका केरियर आगे निकल गया, सच नहीं मानूगा, और जूट के तलवे चाटूगा, अपना व्यक्तित तो ऐसे दिखा रहे हो, जैसे कुछ दमित किसम का है, सीधे कहूं तो जैसे दब्बू हो, पर दब्बू नहीं हो, बहुत अपरू हो, और बहुत दिनों तक तुम
01:00एक ही दिशा में, एक ही सड़क पर भागे जा रहे होते हैं, भागने दोने को, इसका मतलब सान्तियों क्या होता है?
01:11दोस्तों से प्रभावित हो जाते हो, मेरे सामने तो नहीं जुके आज तक,
01:19अगर सब के सामने तुम जुकते ही होते, तो मुझे भी उन सब का एक छोटा सा हिस्सा मान कर जुक गए होते?
01:36अपना व्यक्तित तो ऐसे दिखा रहे हो, जैसे कुछ दमित किस्म का है, सीधे कहूं तो जैसे दब्बू हो, पर दब्बू नहीं हो, बहुत अकडू हो,
01:49और अगर सचमुच दबना जाना होता तुमने सच के सामने, तो जूट के सामने, फौलात की तरह खड़े हो जाते, तनके, जरा सा भी नहीं जुकते,
02:02अभी दुनिया के सामने जुके हुए हो, क्या शब्द थे तुमारे कि, डर जाता हूँ?
02:10आँख मिला कर बात नहीं कर पाते हुए, क्योंकि जिससे आँख मिलानी चाहिए थी, उससे तो कभी मिला ही नहीं,
02:20दोस्त क्या कर रहे हैं, उसको देख करके, तुम अपनी किस्मत तै कर रहे हो,
02:29क्योंकि जिसके साथ तुमारी किस्मत तै होनी चाहिए थी, वहां से तो भागते हो 80%,
02:34बिटा, ये नियम है, इसका मैं, तुम, तुमारे दोस्त कोई अपवाद नहीं हो सकते,
02:43नियमों कोई तोड़ सकता है, मैं इसको उठाओ, नीचे छोड़ो, तो क्या होगा, आप उठाओ, नीचे छोड़ो, तो क्या होगा, आप वहां स्क्रीन में, ऐसे उठाओ, कलम को छोड़ो, तो क्या होगा,
02:55हम में से कौन तोड़ सकता है इन नियमों को
03:00इनको चाहे जीवन का नियम बोलो
03:02अगर चेतना की तरफ से बात करनी है तो हम बोल देते हैं
03:05जीवन के नियम, जीवन के नियम
03:06और अगर ज्यादा सटीक बात करनी है तो बोलो प्रक्रतिक नियम
03:12जिसको आप जीवन का नियम भी बोलते हो ना वो आस्ता में बस प्रक्रते का नियम है
03:16इसको
03:20पाश्चाते दर्शन ऐसे देखता है कि
03:26जिसको आप बोलते हो ना लाउज ओफ मैटर वो लाउज ओफ माइन्ड है
03:34खेर वो अलग बात है
03:35तो उसी को हम कह रहे हैं कि नियम है
03:37नियम है इनको नहीं तोड़ पाओगे
03:45कोई बोले मुझे दुनिया के सामने जुकना पड़ता है बात बात पर
03:50तो मुझे बहुत उसमें विचार करने की ज़रूरत नहीं है
03:54ये तो एक फॉर्मूले की तरह है
03:55आपने जैसे कहा आपको दुनिया के सामने जुकना दबना पड़ता है
04:01मैं तुरंत कहूंगा इसका मतलब है
04:03सच के सामने अकड़के खड़े हो
04:05वहाँ नमन नहीं हो पारा
04:07जो सच के सामने नमित नहीं हो सकता
04:10वो दुनिया के सामने दलित रहेगा
04:12या तो यहाँ नमित हो जाओ या वहाँ दमित हो जाओ
04:16दुनिया से जुकने का मतलब ही है कि दुनिया बड़ी चीज लग गई भाई
04:24बड़ा महत्तो दे दिया है ना दुनिया बड़ी कैसे लगेगी अगर आपको पता हो कि
04:30सचमुच बड़ा कौन है
04:32जो सचमुच बड़ा है
04:33अगर आप उसके साथ हो लगातार
04:35तो दुनिया तो ऐसी चीज़ हो जाती है न
04:37दो कोड़ी की
04:38मुआ फिर धड़कने थोड़ी तेज हो जाएंगी
04:40कि किसकी नौकरी लग गई
04:42किसने क्या कह दिया
04:43कोई मेरी निंदा न कर दे
04:45अरे उसका केरियर आगे निकल गया
04:47फिर थोड़ी ये होगा कि
04:51अरे ये क्या हो गया
04:52ये जो सारी भीरूता होती है
04:58और बलहींता
05:01और सिकुड़ा और सकुचा जीवन
05:05ये सिर्फ और सिर्फ
05:07नियम बता रहा हूँ
