00:00मीठे बच्चे, ये शरीर रूपी खिलोना आत्मा रूपी चैतन्य चाबी से चलता है। तुम अपने को आत्मा निश्चे करो, तो निर्भय बन जाएंगे।
00:10प्रश्णों, आत्मा शरीर के साथ खेल खेलते नीचे आई है, इसलिए उसको कौन सा नाम देंगे।
00:18उत्तर, कटपुतली, जैसे ड्रामा में कटपुतलियों का खेल दिखाते हैं, वैसे तुम आत्मा ये कटपुतली की तरह 5000 वर्ष में खेल खेलते नीचे पहुँच गई हो, बाप आये हैं, तुम कटपुतलियों को उपर चलने का रास्ता बताने, अब तुम श्रीमत की चाब
00:48दूसरा, अपनी बैटरी को फुल चार्ज करने के लिए पावर हाउस बाप से योग लगाना है, आत्म अभिमानी रहने का पुर्शारत करना है, निर्भय रहना है, वर्दान, दातापन की भावना द्वारा एक्षा मात्रमा विद्या की स्थिती का अनुभव करने वाले त
01:18और जो संपन होंगे, वो सदा त्रिप्त होंगे, मैं देने वाले दाता का बच्चा हूँ, देना ही लेना है, यही भावना सदा निर्विग्न, एक्षा मात्रम विद्या की स्थिती का अनुभव कराती है, सदा एक लक्ष की तरफ ही नजर रहे, वो लक्ष है बिंदू, औ
01:48अव्यक्त इशारे, अब संपन या कर्मातीत बनने की धुन लगाओ, कर्मातीत बनने के लिए कर्मों के हिसाब किताब से मुक्त बनो, सेवा में भी सेवा के बंधन में बंधने वाले सेवाधारी नहीं, बंधन मुक्त बंध सेवा करो, अर्थात हद की रायल एक्षाओं से
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