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  • 8 minutes ago
अयोध्या राम मंदि में कैसे तय हुआ दरबार का डिजाइन? स्वर्ण शिल्पी ऋषभ वैराठी ने बताया

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00:00एवध्या में राम मंदीर पे ध्वजार ओहन भी हो गया सारे लोगों ने राम दर्बार से लेकर सभी सब्तरिशियों के और सब्तरिवालें के दर्शन कर लिए
00:10आज हम आपको मिलवाते हैं राम लला को राम दर्बार को बनाना जितना चुद्नवति पूर्ण था उससे ज्यादा चुद्नवति पूर्ण था वैसा ही चुद्नवति पूर्ण और चमतकारिक था उससे सजाना
00:22राम दर्बार को सजाने वाले शिल्पी कलाकार हमारे साथ मौझूद है जैपूर के रिशब बैराठी जी जैजेस याराम
00:31तो रिशब जी जो पीछे सिम्हासन के पीछे जो सजावट है और जो सिम्हासन है चांदी का
00:40तो आप लोग तो जैपूर में पुष्टों से वहाँ पर स्वनकारी का सोने के कलाकारी का काम करते हैं तो यह कितना चुनति पूर्ण था यह बताने का कि यह आम सिम्हासन से बिलकुल अलग है और इसमें जो अयोध्यानात हैं बिलकुल वैसा ही लुक आना चाहिए वैसे कित
01:10उसमें उभर के आए तो यह कितनी बड़ी चुनौति थी यह चुनौति तो बहुत बड़ी थी क्योंकि जो राजा राम है वो तो अपने सब के बहुत अराध्य देव हैं और मतलब उन जितना चुनौति पून मूर्ति को गढ़ना था उतना ही चुनौति पून उनका सिंग
01:40सजावट है वो बहुत अच्छी और विलक्षन दिखनी चाहिए थी दूर से तो इसको बनाने में दो-तीन बार चुनौति पून तो लगा हमार को के बार-बार हमार को इसको नया बनाना पड़ा करना पड़ा नहीं समझ में आया तो फिर दुबार हमार को गड़ना पड़ा
02:10कुछ परफेक्ट होना चाहिए सारे कील कांटे दुरूस्त होना चाहिए कभी ऐसा हुआ कि डिजाइन कभी आपको पसंद नहीं आया या ट्रस्ट के लोगों ने भी देखा उनके विशेशक के कमेटी ने देखा तो उन्होंने भी कुछ से इसे हां ट्रस्ट में वासुदेव
02:40दुबारा करना पड़ा तो हमने वह चीज की और हमने इसको बढ़िया से उसको फिटिंग भी अच्छे से बैठे तो वह सारी चीजें हमार को करनी पड़ी और उसमें काफी जैसे 8-10 किलो चांदी का उसमें पूरा वजन का काम हुआ है और उसको सोने का लुक भी देना था
03:10समय में भी करके पूरा देना था ट्रस्ट को क्योंकि डेट सा गहीं थी और उसकी प्रतिष्ठा होनी थी तो वह बहुत चुनोती पून का तो जो स्वन रजत सिम्हासन है वह समय के साथ काला ना पड़े सामला पनना हो वैसी चमक राय जैसे रगुकूल की चमक है युगों
03:40तो हमने उसको 2,3,6 micro चड़ा को कभी साल साल तक काली नहीं पड़े क्योंकि चांडी का सामल के वह लगती है। तो हमने नदी का साथ को का बती है तो और सामी प्रति हो टो
04:10तो यह तो बड़ा यूगों यूगों तक चलने वाली चीज है जो आप लोगों ने बनाई है
04:39इसके डिजाइन में कभी कोई ऐसा आपको ऐसास हुआ कि जो आपकी सोच से भी अलग एक उपजाई की इस डिजाइन को इसमें ऐसे किया जाए
04:49पुरा परिवार का इसमें दिमाग चलता था या किसका दिमाग ज्यादा चल रहा था
04:53आप वैसे तो ट्रस्स ने हमारको इसका वह दिया था
04:57जैसे उन्होंने कामप जी ने वार्सुदेव कामप जी ने उसमें जो सूर्य वन्ची ह्त आया जो बीच में सूर्य का होना चाहियर
05:08कमल और उसके नीचे कीरती मुख्य है जो अपन कीरति जो बोलतें हैं वह हाती वगरे हैं वह सब भी होते हम इसमें तो इसमें विशेश ध्यान रखा गया है
05:27पतियां हैं नीचे और साइड में उसमें जो है अपने गज वो जो होते हैं हां दोनों तरफ हाथी दिये हैं तो वो एक उसमें हमने कोशिश करी है थोड़ा सा रामकाज में अपना भी कुछ हाथ दें और यह हमारे बड़े भाई प्रशान्द बया का ही कृपा बोलें यार ठ
05:57सा होना चीए क्योंकि इनको इस चीज का पूरा ग्यान है तो सुना अपने इतिहास यूही नहीं बना करते इतिहास यूही नहीं लिखा जाता इतिहास बनाने में छोटी बड़ी हर घटनाओं का हर लमहे का अपना अपना योगदान होता है जैसे इतिहास लमहा लमहा आगे
06:27क्षरों से इतिहास लिखा, यानि तभी ये कहते हैं कि ये समय, ये सिद्धी, ये साधना, ये संकल्ब स्वर्णा क्षरों में लिखा जा रहा है, तो चांदी पर इनों ने कलाकारी की, लेकिन सोने से इतिहास लिखा गया, कैमरा में अशोग वन्नोड जी के साथ संजय शर्मा
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