05:08अपना कोई मतनी अभिव्यक्त कर रहा हूँ
05:11नियम बता रहा हूँ
05:12ये सारा डर
05:14ये कायरता
05:16सिर्फ एक जगह से आते हैं
05:20हट है
05:25हट है
05:27सच नहीं मानूँगा
05:32और जूट के तलवे चाटूँगा
05:34सच नहीं मानूँगा
05:37और जूट
05:38बोलेगा जूटे चाट तो जूटे भी चाटूँगा
05:41अजीब सी बात है
05:45और ये चीज मुझे बड़ा विस्मित करती रही है
05:48लोग दुनिया में बिलकुल रीढ़ हीन होते हैं
06:01इसको
06:05मेरू बोलते हैं मेरू दंड
06:09जो आपको उचा रखे
06:12मेरू परवत जैसा
06:13मेरू दंड ये
06:15ये नहीं होता हमारे पास
06:20स्पाइनलिस
06:21और आम आदमी को
06:27दुनिया के सामने ऐसे घुगभू बनके चलने में
06:30कोई समस्या नहीं आती
06:31चाटुकारिता हमसे करवालो
06:35तलवे चटवालो
06:36और भारतिये चरित्र तो
06:39साइकोफेंसी में
06:41हमेशा से आगे रहा है
06:42लेकिन यही आदमी जो दुनिया भर में
06:51दब्बू बना फिरता है
06:53जुका जुका मरता है
06:55इससे आप दो बाते सचकी कहो
06:59फिर इसका आप रौधर रूप देखो
07:01यह बिलकुल अकड जाएगा
07:03आप अपनी घरों में देख लीजेगा
07:08अपने घर में नहीं तो पड़ोसी में होगा
07:10कहीं आपने सुना होगा
07:11कुछ आपको पता होगा दोस्तियार में कहीं
07:14दुनिया भर के दब्बू कायर
07:18डरपोक मेरुदंड हीन लोग
07:21जब सत्य की गीता की अध्यात्म की बात आती है
07:25तो देखा है कैसे चोड़े हो जाते हैं
07:27यह नहीं चलेगा मेरे घर में
07:28तु दुकान में गराकों की खाता है
07:36क्या रोटी भी नहीं
07:39चपल
07:41दफ्तर में बास की खाता है
07:49पर जब सत्य सामने आता है तो तू
07:51बिलकुल
07:58क्या जलवा दिखाता है यह सब नहीं चलेगा मेरे घर में
08:01बाकी जितने उपद्रवे सब चलते हैं तेरे घर में
08:06सच नहीं चलेगा तेरे घर में
08:09और उस समय पर तो मुसकी ठसक देखो
08:11यह नहीं होने दूगा मैं
08:13यह नहीं चलेगा
08:15तुने
08:18इतना ही संकल्प ऐसी ही द्रढ़ता अगर जूट के खिलाफ दिखाई होती
08:24तो तेरी सिंदगी क्या से क्या हो गई होती
08:28द्वैत है भाई जीवन
08:32किसी को बहुत जुका पाओ तो जान लेना कि ये कहीं बहुत अकड़ा भी हुआ है
08:37पक्का समझ लो अगर किसी को देखो कि यो जगह जगह पर जुका हुआ है तो ये भी जान लेना कि कहीं पर ये बहुत अकड़ा हुआ है
08:48अब जुकना अकड़ना तो साथ चलेगा क्योंकि जीवन माने द्वैत
08:52प्रश्ण बस ये है कि जुक कहां पर रहे हो और अकड़ कहां पर रहे हुआ है जुकना भी होगा अकड़ना भी होगा
09:00चुनलो कहां जुकना है कहां अकड़ना है
09:03दोस्त पांच बाते बोलें तो उसमेंसे चार की उपेक्षा नहीं कर पाते
09:12यही समस्या लेके आये हो
09:14मैंने पांच बार बोला तो चार बार मेरी उपेक्षा करी
09:17इसी को 20% participation rate बोलते हैं
09:20ठीक
09:22दोस्त की पांच बात मेंसे चार बात तुमने ऐसे ही उपेक्षित छोड़ दी होती
09:27तो अभी मुँ इतना छोटा सा नहीं हो गया होता
09:30सही जगा जुक जाओ
09:38फिर आख कहीं और नहीं जुकना पड़ेगा
09:45आरी बात समुझ में
09:46ये सारी समस्या हैं सिर्फ इसलिए होती हैं कि दुनिया हमें बड़ी भारी चीज़ लगती है
09:51है वो बुलबुला
09:55कि अरे जान ले लेगी दुनिया उसकी अपनी जान नहीं है तुम्हरी के जान ले लेगी
10:03जान लेने देने कि उसमें सामर्थे होती तो सबसे पहले वो खुद जानदार ना हो गही होती
10:09वही जैसे चुटकुला चलता है न कि तो यह पता है मैं कौन हूँ?
10:20यह दुनिया है, यह कि क्या बुलती है?
10:23तुझे पता है मैं कौन हूँ?
10:24बोलो बिटा वो तो आपको भी नहीं पता आप कौन हो
10:28और मुझे अगर पता भी चल गया आप कौन हो
10:33तो उससे इतनी हुआ कि मैं आपकी इज़त और कम कर दूँगा
10:36आपके लिए तो अच्छा यही है कि मैं भ्रहम में रहूं कि आप कौन है
10:40जैसे जैसे आपका राज खुलता जाएगा
10:44मैं जानता जाओंगा कि आप कौन है सच मुझ
10:46वैसे वैसे तो आपका महत तो मेरी दृष्टे में और कम होता जाएगा
10:49और यह मुझे से मत पूछी है कि आप कौन है
10:54बहतर यह है कि आप खुद पता कर लें कि आप कौन है
11:10खौफ
11:15वेर्थ का खौफ
11:18पुता हुआ है चहरे पर
11:19क्योंकि एक भाव है कि कोई
11:24बहुत जरूरी चीज है जो छूटी जा रही है
11:26उस भाव में
11:28सच्चाई कितनी है ये कभी जाचा
11:30नहीं
11:31कोई क्यों डरेगा सोचो तो सही
11:38कोई क्यों डरेगा अगर
11:39उसको पता हो
11:42कि जो मिल सकता है वो भी
11:44एक सीमा के आगे महत्तो का नहीं है
11:46जो छूट सकता है वो भी नहीं है
11:47कोई क्यों डरेगा
11:48और आप तो पढ़े लिखे आदमी हो जवान हो
11:52शरीर है अच्छा
11:55अभी उम्र बाकी है
11:57बीमार भी नहीं लग रहे हो
11:58क्या जरूरत होनी चाहिए
12:02ऐसे कापते डगमगाते दिखने की
12:06थर थर थर थर थर
12:08क्यों क्योंकि
12:09चार कोई मिल गए हैं
12:12ऐसे ही लफंगे
12:13और कोई आके बता रहा है कि
12:16ये फलानी दिशा चले जाओ ये केरियर कर लो
12:18वो कर लो
12:18कोई और कुछ बता रहा होगा
12:20किसी ने कुछ कह दिया
12:21कोई ब्याह करके बैठा होगा
12:25उसको देख करके काप रहो
12:26कमजोर पत्ते हो जाओगे
12:31तो साधारान हवा भी कपा देगी
12:33है ना
12:34लोगों को बहुत अजीब लगता है
12:40कहते पर हमारी समस्या तो
12:41क्यारिर रिलेक्ट है ना
12:42तो इस भजन में उसका समधान
12:45कैसे मिलेगा
12:46यू सी आइम सो वाइज
12:56ये ऐसी इसी बात है कि
13:03गाड़ी के पहिये नहीं चल रहे है
13:05तो फ्यूल टैंक्स में क्या भरे दे रहे हो फिर
13:10जो भरना है पहियें भरो
13:12गाड़ी में इधन नहीं है गाड़ी खड़ी हुई है
13:16तो मालिक जोर कहा लगा रहे थे
13:18पहियों को ठेल रहे थे
13:21बोले तो देखो गाड़ी चलती है ये कैसे पता चलता है
13:25तो गाड़ी नहीं चल रहे है वाने समस्या किसके साथ है
13:28तो मालिक लगे हुए हैं और पहिये ठेल रहे हैं तभी कोई आया पीछे से
13:34वो बोला उधर है भजन रिफ्यूलिंग पॉइंट
13:41और वहां से लगाया फ्यूल टैंक में पाइप
13:47तो जुन्नुलाल बहस पे उतर आए बोले समस्या तो है पहियों में
13:58और तुम यह कुप्पी लेकर आ गए हो पता नहीं गाड़ी के पेट में क्या भर रहे हो पेट थोड़ी खराब है गाड़ी का मेरी
14:05और यह जो तुम इसमें डाल रहे हो वो तो इतना असमर्थ है कि वो खुद नहीं चल सकता पाइप में लोट कर आ रहा है
14:15तो मेरे पहियों को क्या चलाएगा
14:18भजन से थोड़ी जी उनकी समस्या है सुधरेंगी
14:25पहियों को धक्का दो तब सुधरेंगी
14:28लगता है ना
14:33यह पता ही नहीं है मैं कौन हूँ
14:39कर्म किसको कहते हैं जीवन आपन किसको कहते हैं
14:42बुद्ध ने सम्या काजी विका की बात करी वो क्या चीज होती है कुछ पता नहीं है
14:46मैं कौन हूँ
14:49रुपए पैसे से
14:51जीवन का रिष्टा क्या होता कुछ पता नहीं है
14:54कर्म जब लगातार करना ही है
14:57तो किस दिशा में होना चाहिए कभी सोचा नहीं
14:59यह सब कुछ नहीं पता है
15:01और जा रहे हैं
15:03केरियर काउंसलर के पास
15:04तुम्हें केरियर काउंसलर की जरूरत है या गीता की
15:08बोलो
15:10कितना हमें
15:22विरोध है
15:24सच्चाई के लिए
15:25कि हम एकदम जो
15:2720-25-25 साल वाले घूम रहे हैं
15:33कुछ नजानते नसमझते
15:35ये भी
15:36सलाहकार बन जाते हैं
15:39वो वहां पर अपना
15:40हाँ मैं तुम्हें बताऊंगा तुम्हें क्या केरियर
15:42का तुम्हारा होनाचाई ग्यों किस बात पर
15:44क्योंकि उसका गुए एक्जायम क्लियर हो गया है तो
15:46मैं भी तुम्हारी करियर काउंसिलिंग कर दूँगा
15:48और जिसका नहीं वह वो उनको ऐसे देखता है
15:53जी
15:54हाँ जी
15:56वही जैसे आप किसी हॉस्टल में चले जाओ
16:00तो वहाँ फस्टियर का जो होगा
16:05फच्चा, निब्बा
16:07वह सेकंडियर वाले को ऐसे देखता है कि जी
16:11ये हैं ग्यान गुण सागर
16:15होता नहीं होता है
16:20असर करके बाद करी जाती है
16:22इसको सर बोल रहा है
16:28इसके तो सर अभी तक हो गई नहीं है
16:30ये सिर्फ धड़ा है अभी
16:33क्यों इतने मायूस हो, क्या है
16:40बोला था नहीं जाके देखना अधूद गीता
16:46नहीं पुन्य पदम, नहीं पाप पदम
16:51कि में रोदशी मानव सरसमम
16:53काई को रो रहे हो
16:54क्या हो जाएगा
17:01ये सवाल हम पूछते हैं नहीं
17:04एक एक वेग डिप्रेशन
17:07और डिप्रेशन जब भी होगा वेग ही होगा
17:11क्योंकि क्लियर हो जाए तो डिप्रेशन कहे को रहे
17:13हेजी फीलिंग ओफ अनीज
17:20मोर दें अनीज
17:21हेजी हेविनेस
17:27कोई पूछे कि किस वज़े से नहीं बता पाऊगे
17:30असारी समस्य है ही है
17:31वो हेविनेस है ही इसलिए क्योंकि तुम बता नहीं पारे हो
17:34किस वज़े से गो इंटु इट
17:35उसकी जाच परताल करो
17:38पता चलेगा कोछ नहीं है
17:39कोहरा है बस जैसे कि आप
17:42कोहरे को अपने सामने देखो
17:44और आपको लगे कि ये कोहरा थोड़े ही है
17:46ये इमारत है
17:48कोहरा इमारत जैसा लग सकता है न
17:51बड़ी भारी एक इमारत खड़ी हुई है सामने
17:54और अगर कोहरा इमारत जैसा लेगा
17:56तो कोहरे का वज़न कितना हो जाएगा
17:57बाप रे बाप
17:59उसमें कोई वजन नहीं है उसका वजन बस इस बात में है कि वो कुहरा है
18:04जैसे ही इस पश्टता आएगी वजन हट जाएगा वो जो बर्डन की प्रतीत होती है वो जो बोज असा सर पे रहता है
18:14वो हट जाएगा
18:16क्योंकि बोज वास्तों में है नहीं
18:18कोहरा है जो बोज जैसा प्रतीत हो रहा है
18:25हम बस जड़ अनुभोकता बने रहते हैं
18:28उस भीतरी हेज के
18:30कुछ है वो परिशान कर रहा हम परिशान हुए है
18:35अरे परिशान हो तो उठो ना इनसान की तरह
18:38सवाल जवाब करो थोड़ा किस बात पर परिशान हूँ
18:41अच्छा क्या हो जाएगा
18:42कलम कागज उठाओ लिखो
18:44अच्छा अभी मैं इस बात परिशान हूँ
18:46ये नहीं हुआ तो ऐसा होता है
18:47मुझे ये परिशानी इसने सिखाई है
18:49मेरा ऐसा चलता है
18:50मुझे लटकाने से क्या होता है
18:53तुम जवानी में भी दब दब के चलोगे
19:00तो तनोगे कब
19:03जब बुढ़ापे में कूबर निकल आएगा
19:05आम आदमी के लिए पूरा जगत गुंडा है
19:11उसके लिए हर दूसरा व्यक्ति
19:15गुंडा है वो सभी से ऐसे है
19:18भारत में इजददार मध्यमवर्गी होने का मतलब ही यही होता है
19:25लाचारी पोतो
19:34मैं लाचार हूँ
19:37अच्छे से विश्लेशन करो
19:43किस बात को लेके परिशान हूँ
19:45क्या बिगड जाएगा तुम्हारा
19:46क्या बिगड जाएगा पूछो
19:52पता नहीं आचारी जी मैं मतलब
19:59सिंदगे ऐसी बैट सी गई है
20:01मतलब क्या करना चाहिए कुछ समझ में नहीं आ रहा है
20:03अरे याद तुम हो कहां पे तुम्हें यही नहीं पता
20:06तो आगे क्या करो कैसे समझ में आ जाएगा
20:08बड़े रॉब से बोल दिया पता नहीं क्या करना चाहिए
20:13अब तुम्हें ये नहीं पता क्या करना चाहिए
20:15तुम्हें ये नहीं पता क्या हो रहा है
20:17तुम्हें ये भी नहीं पता समस्या क्या है
20:18तो तुम्हें ये कैसे पता है कि परिशान होना है
20:20अगर तुम्हें ये नहीं पता कि समस्या क्या है
20:25तो तुम्हें ये कैसे पता है कि परिशान होना है
20:27या तुम्हें समस्या पता हो
20:34और उससे मेरा निर्णय हो कि समस्या घोर गहन है
20:38मुझे परिशान होना चाहिए
20:41समस्या पता ही नहीं
20:42तो परेशानी कैसे पता हो गई?
20:52अच्छे जी मैं तो तीन साल से एक्जाम के लिए प्रिपेर कर रहा हूँ लेकिन मुझे मुझे एक्जाम पास नहीं हो पा रही है तो मुझे मिझे थोड़ा सा
21:00एक्जाम का तो मतलब यही होता है ना कि जहातर लोगों से पास नहीं होगा तुमने क्या सोच के फॉर्म भरा था?
21:08अच्छे कोविड में मुझे डिप्रेशन सा हुआ था
21:12क्या हुआ था?
21:15डिप्रेशन से जूच जूगा हूँ में कोविड में
21:17तो उसके बाद से मतलब आपको अभी दो साल से सुना तो मुझे थोड़ी यह आप वो थोड़ा
21:25यह किस भाशा में बात कर रहा हूँ अब वो थोड़ा भाशा भी पैनी होनी चाहिए धारदार
21:33वेग छितराई हुई भाशा में बात करना छितराई हुए मन का लक्षण होता है
21:38आप जब शब्दकोश खोलते हो
21:43तो उसमें किसी शब्द का ऐसा अर्थ लिखा होता है
21:46almost like, almost you know, ऐसा थोड़ा सा इसका मतलब यह है
21:51या शब्दों के सपष्ट सटीक precise अर्थ होते है
21:56जब शब्दों के सटीक अर्थ होते है तो भाशा ऐसी क्यों रहती है
22:01you know, it was like, he said to me, like, like, like, like क्या होता है
22:05कुछ ऐसा हुआ है जो शब्दकोश के बाहर का है
22:09या तुम जानबूज करके भीतर एक कोहरा बचाना चाहते हो
22:13तुम जानबूज करके clarity avoid कर रहे हो
22:17और वो बाद भाशा में भी दिख रही है
22:20exam तो आपसे बाहर की बात है न
22:28और यह साधारण सूत्र है
22:30अध्यात्म का
22:32कि प्रक्रति पर तो किसी का नियंत्रन नहीं चलता
22:37आप अधिक से अधिक
22:41अगर स्वामी हो सकते हो तो किसके
22:43स्वयम के
22:44अब exam दे रहे हो वो प्रतिसपरधात्मक है भाई
22:48उसमें ऐसा भी नहीं है कि इतने प्रतिशत तुम ले आलो
22:51तो तुम्हारा चैन होई जाएगा वहाँ तो इस पर भी निर्भर करता है कि
22:54दूसरों कितने प्रतिशत आ गए
22:55तो जो कोई किसी परिक्षा का फॉर्म भरे
23:01उसको इस बात के लिए भी तयार रहना होगा
23:04कि चैन नहीं भी हो
23:06तुम क्या सोच के आये थे
23:09ये दो बाते याद रखा करो शोले वाली
23:19जब भी किसी परिक्षा का फॉर्म भरो
23:24और बहुत लगने लगे
23:25कि मेरा तो हो नहीं है
23:29तो एक्जाम सेंटर से लोटते वे पूछो कितने आदमी थे रे
23:32तो होश वापस आ जाएगा
23:35और जब रिजल्ट आये और सेलेक्शन नहीं हुआ हो
23:39तो पूछा करो क्या सोच के आये थे
23:41वाँ दसलाख लोग भर रहे हैं
23:49और तुम अपनी आशा का जंडा लेके
23:52नाच रहे हो कि मेरा तो हो गया मेरा तो हो गया
23:55क्यों हो गया भाई
23:57हाम नहीं हुआ है तो अब जो सही है वो करो
24:05अब जो करा जा सकता है वो करो न तो मुलटका नहीं क्या बात है
24:09जिन्दगी बहुत छोटी होती है ठीक है न और करने को एक मतपुर्ण काम होता है
24:39हम वो मतपुर्ण काम यह होता है कि मुँ पर यह जो मायूसी च्छाई हुई है इसको पोच दिया जाए
24:45हम इसी के लिए पैदा होते हैं
24:48दुख निरोद
24:51दुख लेके पैदा होते हो और जीवन मिला होता है इसी दुख को
24:57हटाने के लिए
25:00मर जाओगे ऐसे ही मुँ लेके फिर सोच ऐसे मुँ पड़ा हुआ है
25:08कोई आग भी ठीसल आने नहीं आ रहा है कह रहा है देखो यह
25:15मर के भी मनहूसी रहा
25:20पंडित उतनी दूर खड़े हो करके मंत्र मार रहा है
25:29मर गया
25:32मर तो जाओगे ही उससे पहले आनन्दे थोला थोड़ा
25:40और आनन्द नहीं आ सकता जब तक क्लारिटी नहीं आएगी
25:46प्रकृति वैसा होनी नहीं देती
25:54क्या बोल रूँ
25:56प्रकृति वैसा होनी नहीं देती
26:00प्रकृति वैसा होनी नहीं देती
26:10मैं तो नन्ना हूँ बेचाला हूँ
26:13प्रकृति ना किसी की सगी है न किसी को ठगी है
26:22ये दाइत तो तुम्हारा है कि तुम प्रकृति को समझो जीवन के नियमों को जानो
26:29प्रकृति ने कोई साजिश नहीं रची हुई ये तुमको परिशान करने की
26:35तुम चल रहे हो सडक पर वहां खंबे हैं वहां गड़ा भी हो सकता है वहां पेड़ हो सकता है वहां वाहन हो सकते हैं वहां दूसरे लोग हो सकते हैं तुम उनसे जाकर भिड़ जाओ उनकी क्या गलती है
26:49प्रकृत यह जिवन की क्या गलती है
27:17जीवन न अच्छा है न बुरा है
27:20वो तो सब
27:24तुम्हारी इस पश्टता बोध
27:26clarity पर है कि जीवन का तुम्हें
27:28क्या सिला मिलता है
27:29और बहुत दिनों तक तुम ऐसा मू रखो
27:38कि सही बोल रहा हूँ ऐसा ही हो जाएगा तुम्हारा
27:40कोशिश करूँगा थे
27:56कोशिश करूँगा थोड़ी खुद की काम करने के लिए
28:01कैसे करोगे काम
28:02जो कुछ भी दूविदा दे रहा है वो लिखके
28:09इस पर काम करते है
28:11तुम एक उम्र के हो ठीक है
28:16तुम आगे कुछ काम करना चाहते है
28:18अपने आप से पूछो अच्छा काम क्यों करना है
28:20एक बार को जितने तुम्हारे मन पर दबाव है
28:24सारे हटा दो
28:24पूछो मुझे कोई भी काम क्यों करना है
28:26कुछ जवाब आएगा
28:29उसमें से जो जवाब बिल्कुल ठीक लगे ठोस
28:32पूछ अच्छा तो इस वज़े से काम करना है
28:35तो कौन सा काम करना चाहिए
28:37उसके लिए क्या रास्ते है
28:38तो काम करने के बहुत सारे जो गलत व्यर्थ कारण होते हैं
28:46वो हट जाएंगे
28:47यह जो हम एक ही एक्जाम के पीछे कितने कितने सालों तक लगे रहते हैं
28:52या दोस्त किसी दिशा में सफ़ल हो गए हम उनके पीछे लगे रहते हैं
28:56वो सब हटेगा फिर
28:57तो यह पता चलेगा तुम्हें अपनी जिनी है
29:00तो समाज की या दोस्तों की जिन्दगी तो नहीं जीनी है
29:06तो तुम्हारी जो अपनी जिन्दगी है उसमें तुम्हारे लिए क्या ठीक है
29:10एक बार जान जाओगे तो फिर इतनी मजबूरी नहीं रहेगी
29:13और एक बात और समझना अच्छे से
29:18बहुत अच्छी बात होती है
29:24जब सब लोग एक ही दिशा में एक ही सड़क पर भागे जा रहे होते हैं
29:30भागने दोनको
29:31इसका मतलब जानते हो क्या होता है
29:34दूसरी सड़कों पर ट्रैफिक कम मिलता है
29:44इसका मतलब जानते हो क्या होता है
29:46जो दूसरा रास्ता है अगर वो लंबा भी हो
29:50तो उस पर सुविधा भी ज्यादा रहती है और समय भी कम लगता है
29:56भले ही वो रास्ता लंबा था
29:57भले ही वो सडक उबढखा बढ़ती
29:59लेकिन उस पर लोग इतने कम थे
30:02इतने कम लोग थे
30:05कि रास्ता आनंद में गुजरा
30:08और कुल मिला करके
30:10सड़क के लंबे होने के बावजूद
30:12और सड़क
30:14के उबर खाबड होने के बावजूद
30:18भी समय भी कम लगा
30:20क्योंकि सब के सब
30:22एक ही सड़क पे भाग रहे थे
30:23क्यों क्योंकि सब डर पोक है
30:24सब एक दूसरे को पकड़े हुए एक ही सड़क पर भग रहे हैं
30:28मतलब समझ रहे हो क्या बोल रहा हूं
30:29दुनिया अगर एक ही दिशा में भाग रही है
30:41तो इसको अपने लिए एक सूत्र सा बना लो
30:44कि पहली वरियता उन रास्तों को देंगे जिन पर दुनिया नहीं चल रही है
30:54नियम नहीं है नियम नहीं है सूत्र
30:58वरियता कहा है निर्णय नहीं कहा है
31:02जो काम सब लोग कर रहे हैं सबसे पहले तो यह कहू यह नहीं करना है
31:08आठ लेन का एक्स्प्रेस वे भी ब्लॉक हो जाता है पीक ट्रैफिक में
31:20मतलब समझ रहे हो ना
31:24जिस रास्ते सब जा रहे हो सबसे पहले तो उस रास्ते से बचो
31:34और एक्स्प्रेस वे इतने लेन का बना दिया गया है
31:36इस से बस ये पता चलता है कि सब उस पर जा रहे है
31:39जिधर को जा रहे हैं वहाँ जाना ठीक है इस से पुष्ट नहीं हो जाती
31:45सब मूरक हो जाए हैं किसी एक विशेश जगह की और जाने लगें
31:49क्योंकि सबको विश्वास हो जाए कि उस जगह पर जाने से स्वर्ग मिल जाता है
31:53तो भारी हो जाएगा ट्रैफिक, जब ट्रैफिक बहुत हो जाएगा तो हाँ एक्स्प्रेस बना दिया जाएगा
32:01कितनी भी लेन हो सकती है
32:03छे लेन, आठ लेन, बारा लेन, सोला लेन
32:06कितनी भी हो सकती है
32:07उस लड़क की चौड़ाई देख करके
32:12क्या ये सिद्ध हो जाता है
32:14कि जहां को सड़्क जा रही है
32:16वो जगह ठीकी है
32:16इससे बस ये सिद्ध होता है
32:19कि बहुत लोग उस तरफ जा रहे हैं
32:25पहला तो यही ख्याल किया करो
32:27जहां सब जा रहे हैं
32:28वहाँ नहीं जाना
32:29मैं यह नहीं कहा रहा हूँ
32:33इसको नियम बना लो
32:34कि धारा के विपरीद
32:35निश्यत रूप से जाना है
32:37पर परखा सबसे पहले यही करो
32:41जिधर भीड है वहां से बचना है
32:43क्योंकि कई बार
32:47जिधर को भीड जा रही होती है
32:49उधर श्रेश्थता
32:52बस ये होती है कि
32:53वहां को भीड जा रही होती है
32:55इसलिए वहां को और भीड जा रही होती है
32:57दो दुकाने हो अगल वगल
33:03एक सी, कई बार खाने पीने की ऐसी एक सी होती है
33:07रिशेटेश की तरफ जाईे तो भाएं पर धावें मिलेंगे
33:10कतार में एक के बाद एक मान लेजिए पांच धावें
33:14और मैं बहुत बार होँ आता जाता रहता हूँ
33:17तो वही मैं पांच अगल बगल हो
33:19कभी आप देखोगे एक पूरा भरा हुआ है बाकी खाली है कभी देखोगे एक भरा हुआ है बाकी खाली है कैसे हुआ
33:24क्योंकि जो भरने लगता हो फिर भरी जाता है
33:26वो भर क्यों जाता है
33:28अगला आदमी आता है कहता है
33:31इसमें लोग ज्यादा है तो यही है
33:33चलो
33:33और बाकी चार कहा रहे है
33:35पूरा खाली होँआ कोई नहीं जा रहा
33:38उनकी गल्ती क्या है बस
33:39कि वो खाली है
33:41लेकिन जो उन चार में जाकर बैठेगा उसकी मौज रहेगी
33:47उसको आदर सतकार भी ज्यादा मिलेगा
33:50वो अपने अनुसार खाना बनवा सकता है क्योंकि और कोई है नहीं
33:53और उसको जल्दी से भोजन सर्व भी कर दिया जाएगा लीजिए क्योंकि और कोई है नहीं
33:59हम चुकि डरे हुए लोग हैं तो इसलिए हम ये नहीं देखते हैं हमें कहां जाना हम ये देखते हैं भीड कहां जा रही है
34:10तो रक्षा हमें भीड में लगती है
34:13हमें लगता है दूसरे कर रहे हैं तो सही होगा
34:15क्योंकि हमें ये नहीं पता हमें स्वयम नहीं पता
34:18हमें अपने देखें नहीं पता कि सही क्या है
34:20तो हम सोचते हैं दूसरा कर रहा है तो सही होगा
34:22हमने सारी बुद्धिमत्ता सारा ग्यान किसी दूसरे में स्थापित कर दिया है
34:27क्योंकि हमारे भीतर कोई ग्यान नहीं है यह हम जान गए है
34:30तो बहतर क्या यह नहीं है कि अपने भीतर ग्यान पैदा करो
34:33आप सोच रहें दूसरा ग्यानी है और दूसरा सोच रहें आप ग्यानी हो
34:40ग्यानी कोई नहीं अंधा अंधे ठेलिया दोनों कूप पड़ंत
34:44हमने तो संख्याओं को पैमाना बना लिया शेष्ठता का
34:56एक सज जन थे हुआ अश्रम बनवया वासर्म बनवा लेकिन उन्हें कुछ घ्यार कानूनी कामकर दिये
35:07पियर काट दिये पता नहीं क्या करा और भी काम कियोंगे
35:10तो उनको जाकर के पूचह जा रहा है कि ये आपने सब करा है ये ठीक नहीं है
35:17और उनको दस्तावेश दिखाए गई है यह आपने गलत काम करा है तो पहले उन्होंने इधर दर की बाते करी जब फस गए तो बोले मेरे यहाँ पे हर रोज पांच हजार लोग आते हैं क्या वो गलत है यह हमारा तर्क होता है अगर संख्या मेरे पक्ष में है तो मैं ठीकी कर
35:47राजनिता भी गलत है यह तर्क है कोई यह तर्क है पर यह तर्क हम सब का तर्क है इसलिए तर्क चल जाता है कि अगर दस अजार लोग ऐसा कर रहे हैं तो जब चीन के आबादी पहले-पहल एक बिलियन हुई थी तो एक मुहावरा निकल पड़ा था वन बिलियन चाइनीज
36:17यह लोग सकते हैं हमारा चूंकि वन बिलियन है तो गलत थोड़ी हो सकते हैं और एक बात अच्छे समझिएगा वन बिलियन है तो गलत ही होंगे क्योंकि सत्य तो अकेला होता है
36:34अगर वन बिलियन लोग एक साथ ठीक हो सकते तो प्रत्वी आज वैसी नहीं होती जैसी हो गई है जहाँ भीड देखो वहाँ समझ लो अग्या नहीं होगा
36:45अगर गीता आप पर जरा भी उतरी है ज्यानियों की बात आपको थोड़ी भी समझ में आई है पहली चीज यह होगी कि आपको भीड से थोड़ी असहिशुरता हो जाएगी
37:01आप जिधर देखोगे कि सब जा रहे हैं आप थोड़ी ठिटकोगे मैं नहीं कह रहा है अनिवारे रूप से ज़़ी जगह है या वो दिशा गलत ही होती है पर ज्यादा संभावना यही होती है कि इतने लोग एक तरफ को जा रहे हैं तो वो जगह ठीक तो नहीं हो सकती
37:15जिधर को देखोगे बहुत लोग हैं वहाँ पर तुरंत ये बात कौन्धनी चाहिए कि इतने लोग हैं तो कुछ गलत ही हो रहा होगा
37:40आरी बात समझ मैं
37:41गलत नहीं तो कम से कम आसत होगा, मीडियोकर होगा
37:47आरी बात समझ मैं
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